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    स्कूलों के दबाव में खेतों में बेची जा रही किताबें, अभिभावकों को किया जा रहा मजबूर

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Sat, 08 Apr 2017 12:30 PM (IST)

    बुक डिपो के सदस्य खेतों में जाकर किताबें बेच रहे हैं। स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को उस जगह जाकर किताबें खरीदने के लिए कह रहे हैं।

    स्कूलों के दबाव में खेतों में बेची जा रही किताबें, अभिभावकों को किया जा रहा मजबूर

    जालंधर [किशोर]। सीबीएसई द्वारा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ाने के बजाय, एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को लगाने के निर्देश के बाद कुछ स्कूलों और बुक डिपो ने खाली कोठी और खेतों में किताबें बेचने का चोर रास्ता अपनाया है। बुक डिपो के सदस्य खेतों में जाकर किताबें बेच रहे हैं। स्कूल प्रबंधक अभिभावकों को उस जगह जाकर किताबें खरीदने के लिए कह रहे हैं।

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    बुक डिपो से भी अभिभावकों को पक्का बिल नहीं मिल रहा है। बुक डिपो अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अपने ही प्रिंट रेट चिपका देते हैं। अगर उसे हटा दिया जाए तो किताबों की कीमत बीस प्रतिशत तक कम निकलती है। सोशल मीडिया में निजी स्कूलों द्वारा खेतों में अभिभावकों को कोठी व खेतों में किताबें बेचने का वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में टैंपो खेतों में खड़ा है। अभिभावक किताबों का सेट खरीद रहे हैं और बुक डिपो वाले उन्हें कच्चा बिल दे रहे हैं। किताबों के सेट 4000 से 6000 रुपये के बीच हैं। एनसीईआरटी की किताबें लगाने की बजाए प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं।

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    निजी स्कूलों द्वारा हर वर्ष फीस वृद्धि, री-एडमिशन व वार्षिक शुल्क बढ़ाए जाने को लेकर अभिभावकों ने शुक्रवार को डीसी वरिंदर शर्मा के साथ मीटिंग कर अपनी बात रखी। अभिभावकों ने डीसी के समक्ष दिसंबर 2016 में बनी रेगुलेटरी कमेटी का हवाला देते हुए स्कूलों पर कार्रवाई करने की बात की। इस पर डीसी बोले-फीस वृद्धि और री-एडमिशन रोकना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने तो खुद एक निजी स्कूल में वार्षिक शुल्क देकर अपने बच्चों का दाखिला करवाया है।

    इसके बाद डीसी के समझाने पर अभिभावकों ने डिवीजनल कमिश्नर वकमेटी चेयरपर्सन राज कमल चौधरी को निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत सौंपी। कमिश्नर ने कहा कि जांच में शिकायत सही पाई जाती है स्कूल पर कार्रवाई तय है। इससे पूर्व डीसी ने अभिभावकों को समझाया कि सरकार ने रेगुलेटरी कमेटी का गठन किया है। कमेटी के चेयरपर्सन डिवीजन कमिश्नर हैं। आप अपनी बात कमेटी के पास लेकर जाएं। उनको ही कार्रवाई का अधिकार है। हर शिकायत का निपटारा कमेटी के सदस्य करेंगे। हालांकि डीसी ने अभिभावकों द्वारा देर रात द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियां रोकना सरासर गलत बताया।अभिभावकों के सवालों का जवाब देते डीसी वरिंदर कुमार शर्मा।

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    शिकायत कमेटी के पास पहुंचा दी जाएगी

    डीसी वरिंदर कुमार शर्मा ने निजी स्कूलों द्वारा खेतों में किताबें बेची जाने का मामला गंभीर है। अभिभावकों की शिकायत पहुंची है। उक्त शिकायत को कमेटी के पास पहुंचा दी जाएगी।

    स्कूल की मान्यता रद कर सकती है कमेटी

    कमेटी को 15 दिन के भीतर जांच करनी होगी। 60 दिन में शिकायत पर निर्णय सुनाना होगा। शिकायत सही होने पर प्राइमरी स्तर पर तीस हजार, मिडिल स्कूल पर पचास हजार व सेकेंडरी लेवल पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। दूसरी गलती पर जुर्माना डबल और तीसरी पर मान्यता रद हो सकती है।

    फीस वृद्धि पर प्रिंसिपल को लगाई लताड़

    डीसी ने एक स्कूल प्रिंसिपल की लताड़ लगाते हुए कहा कि फीस वृद्धि नहीं कर सकते। एक्ट के मुताबिक आठ प्रतिशत फीस में वृद्धि कर सकते हैं। आठ फीसद से अधिक फीस अभिभावक से नहीं ले सकते। स्कूल मैनेजमेंट के साथ मीटिंग कर मामले को सुलझाएं। स्कूल की सिक्योरिटी को पुख्ता रखें।

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