'पहले टांगें कांपती थी...', PAU में दिखा CM मान का कलाकार वाला अंदाज; सुनाया कॉलेज के दिनों का दिलचस्प किस्सा
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में अपने कॉलेज के दिनों के कुछ अनसुने किस्से साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे वे स्टेज पर जाने से डरते थे लेकिन फिर कैसे उन्होंने खुद पर काबू पाया और सफलता हासिल की। सीएम मान ने विद्यार्थियों को जीवन के तीन चरणों के बारे में भी बताया और कहा कि वर्तमान का आनंद लेना चाहिए।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान रविवार को पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में चल रहे यूथ फेस्टिवल में पहुंचे। इस दौरान वह किसी नेता नहीं बल्कि एक प्रोफेसर के रूप में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते नजर आए। उन्होंने इस दौरान विद्यार्थियों से अपने कालेज के दिनों की कई ऐसी बातें भी साझा की, जो कभी उनकी जिंदगी का हिस्सा रही हैं और आज तक उन्होंने इसे मंच पर कभी उजागर नहीं किया।
मैं भी इसी फेस्टिवल की पैदाइश- सीएम मान
एक समय खुद कलाकार रहे मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं भी इसी तरह के फेस्टिवल की पैदाइश हूं। पहली बार सुनाम के कॉलेज में जब मंच पर डायस के सामने खड़ा हुआ तो इसकी कीमत पता लगी। मेरे पैर कांप रहे थे। इस डायस ने मुझे काफी बचाया, क्योंकि कांपते पैर नजर नहीं आते थे। सोचा था कि आज स्टेज से ठीक-ठाक उतर जाऊं, तो भविष्य में कभी नहीं आऊंगा, लेकिन क्या पता था कि यह मंच और डायस ही जीवन का हिस्सा बन जाएंगे।’
उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि यह मंच और डायस ही आपकी भविष्य की सीढ़ी है और जीते या हारें, कभी पीछे मुड़कर न देखें। यहां पर परफॉर्म करना ही बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को प्रदेश के आर्थिक विकास में भागीदार बनाने के लिए प्रयासरत है। वे पंजाब की तरक्की में अपना अहम योगदान दें।
मेडल मिले या ना, परफॉर्म करना ही बड़ी बात
स्टूडेंट्स को अपने अंदाज में समझाते हुए मुख्यमंत्री बोले, ‘चार साल तैयारी करने के बाद एक खिलाड़ी ओलिंपिक में प्रदर्शन के लिए पहुंचता है और 100 मीटर दौड़ का फैसला दस सेकेंड में हो जाता है। आज आप को मेडल मिले या नहीं, आपने यहां परफॉर्म तो किया।’
उन्होंने कहा कि यदि आपको मेडल मिला तो अहंकार न करना। मुख्यमंत्री अपने पहले चुनाव में लहरागागा से हारे थे। उन्होंने विद्यार्थियों को कभी न हारने का सबक दिया। कहा, मनप्रीत बादल की पार्टी से पहली बार चुनाव लड़ा और पराजय मिली, लेकिन मैं नहीं हारा। दो साल बाद 2014 में उसी सीट से 2.25 लाख वोटों से जीत दर्ज कर संसद में पहुंचा।
विमान की तरह बनें, हजारों किलोमीटर ऊंची उड़ान भरें
प्रोफेसर की तरह विद्यार्थियों को उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें विमान की तरह बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विमान में बहुत ताकत होती है। विमान में बैक गियर नहीं होता और एयरपोर्ट पर एक ट्रैक्टर से उसका अगला हिस्सा घुमाया जाता है। उसके बाद वह फिर हजारों किलोमीटर ऊंची उड़ान भरता है और 14 घंटे में सैन फ्रांसिस्को पहुंचता है। ये टीचर, प्रोफेसर इन विद्यार्थियों को वाहन के रूप में घुमा दें और उसके बाद ये ऊंची उड़ान भरेंगे।
संत राम उदासी की कविता के बोले बोल....
मां धरतीए! तेरी गोद नूं चण होर बथेरे, तूं मघदा रहीं वे सूरजा, कमियां दे वेहड़े...
भगवंत मान ने समारोह में विद्यार्थियों से कहा कि दूसरों को न देखें, अपने आप को देखें। अंडे की किस्मत में टूटना लिखा है। बाहर की फोर्स से टूटा और खत्म। अंदरुनी फोर्स से टूटेंगे, तो कुछ बनेंगे। सपने वो नहीं होते जो नींद में आते हैं, सपना वह होता है जो जागते हुए देखते हैं। फिर आप हमेशा तरक्की करेंगे।
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों की मांग पर स्टेज से संत राम उदासी की कविता ‘मां धरतीए! तेरी गोद नूं चण होर बथेरे, तूं मघदा रहीं वे सूरजा, कमियां दे वेहड़े..’ गाया तो मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
यह भी पढ़ें- पीयू में आधी रात हंगामा, यूथ फेस्टिवल में दो टीमों के बीच जमकर हुई हाथापाई; इस बात पर छिड़ी लड़ाई
'पेपर करके तो 33 नंबर का आए थे, 40 किसने दे दिए...'
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को जीवन का पूरा लुत्फ उठाने का संदेश दिया। कहा, यह जीवन बार-बार नहीं आता। लड़कियां 98 अंक पाकर भी रोने लगती हैं। यहां हमारा जिगरा देखें, 40 नंबर आ जाए तो दुआएं देते हैं कि कौन सा रब्बा का बंदा बैठा था। हम पेपर करके तो 33 नंबर का आए थे, 40 किसने दे दिए।
उन्होंने कहा कि जिंदगी में नंबर ही सब कुछ नहीं होते। जीवन को खुशी से जीएं। जिंदगी एकबार ही जीने को मिलेगी। जीवन को तीन फेज में समझाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक फेज जो बीत गया, उसे भगवान भी नहीं बदल सकते। दूसरा फेज जो भविष्य है, उसका अभी पता नहीं। तीसरा फेज वर्तमान है। यह गोल्डन फेज हैं, इसे पूरी तरह से इंज्वाय करें।
पिता की मार के डर से ट्रॉफी लोगों को ही दे दी
मुख्यमंत्री मान ने विद्यार्थियों को कई ऐसी बातें साझा की, जो कभी उजागर नहीं की। बोले, पिता साइंस मास्टर थे। मैं सुनाम के कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पड़ गया। मन में कुछ करने का कीड़ा था। घर में बहुत पिटाई होती थी। पिता के कहने पर साल भर स्टेज पर जाना बंद कर दिया। फिर चोरी-चोरी जाने लगा।
वहां जाकर ट्रॉफी मिल जाती थी, तो चिंता यह होती थी कि ट्रॉफी अब घर में कहां रखेंगे। पिता फिर मारेंगे। लौटते समय बस में सवारी पूछती थी कि कहां से जीती। वह ट्रॉफी ही उन्हें दे देते थे। कई ट्रॉफियां लोगों के घरों में पड़ी होंगी। बोले कि ट्रॉफी मकसद नहीं था, पब्लिक के सामने जीतना ही सबकुछ था। पब्लिक साथ है तो इससे बड़ा अवॉर्ड कोई नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।