Diwali 2022: जालंधर में इस बार गोबर के दीयों से रोशन होगी दीपावली, तेल या घी डालने की जरूरत नहीं
Diwali 2022 दीपावली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं इसको लेकर जालंधर में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। शहर में इस साल गोबर से दीये तैयार किए गए हैं। खास बात यह है कि इन दीयों में तेल या घी डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

जागरण संवाददाता, जालंधर। Diwali 2022: पंजाब में इस बार दीपावली गाय के गोबर से तैयार दीयों से रोशनी की जाएगी। इस बार विशेष तौर पर गाय के गोबर से दीये तैयार किए गए हैं। गोबर का दीया बनाकर व इसके बीच मोम भर कर बत्ती का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए इनमें तेल या घी डालने की जरूरत नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरफ से बलाचौर (नवांशहर) के रत्तेवाल गांव में बनाई गई वर्कशाप में ही 20 लाख दीये तैयार किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फार लोकल अभियान के तहत सर्वहितकारी शिक्षा समिति इनका निर्माण कर रही है। इनका नाम सुरभि दीये रखा गया है।
इतना ही नहीं इस बार गाय के गोबर से तैयार गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां भी लोगों को पर्यावरण संरक्षण व इको दिवाली के संदेश के साथ बनाकर वितरित की जा रही है। गांव के 30 से ज्यादा परिवारों के 150 से ज्यादा सदस्य इस अभियान के साथ जुड़े हैं। वर्कशाप में गोबर से गमले, गुल्लक व लकड़ी के आकार के उपले सहित तमाम प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है।
ऐसे बनाते हैं गोबर के दीये
पहले गोबर को हल्का सुखाया जाता है। उसके बाद उसमें देसी तकनीक से तैयार होने वाली सेंट (खुशबू) मिलाई जाती है। इसके अलावा गोबर में मुल्तानी मिट्टी व चीड़ के पेड़ की लकड़ी का बुरादा मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाता है। पेस्ट के गोले बनाकर छोटी मशीन व सांचे में गोबर को डालकर उसे दीये का आकार दिया जाता है। सूखने पर पैकिंग कर दी जाती है।
एक आदमी बनाता है 400 दीये
वर्कशाप के संयोजक जे. नरेश बताते हैं कि एक दिन में एक आदमी 400 दीये तैयार करता है। इस पर भी प्रयोग किया जा रहा है कि दीयों में देसी घी डालकर ही इन्हें रेडी टू यूज तैयार किया जाए। अभी मोम डालकर तैयार कर रहे हैं। घी तापमान के हिसाब से पिघल जाता है। वह न पिघले इसकी तकनीकी को लेकर प्रयोग किए जा रहे हैं।
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