Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jalandhar News: नृत्यांगना कविता द्विवेदी के ओडिसी नृत्य ने हर दिल जीता, एपीजे की छात्राओं ने प्रस्तुत किए भजन

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 08 Aug 2022 11:03 AM (IST)

    एपीजे स्कूल में नृत्यांगना कविता द्विवेदी ने कहा कि ओडिसी नृत्य भारतीय राज्य ओडिशा की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। ओडिसी नृत्य को पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्य रूपों में से एक माना जाता है।

    Hero Image
    जालंधर के एपीजे स्कूल में ओडिशी नृत्य प्रस्तुत करती हुईं नृत्यांगना कविता द्विवेदी।

    जासं, जालंधर। एपीजे स्कूल महावीर मार्ग में शास्त्रीय नृत्यांगना कविता द्विवेदी ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया। इस दौरान उनके स्वागत में स्कूल की छात्राओं ने 'श्री राम चंद्र कृपालु भज मन' भजन पर नृत्य प्रस्तुत कर अपनी छठा बिखेरी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे प्राचीन और जीवित नृत्य है ओडिशी

    इस मौके पर कविता द्विवेदी ने कहा कि ओडिसी नृत्य भारतीय राज्य ओडिशा की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। ओडिसी नृत्य को पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। इसका जन्म मन्दिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था। ओडिसी नृत्य का उल्लेख शिलालेखों में मिलता है। इसे ब्रह्मेश्वर मंदिर के शिलालेखों में दर्शाया गया है।

    शास्त्रीय नृत्यांगना कविता द्विवेदी एपीजे स्कूल, महावीर मार्ग में कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए।

    यह भी पढ़ें - Fraud In Jalandhar: गृह मंत्रालय का अधिकारी बन विदेश भेजने के नाम पर ठगे चार करोड़, लोगों ने की जमकर धुनाई

    उन्होंने कहा कि ओडिशी ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य है, जो 11वीं शताब्दी में प्रचलन में आया था। भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाने के लिए देवदासियां ओडिशी नृत्य किया करती थी। वे अपने नृत्य के जरिए भक्ति भाव को प्रकट करती हैं। कविता द्विवेदी ने कहा कि यह केवल उनके लिए डांस नहीं, पूजा है। यू तो डांस बचपन से ही जुड़ जाता है लेकिन ओडिशी के हर मूवमेंट में नृत्य है।

    पुष्प चूड़ा और कमर में बंधी बेल्ट से होती है ओडिशी की पहचान

    उन्होंने छात्राओं को समझाया कि नृत्य दो प्रकार के होते हैं। एक फोक डांस जिसे लोक नृत्य कहा जाता है और दूसरा शास्त्रीय यानी क्लासिकल। जिस नृ्त्य को लोगों का समूह करता है तो उसे लोक नृत्य कहते हैं जबकि शास्त्रीय नृत्य गुरु शिष्य परंपरा से चलता है । ओडिशी नृत्य की पहचान पुष्पचूड़ा और कमर में बांधी जाने वाली बेल्ट से होती है।

    यह भी पढ़ें - जालंधर से लुधियाना की ओर जाने वाले सावधान! फगवाड़ा शुगर मिल के बाहर किसान सुबह 9 बजे शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन धरना