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    लुधियाना में महिला समेत 4 को तीन साल की जेल, कोर्ट का तर्क- व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त हो जाती है जीपीए

    By Dilbag SinghEdited By: Deepika
    Updated: Tue, 18 Oct 2022 10:31 AM (IST)

    जूडिशल मजिस्ट्रेट शमिंदर पाल सिंह की अदालत ने लुधियाना में एक महिला और चार अन्य को धोखाधड़ी मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट का तर्क है कि जीपीए व्यक्ति की मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है।

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    लुधियाना में महिला समेत 4 अन्य को तीन साल की जेल। (सांकेतिक)

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। जनरल पावर आफ अटार्नी (जीपीए) व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त हो जाती है। जीपीए देने वाले की मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की दलील देने से आपराधिक दायित्व से बचा नहीं जा सकता। जीपीए के आधार पर मृत्यु के बाद जमीन बेचने के लिए एग्रीमेंट करना धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।

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    ये टिप्पणियां जूडिशल मजिस्ट्रेट शमिंदर पाल सिंह की अदालत ने महिला और चार अन्य व्यक्तियों को मृत महिला के जीपीए के रूप में संपत्ति बेचने के लिए एग्रीमेंट करने को धोखाधड़ी और जालसाजी बताते हुए की। अदालत ने सभी आरोपितों जतिंदर कौर, उनके बेटे रणवीर सिंह, गगनदीप सिंह, सुखबीर सिंह सभी निवासी संत ईशर सिंह नगर, माडल ग्राम लुधियाना के पास और सुरजीत सिंह माडल टाउन एक्सटेंशन लुधियाना को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है।

    अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपित के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है। सभी आरोपितों को छह-छह हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश भी दिया गया है। अदालत ने यह भी माना कि दीवानी मुकदमें में आरोपित व्यक्तियों ने दावा किया था कि लक्ष्मी देवी जीवित थी और अब विरोधाभासी स्टैंड ले रहे हैं। अदालत ने मेसर्स गणपति एंड कंपनी द्वारा सरदार नगर, राहों रोड, लुधियाना के पार्ट्नर विजय थापर के माध्यम से दायर की गई शिकायत पर फैसला करते हुए आदेश सुनाया।

    शिकायतकर्ता ने अदालत के समक्ष बताया था कि उनकी फर्म प्रापर्टी लेनदेन का काम कर रही थी। उन्होंने 2001 में आरोपित व्यक्तियों के साथ एक एग्रीमेंट किया। लुधियाना के जागीरपुर गांव में 68 कनाल जगह का सौदा 15 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से हुआ। सभी आरोपितों को संयुक्त रूप से 10 लाख रुपये अदा किए थे। वर्ष 2002 में दो रजिस्ट्रियां करवाई गई थीं, जिसमें सुरजीत सिंह ने भी लक्ष्मी देवी के जीपीए होने का प्रतिनिधित्व किया था।

    इसके अलावा वे कुछ और जमीन बेचना चाहते थे। सुरजीत सिंह से लक्ष्मी देवी को बुलाने करने का अनुरोध किया। जब वे मामले को टालते रहे, तो लक्ष्मी देवी को एक कानूनी नोटिस दिया गया। तभी उन्हें पता चला कि उनकी मृत्यु वर्ष 1990 में हो चुकी थी। इसलिए, अन्य आरोपितों के साथ मिलकर सुरजीत सिंह द्वारा धोखाधड़ी और जालसाजी की गई है। वहीं दूसरी तरफ सभी आरोपितों ने खुद को निर्दोष बताया।

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