PAU ने तैयार की गेहूं की खास किस्म; 24 घंटे बाद भी नर्म रहेगी इसके आटे से बनी रोटी, मिठास भी ज्यादा
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक विभाग ने पीबीडब्ल्यू-वन चपाती नाम से नई किस्म तैयार की है। इसके आटे से बनी रोटी घंटों तक नरम और ताजा रहती है। गूंथने के बाद इसका रंग काला नहीं होता।

लुधियाना, [आशा मेहता]। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agriculture University-PAU) ने गेहूं की एक ऐसी किस्म तैयार की है जिसका आटा 24 घंटे बाद भी नर्म रहेगा। इसके आटे में मिठास का स्तर गेहूं की सामान्य किस्मों से ज्यादा है। यानी रोटी खाने में ज्यादा स्वाद लगेगी। पीएयू के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक विभाग ने 'पीबीडब्ल्यू-वन चपाती' नाम से नई किस्म तैयार की है। इसके आटे से बनी रोटी घंटों तक नरम और ताजा रहती है। गूंथने के बाद इसका रंग काला नहीं होता। यहां तक कि फ्रिज में रखने के बावजूद इसका रंग नहीं बदलता। ब्रेड बनाने वाली इकाइयों के लिए यह काफी फायदा साबित होगा। इस किस्म को गेहूं की तीन बेहतरीन व पुरानी किस्मों में सुधार कर तैयार किया है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीएस सोहू कहते हैं कि जब भी हम अनाज की कोई किस्म तैयार करते हैं तो दूसरी किस्मों के साथ चपाती स्कोरिंग या रेटिंग करते हैं। चपाती स्कोरिंग से यह पता चलता है कि नई किस्म पुरानी किस्मों के मुकाबले कितनी बेहतर है। इसकी स्कोरिंग अन्य किस्मों से बेहतर है।
PAU की गेहूं की किस्म 'पीबीडब्ल्यू-वन चपाती' के आटे से बनी रोटी 24 घंटे बाद भी नर्म रहेगी। इसके आटे में मिठास का स्तर गेहूं की सामान्य किस्मों से ज्यादा है।
ज्यादा मिठास से बढ़ता है रोटी का स्वाद
इसमें मिठास (शुगर) 48.8 फीसद पाई गई है, जबकि गेहूं की देसी किस्म सी-306 में यह 43.1 फीसद और एचडी-3086 में 35.7 फीसद है। मिठास अधिक होने से रोटी का स्वाद कई गुणा बढ़ जाता है। वहीं, छह घंटे रखने के बाद चपाती की गुणवत्ता की बात करें तो इसकी स्कोरिंग 4.8 पाई गई, जबकि सी-306 में यह 4.5 और एचडी-3086 में 2.1 है। दूसरी आम वैरायटी में भी चपाती की गुणवत्ता 2.1 तक है। इसी तरह गूंथने के बाद आटा काला होने की दर मात्र 2.2 है जबकि एचडी-3086 में यह 5.8 है।
यह भी पढ़ें - साली की हत्या के आरोपित घाली के घर रुके थे दिल्ली के CM केजरीवाल, बाघापुराना बमकांड में काट चुका है जेल
इसलिए, काला नहीं पड़ता आटा
गेहूं की पीबीडब्ल्यू वन चपाती किस्म में पॉलीफिनोल ऑक्सिडेज एंजाइम (फिनोल रिएक्शन) गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में बेहद कम है। जिसकी वजह से आटा गुथने के कई घंटों के बाद भी रंग नही बदलता। फिनोल रिएक्शन आटा गूंथने के बाद काला होने का मापदंड है, जबकि अन्य किस्मों में यह रिएक्शन ज्यादा होता है।
फसल पर बीमारियों का असर कम
डॉ. वीएस सोहू के अनुसार इस किस्म की फसल पीली कुंगी (येलो रस्ट) व भूरी कुंगी (ब्राउन रस्ट) से लड़ने में सक्षम है। रोगों का असर कम होने के कारण इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है। इसीलिए, इसका आटा सेहत के लिए ज्यादा लाभदायक है। यह किस्म पकने के लिए 154 दिन लेती है, जबकि सी-306 किस्म 159 और एचडी 3086 किस्म 156 दिन लेती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।