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    ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती के रचयिता थे पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी, विरासत को भूली पंजाब सरकार

    जालंधर के फिल्लौर में 30 सितंबर 1837 को जन्मे श्रद्धा राम फिल्लौरी प्रसिद्ध विद्वान प्रचारक समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी व हिंदी के पहले उपन्यासकार थे। दुख की बात है कि आज तक उनकी कोई यादगार तक नहीं बनाई गई है।

    By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 30 Sep 2021 10:28 AM (IST)
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    फिल्लौर में बनाई गई पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी चौक में लगी उनकी तांबे की प्रतिमा।

    जतिंदर पम्मी, जालंधर। दुनिया भर में जहां कहीं भी हिंदू मंदिर स्थापित किया गया है, वहां रोजाना सुबह-शाम ‘ओम जय जगदीश हरे’ की आरती गूंजती है। बहुत कम लोगों को यह पता है कि इस आरती के रचयिता श्रद्धा राम फिल्लौरी (Pundit Shraddha Ram Phillauri) फिल्लौर (जालंधर) के रहने वाले थे। फिल्लौर में 30 सितंबर, 1837 को जन्मे श्रद्धा राम फिल्लौरी प्रसिद्ध विद्वान, प्रचारक, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी व हिंदी के पहले उपन्यासकार थे। समय की सरकारों व लोगों की भूलने की आदत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज तक उनकी कोई यादगार तक नहीं बनाई गई।

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    पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी की याद को पुर्नजीवित करने के लिए फिल्लौर के कुछ बुद्धजीवियों ने स्व. अजय शर्मा की अगुआई में 2007 में पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की थी। ट्रस्ट ने विश्व स्तर पर उस महान लेखक, बुद्धिजीवी, स्वतंत्रता सेनानी की रचनाएं पहुंचाने का प्रयास आरंभ किया है। ट्रस्ट के प्रतिनिधियों संजय पासी गलोरी, रिंकू पासी, डा. केवल कृष्ण, मास्टर चंद्रमोहन का कहना है कि वे पिछले 14 साल से हर साल पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी का जन्मदिन अपने तौर पर मनाते हैं लेकिन कभी भी किसी सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। सरकारों ने हमेशा ही इस महान शख्सियत को नजरंदाज किया है।

    सिविल अधिकारियों की परीक्षा में उनकी पुस्तक ‘पंजाबी बातचीत’ से आते हैं सवाल : पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘पंजाबी बातचीत’ एक तरह से शब्दकोष ही है जिसमें पंजाब के ग्रामीण सभ्याचार व आचार-विहार से जुड़े ऐसे शब्द हैं जो कि आजकल बहुत से लोगों को पता ही नहीं हैं। बताया जाता है कि यह पुस्तक बर्तानवी हुकूमत के समय छपी तो पंजाब में सेवाएं देने के लिए तैनात किए जाते अंग्रेज अफसरों को इसे पढ़ने के लिए दिया जाता थीा। इसकी मदद से उन्हें पंजाब की जमीनी स्तर की जानकारी हासिल होती थी। आज भी सिविल सेवा अधिकारियों की परीक्षा में भी इस पुस्तक में से सवाल पूछे जाते हैं।

    हिंदी के पहले उपन्यासकार, बेटियों के दहेज में दिया जाता था यह उपन्यास

    पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी को हिंदी साहित्य का पहला उपन्यासकार होने का सम्मान भी प्राप्त है। उन्होंने ‘भाग्यवती’ उपन्यास लिखा था। इसके बारे में यह मान्यता रही है कि इलाके के बहुत से लोग जब अपनी बेटी की शादी करते थे तो उसे गृहस्थ की शिक्षा के लिए इसे दहेज में देते थे।

    नगर कौंसिल में बनी लाइब्रेरी भी साबित हो रही सफेद हाथी

    नगर कौंसिल में पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी म्यूनिसिपल लाइब्रेरी बनाई हुई है जोकि इस समय स्टोर के रूप में इस्तेमाल की जा रही है। इस लाइब्रेरी के अंदर चार-पांच अलमारियां तो मौजूद हैं लेकिन उनमें किताब एक भी नहीं है। यहां तक कि वहां श्रद्धा राम फिल्लौरी द्वारा लिखी पुस्तकों में से भी कोई पुस्तक नहीं रखी गई।

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