मुख्तार अंसारी के लिए आसान नहीं होगा पंजाब से यूपी के बांदा तक 890 KM का सफर
पंजाब सरकार को आखिरकार रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश भेजना पड़ेगा। संभावना है कि मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल ले जाया जाएगा। वैसे मुख्तार अंसारी के लिए पंजाब से बांदा तक की 890 किलोमीटर का सफर आसान नहीं होगा।

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी/अखंड प्रताप]। उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार विधायक और बाहुबली की पहचान रखने वाले मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी और पंजाब की सरकार के बीच चल रहे घमासान का अंत होता दिखाई दे रहा है। पंजाब सरकार की दलीलों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार को दो हफ्तों के अंदर उत्तर प्रदेश भेजने का निर्दश दिया है। अब प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ये तय करेगा कि मुख्तार को यूपी की किस जेल में रखा जाएगा। फिलहाल माना ये जा रहा है कि मुख्तार को अभी यूपी की बांदा जेल में ही शिफ्ट किया जाएगा। वहां बांदा जेल के डाक्टर की मुख्तार अंसारी को चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। ऐसे में मुख्तार अंसारी के लिए रोपड़ जेल से बांदा तक का सफर 890 किलोमीटर तक का सफर आसान नहीं होगा।
तीन राज्यों के 10 जिलों के 21थानों में दर्ज हैं 46 मुकदमे
अपराध से लेकर राजनीति के सफर में मुख्तार के उपर एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज हुए। 1988 में मुख्तार का नाम पहली बार एक पुलिस कांस्टेबल की हत्या में आया था। यह हत्या किसी मामूली पुलिसवाले की नहीं, बल्कि उस दौर में पूर्वांचल में स्थापित हो रहे एक माफिया त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह की थी। त्रिभुवन सिंह की भाई की दिनदहाड़े हत्या के में नाम आने के बाद मुख्तार अपराध की जो सीढ़ी एक बार चढ़े तो फिर चढ़ते ही चले गए। देखते ही देखते तीन राज्यों के 10 जिलों के 21 थानों में अलग-अलग 46 मामले दर्ज होते गए।
लंबा है रोपड़ से बांदा तक का सफर
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मुख्तार अंसारी को बांदा से 890 किलोमीटर दूर पंजाब की रोपड़ (रूपनगर) जेल में शिफ्ट किया गया था। रंगदारी मांगने के एक मामूली मामले में ट्रांजिट रिमांड पर मुख्तार को रोपड़ जेल लाया गया था। इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकारों के बीच मुख्तार के जेल ट्रांसफर को लेकर खींचतान चल रही थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजाब सरकार पर मुख्तार को संरक्षण देने का इल्जाम लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। इस पर पंजाब सरकार ने मुख्तार के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की बात कही थी।
इसको लेकर शिरोमणि अकाली दल के विधायक विक्रम सिंह मजीठिया ने भी पंजाब विधानसभा में सरकार पर जमकर हमला बोला था। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एकबार फिर मुख्तार को उत्तर प्रदेश की जेल शिफ्ट किए जाने की बात हो रही है तो वहीं रोपड़ से बांदा तक का 890 किमी का सफर मुख्तार के लिए कितना लंबा होता है ये देखने वाली बात होगी।
बृजेश सिंह के अलावा भी कई नए दुश्मन हैं मुख्तार के
कभी बृजेश सिंह के साथ दोस्ती से बदली दुश्मनी ने मुख्तार को के 90 दशक में पूर्वांचल की सत्ता पर काबिज किया था , लेकिन समय के साथ साथ मुख्तार के औऱ भी दुश्मन खड़े होते गए। बताया जाता है कि पूर्वांचल की जेलों में अब भी कई ऐसे माफिया बंद हैं जो मुख्तार से खार खाए बैठे हैं। वहीं मुख्तार के दाहिना हाथ माने जाने वाले मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हुई हत्या के बाद से पूर्वांचल पर उसकी पकड़ भी कम पड़ने लगी। 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल की तन्हाई बैरक मेंं हुई कुख्यात मुन्ना बजरंगी की नौ गोलियां मारकर हत्या के बाद से ही मुख्तार और उसके लोगों का कब्जा ढ़ीला पड़ने लगा।
पूर्वांचल की राजनीति और अपराध पर कितना प्रभाव
15 जुलाई 2001 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद कोतवाली के उसरी चट्टी गांव में हुई एक घटना ने पूर्वांचल के अपराध में बड़ा बदलाव ला दिया। जहां विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर हुए हमले में उनके गनर समेत एक हमलावर की मौत हो गई। इस हमले के दौरान घायल हुए बृजेश सिंह की गोली लगने के चलते हुए टिटनेस से मौत की खबर भी इलाके में फैल गई।
इसके साथ ही पूर्वांचल के एक इलाके में मुख्तार का पूरी तरह से कब्जा हो गया। हालांकि, पूर्वांचल के दूसरे छोर में अभी भी माफियाओं के 'गुरु कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी काबिज थे। जिनके संबंध भी मुख्तार से अच्छे बताए जाते थे। इस घटना के बाद से ही यूपी बिहार के अधिकतर सराकारी ठेकों पर मुख्तार गैंग का कब्जा हो चुका था। हालांकि पिछली सरकारों के उपर भी मुख्तार को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं।
भाजपा विधायक की हत्या के बाद यूपी में फैली थी दहशत
29 नवंबर 2005 को मुहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्धाटन करने के बाद लौटते समय कर दी गई। इस हमले में शामिल छह अपराधियों ने हमले के लिए एक ऐसी जगह को चुना, जहां से गाड़ी लेकर भागने का कोई भी रास्ता नहीं था। इस दौरान विधायक की बुलेटप्रूफ टाटा सफारी पर चारों तरफ से घेरकर एके-47 से 500 से अधिक राउंड फायर किए गए। हमले में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
पोस्टमार्टम के दौरान कृष्णानंद राय के शरीर से 21 गोलियां निकाली गयीं थीं। इस जघन्य हत्याकांड में मुख्तार अंसारी, उनके भाई अफजाल अंसारी, संजीव महेश्वरी, प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी, हनुमान पांडेय उर्फ राकेश, रामू मल्लाह और एजाजल हक को आरोपी बनाया गया था। इस सभी आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
इस हत्याकांड के समय मुख्तार अंसारी जेल में बंद था और इस जघन्य हत्याकांड का उद्देश्य सिर्फ कृष्णानंद राय की हत्या नहीं, बल्कि पूर्वांचल में अपना वर्चस्व दिखाने का जरिया माना गया। हालांकि केस के दौरान ही इस मामले के गवाह शशिकांत राय की साल 2006 में मौत हो गई, जिसे पुलिस ने आत्महत्या बताते हुए इसकी फाइल बंद कर दी गई।
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