किसान नेता डल्लेवाल से कर सकते हैं मुलाकात, हाई कोर्ट ने हटाई रोक; कहा- छुट्टी लेकर जा सकते हैं घर
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से अस्पताल में मिलने आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई रुकावट न हो। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पताल के नियमों और प्रोटोकॉल का पालन किया जाना आवश्यक होगा। डल्लेवाल को 19 और 20 मार्च की दरमियानी रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से अस्पताल में मिलने आने वाले परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों या किसी भी अन्य व्यक्ति को कोई रुकावट न हो। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पताल के नियमों और प्रोटोकॉल का पालन किया जाना आवश्यक होगा।
यह आदेश तब आया जब जस्टिस मनीषा बत्रा ने डल्लेवाल की रिहाई को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया। कोर्ट ने माना कि डल्लेवाल को 19 और 20 मार्च की दरमियान रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था और यह भी स्वीकार किया गया कि उनकी तबीयत खराब होने के कारण ऐसा किया गया, क्योंकि वह किसानों की मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे।
'डल्लेवाल अपनी मर्जी से ले सकते हैं छुट्टी'
जस्टिस बत्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि वह किसी भी प्रकार की अवैध हिरासत में नहीं हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत उनकी सेहत को देखते हुए अस्पताल में भर्ती किया गया है। कोर्ट के निर्देश के तहत परिवार और कुछ किसान नेताओं ने अस्पताल में उनसे मुलाकात भी की थी।
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याचिकाकर्ता के वकील ने भी इस तथ्य को नकारा नहीं, बल्कि जब अदालत ने पूछा कि क्या डल्लेवाल खुद अस्पताल से डिस्चार्ज होना चाहते हैं, तो वकील ने इसका जवाब ‘नहीं’ में दिया। अदालत ने कहा कि डल्लेवाल अपनी मर्जी से अस्पताल से छुट्टी लेकर घर जा सकते हैं, इसलिए इसे अवैध हिरासत नहीं कहा जा सकता।
चार दिन पहले अस्पताल में हुए थे एडमिट
किसानों के संयुक्त मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता डल्लेवाल को चार दिन पहले पटियाला के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस मामले में याचिकाकर्ता किसान नेता गुरमुख सिंह की ओर दलील दी थी कि डल्लेवाल को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि उनकी हिरासत किसानों के आंदोलन को दबाने और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों में डर पैदा करने का प्रयास है, जो संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा और संघ बनाने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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