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अब पंजाब में भी बिहार के 'चमकी बुखार' का असर, दहशत से टूट रही कारोबार की कमर

बिहार में चमकी बुखार को लीची के साथ जोड़ने का असर देशभर में लीची के कारोबार पर पड़ा है। बड़े कारोबारी भी इसका स्टॉक रखने से परहेज कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 05:17 PM (IST)
अब पंजाब में भी बिहार के 'चमकी बुखार' का असर, दहशत से टूट रही कारोबार की कमर

जालंधर [शाम सहगल]। बिहार में चमकी बुखार को लीची के साथ जोड़ने की अफवाह का असर देशभर में लीची के कारोबार पर पड़ा है। अफवाह ने लोगों में लीची को लेकर दहशत फैला दी है।जिसका असर सीधे रूप से इसके कारोबार पर पड़ा है। गर्मी में रिटेल में बेहतर क्वालिटी की लीची 140 रुपये प्रति किलो बेची जाती रही है, लेकिन अब मात्र 80 रुपये प्रति किलो में बेची जा रही है। थोक में इसके दाम मात्र 50 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। बड़े कारोबार करने वाले कारोबारी भी इसकी खरीद से परहेज कर रहे हैं। यही कारण है मंडी में आने वाला माल कई बार वापस भेजा जा रहा है।

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50 घंटे तक ही रहती है खाने लायक

पेड़ से उतरने के बाद लीची 50 घंटे तक ही खाने लायक रहती है। जबकि, इसके व्यापारीकरण में ही 24 घंटे लग जाते हैं। ऐसे में शेष समय में लीची को हर हाल में बेचना होता है। मांग में भारी गिरावट के चलते थोक व्यापारी भी इसे औने-पौने दामों में बेचने को विवश हैं। इस बारे में होलसेल फ्रूट कारोबारी पुनियतम भारती सिल्की बताते हैं कि लीची के कारण चमकी बुखार को लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। बावजूद इसके एक अफवाह ने लोगों में भय पैदा कर दिया है जिसका असर सीधे रूप से कारोबार पर पड़ गया है।

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सुबह से रेहड़ी लगी है, लीची नहीं आई किसी को पसंद

पटेल चौक में लीची की रेहड़ी लगाने वाले सुभाष कुमार बताते हैं कि सुबह से रेहड़ी सजाकर खड़े है, लेकिन खरीदारों में रुझान नहीं है। जबकि, गर्मी के दिन में 140 से 150 रुपये प्रति किलो तक हाथों-हाथ लीची बिक जाती थी।

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सरकार भी लोगों को करे जागरूक

इस बारे में होलसेल फ्रूट आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान इन्द्रजीत सिंह नागरा ने कहा कि देश भर में लीची को लेकर लोगों में दहशत है। इससे सीधे रूप से कारोबार प्रभावित हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार को पहल करते हुए स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। जिससे कारोबार को भी नुकसान न हो व लोगों को भी वास्तविकता का पता चल सके। गौरतलब है कि सैकड़ों वर्ष से गर्मी के सीजन के फलों में आम के बाद लीची को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। तासीर से ठंडी होने के चलते हर वर्ग के लोग इसे खाते हैं जबकि, बिहार में इन दिनों फैला संक्रामक बुखार चमकी को लीची के साथ जोड़ने के बाद लोगों ने इससे दूरी बना ली है।

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