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    पंजाब में अब इलाज की नो टेंशन, मान सरकार ने बढ़ाया आयुष्मान सेहत योजना का दायरा; 65 लाख परिवारों को मिलेगा फायदा

    Punjab Newsपंजाब सरकार ने आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना (एबी-एमएमएसबीवाई) के तहत कवर किए जाने वाले परिवारों की संख्या बढ़ाकर 65 लाख करने का फैसला किया है। पहले यह योजना लगभग 45 लाख परिवारों को कवर कर रही थी। इस योजना के तहत मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। इससे पंजाब के लोगों को बड़ा फायदा होगा।

    By Jagdish Kumar Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 27 Mar 2025 10:21 PM (IST)
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    पंजाब में 65 लाख परिवारों का स्वास्थ्य बीमा (जागरण ग्राफिक्स)

    जगदीश कुमार, जालंधर। राज्य में लोगों को महंगे इलाज से निजात दिलाने तथा स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आप सरकार की ओर से आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना (एबी-एमएमएसबीवाई) का दायरा बढ़ाने के लिए बजट में हरी झंडी दे दी है।

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    राज्य में इस योजना के तहत पहले 45 लाख के करीब परिवारों को कवर किया जा रहा है, जो अब 65 लाख के करीब परिवारों तक पहुंचेगी। अधिसूचना जारी होने के बाद योजना के लाभ का इंतजार खत्म होगा।

    सेहत विभाग के सेवानिवृत्त डायरेक्टर डॉ. भागमल का कहना है कि एबी-एमएमएसबीवाई पंजाब में पहले से ही लागू है। राज्य सरकार ने इसका दायरा बढ़ाया है। अब ज्यादा परिवारों को इसका लाभ पहुंचेगा। इसके लिए लोगों को ज्यादा लंबा इंतजार नही करना पड़ेगा।

    साल 2018 में लागू की गई थी योजना

    राज्य में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना (एबी-एमएमएसबीवाई) 20 अगस्त 2019 में शुरू की गई थी। इस बाद सरकार की ओर से कैंप लगा लगा कर विभिन्न वर्गों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए थे।

    विभाग की ओर से जिला स्तर पर अधिकारियों को कार्ड बनाने का लक्ष्य दिया गया था। टीमों ने आधार कार्ड और विभिन्न वर्गों के सिस्टम में शामिल डाटा के आधार पर कार्ड बनाए थे। अब हर वर्ग को यह सुविधा मिलने वाली है। इसके लिए सरकार अधिसूचना जारी करेगी और काम शुरू जाएगा।

    मरीजों को योजना के तहत सेहत सेवाएं देने के लिए राज्य में 523 निजी तथा 208 सरकारी अस्पताल योजना के तहत मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवा रहे है। मरीजों के इलाज के लिए 1579 पैकेज निजी तथा 187 पैकेज सरकारी अस्पतालों के लिए रखे गए है।

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    जिला नेटवर्क कर रहा दायरा बढ़ाने पर काम

    स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) की सीईओ गौरी पराशर जोशी का कहना है कि बजट में पहले से ही चल रही एबी-एमएमएसबीवाई का ज्यादा लोगों तक लाभ पहुंचाने के लिए दायरा बढ़ाया है। विभाग के पास इसे लेकर पहले से ही जिला स्तर पर नेटवर्क काम कर रहा है। उसी को आधार बनाया जाएगा।

    योजना के तहत कैशलैस इलाज की राशि पांच से दस लाख रूपये करने तथा नए लाभपात्रियों को योजना का लाभ पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी। सिस्टम अपडे़ट करने, रणनीति तैयार करने तथा लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए सेहत विभाग के प्रमुख सचिव अधिकारियों के साथ बैठक कर रूपरेखा तैयार करेंगे और उसे जमीनी स्तर पर लागू करवाया जाएगा।

    निजी अस्पताल का बकाया बन रहा चुनौती

    साल 2019 में एबी-एमएमएसबीवाई लागू होने के बाद तकरीबन हर साल इंपेनलमेंट में शामिल निजी अस्पतालों के मालिकों को बकाया राशि न मिलने का मामला गर्माता आ रहा है। इसकी वजह से निजी अस्पताल उक्त योजना के तहत मरीजों का इलाज करने से हाथ खींच लेते है।

    इसकी वजह से मरीजों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर इलाज करवाना पड़ता है। आईएमए के प्रदेश प्रधान डॉ. विकास छाबड़ा का कहना है कि लंबित अदायगी को लेकर समस्या लंबे समय से चल रही है। अब केवल 150 करोड़ रुपये के करीब बकाया है और सरकार ने अदायगी करने की रफ्तार बढ़ा दी है।

    उन्होंने सरकार को इसे किसी सरकारी बीमा कंपनी के माध्यम से चलाए, जो राज्य सरकार के पास कम से कम 50 प्रतिशत राशि सुरक्षा के रूप में जमा कर सके। इससे यह सुनिश्चित होगा कि लाभार्थी उपचार से वंचित न हों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता भुगतानों में देरी से प्रभावित न हों।

    अब लगभग 100 प्रतिशत आबादी इस योजना के तहत कवर की जाएगी, निजी अस्पताल सरकार के प्रतिपूर्ति पर भारी निर्भर होंगे। भुगतान में कोई भी देरी सीधे रोगी देखभाल को प्रभावित करेगी। उन्होंने सरकार को उपचार पैकेज दरों को एचबीपी 2.2 दिशानिर्देशों के अनुरूप संशोधित करने की मांग की है।

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