पंजाब विधानसभा चुनावः लुधियाना में महिलाओं काे उम्मीदवार बनाने से कतरा रहे राजनीतिक दल; जानें कारण
Punjab Assembly Election 2022 शहर से विधायक बनना तो दूर राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट ही नहीं देते। 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने लुधियाना पूर्वी से टिकट जरूर दिया लेकिन उसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल ने शहर की विधानसभा सीटों पर महिलाओं को टिकट नहीं दिया।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। Punjab Assembly Election 2022 राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के सशक्तिकरण की बात जोर शोर से करते आ रहे हैं। स्थानीय निकाय व पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण दे दिया। लेकिन जब बात विधानसभा चुनाव की आती है तो राजनीतिक दल लुधियाना शहर की महिलाओं पर विश्वास नहीं करते। शहर से विधायक बनना तो दूर राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट ही नहीं देते। 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने लुधियाना पूर्वी से टिकट जरूर दिया लेकिन उसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल ने शहर की विधानसभा सीटों पर महिलाओं को टिकट नहीं दिया। इस विधानसभा सीट में भी राजनीति दल पुराने ट्रैंड पर ही चल रही हैं।
अकाली दल ने लुधियाना शहर की सभी छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए। अकाली दल ने लुधियाना पूर्वी से रणजीत सिंह ढिल्लों, पश्चिमी से महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल, उत्तरी से आरडी शर्मा, दक्षिणी से हीरा सिंह गाबड़िया, आत्म नगर से हरीश राय ढांडा और केंद्रीय से प्रितपाल सिंह पाली को उम्मीदवार बनाया है। अकाली दल ने इन छह सीटों में से किसी भी सीट पर महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में महिलाओं को एक हजार रुपये हर महिला को देने की गारंटी दी तो उम्मीद जगी थी कि आप टिकट देने में भी महिलाओं को विशेष तरजीह देगी।
आम आदमी पार्टी ने भी शहर की चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। लेकिन आप ने भी किसी महिला को टिकट नहीं दिया। कांग्रेस और भाजपा ने अभी शहर में अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए। लेकिन कांग्रेस व भाजपा का इतिहास उठाएं तो उन्होंने भी कभी लुधियाना शहर में महिलाओं को टिकट नहीं दिया। ऐसे में उनसे भी उम्मीद नहीं लगाई जा रही है।
महिलाओं को बतौर पार्षद भी काम नहीं करने देते
सरकार ने निकाय चुनावों में 50 फीसद आरक्षण तय कर दिया। लेकिन राजनीतिक दल पार्षद का टिकट देते वक्त महिला कार्यकर्ताओं के बजाए नेताओं की पत्नियों को टिकट दे देते हैं। पार्षद बनने के बाद महिलाओं के पति ही कामकाज करते हैं। जिसकी वजह से कोई महिला नेता उभर नहीं पाती हैं और वह विधायक की टिकट के लिए दावेदारी तक नहीं जता पाती हैं।