Sanskarshala: प्रिंसिपल प्रियंका शर्मा की सलाह, दूसरों की नहीं, अपनी खूबियां देख खुद को निखारें
सेठ हुक्मचंद पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य प्रियंका शर्मा ने कहा कि बच्चे दूसरों की नहीं बल्कि अपनी खूबियां देख कर खुद को निखारें। इससे उनको फायदा होगा। अभिभावकों को भी बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। विद्यार्थी व युवा वर्ग इंटरनेट मीडिया का आदी हो चुका है। इसी कारण वे दिनभर इंटरनेट मीडिया में डूबे रहते हैं। दोस्तों, सहपाठियों आदि की पोस्ट देखते रहना, दूसरों की चीजों पर ज्यादा आकर्षित होना और वास्तविकता से कोसों दूर चले जाना आम हो गया है। उन्हें चाहिए कि वे अपनी खूबियों को देखकर उसे निखारने का प्रयास करें। न की दूसरों की खूबियों को देखकर खुद को उनसे कम आंके।
आज के युवा हर समय किसी न किसी की स्टेट्स देखते रहते हैं। उसमें भी उनका खासकर ध्यान उनकी चीजों पर रहता है, जो कि गलत है। वे चाहे घर के किसी कार्यक्रम में हो या फिर कहीं शहर से बाहर ही घूमने क्यों न गए हो। उन्हें ये बस रहता है कि वे फटाफट से अपनी पोस्ट की हुई तस्वीर को बदलें। स्टेट्स अपडेट करें। यानी उन कार्यक्रमों का आनंद लेने के बजाय इंटरनेट मीडिया की बनावटी दुनिया को वास्तविकता से ज्यादा जीने लग पड़े हैं। इस वजह से उनके स्वभाव में कई तरह के बदलाव देख जा रहे हैं।
वे चिड़चिड़े होते जा रहे हैं या फिर घर पर कोई भी कुछ कहे, उसे अनसुना कर देते है। वे भूल चुके हैं कि इस तकनीक का वे किस प्रकार से लाभ उठा सकते हैं। यह तकनीक उन्हें किन उद्देश्यों के लिए हासिल हुई है। ऐसे में प्रत्येक का फर्ज बनता है कि वे युवाओं और खासकर विद्यार्थी वर्ग को इन तकनीकों के सही माध्यम व लाभ के प्रति जागरूक करें। ताकि वे उसका गलत प्रयोग करने के बजाय अपने कौशल को निखारने के लिए करें।
शिक्षकों को चाहिए कि वे निरंतर स्कूलों में इंटरनेट मीडिया के सही तरीकों से प्रयोग करने के साथ-साथ उसके गलत प्रभावों प्रति भी विद्यार्थियों को जागरूक करें। इसके अलावा उन्हें इंटरनेट मीडिया से जुड़े हुए विशेषज्ञ या डाक्टरों से रूबरू करवाएं। जो सभी को इसका अच्छे और बुरे दोनों के प्रभावों प्रति विद्यार्थी वर्ग को जागरूक कर सकें। इस तरह के जागरूकता प्रोग्राम आज के समय की जरूरत है। विद्यार्थी स्कूल में तो चंद घंटे रहते हैं।
वहां पर तो शिक्षक उन्हें जागरूक करेंगे, मगर अधिकतर समय विद्यार्थियों का घर पर बीतता है। यहां अभिभावकों को भी इस पर ध्यान देना होगा। उनकी हर छोटी-छोटी आदत पर गहनता से नजर रखनी होगी। अगर कोई बुरी आदत लग भी जाती है तो उसे डांट या फटकार कर नहीं बल्कि समझदारी और प्यार से ही दूर की जा सकती है। बच्चों के साथ घर पर अच्छा समय बिताएं। हर तकनीक के अच्छे और बुरे पहलुओं प्रति चर्चा करें।
अच्छी तकनीक का लाभ किस प्रकार से ले सकते हैं, उस पर अधिक से अधिक जानकारी जुटाने में मदद करें। घर पर रहते हुए बच्चों के सामने जितना कम हो सके खुद भी इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करें। अगर इस्तेमाल करना है तो उसका लाभ किस प्रकार से ले सकते हैं, इस पर चर्चा जरूर करें। -प्रियंका शर्मा, प्रधानाचार्य सेठ हुक्मचंद पब्लिक स्कूल, संगल सोहल, कपूरथला रोड, जालंधर।
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