रिश्तों में साजिश: बेटों ने धोखा देेकर घर बेचकर बांट लिए पैसे, वृद्धाश्रम में पहुंचे मां-बाप
गुरदासपुर में एक बजुर्ग दंपती अपने बेटों के धोखे का शिकार हो गए। उनके बेटों ने धोखा देकर घर बेच दिया और फिर बेसहारा छोडु दिया। इसके बाद उनको वृद्धाश्रम की शरण लेनी पड़ी।
गुरदासपुर, [सुनील थानेवालिया]। लोग संतान के लिए क्या कुछ नहीं करते। उन पर अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर देते हैं। उनको पाल-पोस कर बड़ा करते हैं और उसे पैरो पर खड़ा करने के लिए सारे जतन करते हैं। उनकी बस यही आस होती है कि बच्चे बुढ़ापे में उनका सहारा बनेंगे और देखभाल करेंगे। लेकिन, यहां दो बेटों ने अपने माता-पिता के साथ ऐसा छल किया कि इस रिश्ते से उनका विश्वास उठ गया। बुजुर्ग निर्मल सिंह और कमलेश रानी बेटों के धोखे के कारण वृद्धाश्रम पहुंच गए। बेटों ने उनकाे धोखा देकर घर बेच दिया और पैसे बांट लिये। इसके बाद माता-पिता को बेसहारा छोड़ दिया।
बेटों के धोखे से आहत निर्मल सिंह व कमलेश रानी कहते हैं, मां-बाप बच्चे के जन्म से लेकर उसके पैरों पर खड़ा होने तक अच्छी तरह से देखभाल करते हैं। खुद कष्ट झेलते हैं और इस कोशिश में रहते हैं कि बच्चों को कोई तकलीफ न लो। अच्छी परवरिश के बाद भी बच्चे मां-बाप को रोने के लिए विवश कर देते हैं तो इस रिश्ते से विश्वास उठा जाता है।
दुखी मां-बाप बोले-मरने के बाद बेटों को न लगाने दी जाए चिता को आग
गुरदासपुर में हेल्प एज इंडिया की ओर से गांव बब्बरी में चलाए जा रहे वृद्ध आश्रम में पहुंचे बुजुर्ग दंपती निर्मल सिंह व उसकी पत्नी कमलेश रानी ने बताया कि उनके दो बेटे हैं। एक जालंधर और दूसरा पठानकोट में काम करता है। मेहनत-मजदूरी कर दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाई। बेटे प्रिंटिंग का काम करने लगे। बड़े बेटे की शादी की। इसके बाद वह पत्नी के साथ अलग रहने लगा।
एक बेटा जालंधर और दूसरा पठानकोट में करता है काम
निर्मल सिंह व उसकी पत्नी कमलेश रानी ने बताया, इसके बाद छोटे बेटे ने पठानकोट में शादी कर ली और वहीं बस गया। शादी के दो महीने बाद बेटों ने बड़ी शातिर चाल चली। उन्होंने कहा, अब वे बुजुर्ग अवस्था में अकेले कहां रहेंगे। छोटे बेटे ने अपने साथ पठानकोट में आकर रहने की पेशकश की। इस पर वे राजी हो गए और उसके साथ पठानकोट आ गए। फिर दोनों बेटों ने धोखे से उनका घर साढ़े तीन लाख रुपये में बेच दिया। पैसा दोनों ने आपस में बांट लिए।
बुजुर्ग दंपती ने रोते हुए बताया कि जैसे ही यह सारा काम हो गया तो बहू ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और उन्हें बात-बात पर परेशान करने लगी। इसके बाद बेटे ने उन्हें पठानकोट में ही एक अलग कमरा किराये पर ले दिया। बेटे ने कमरे का किराया नहीं दिया, जिस पर मकान मालिक ने भी बुरा भला कहना शुरू कर दिया। आसपास के लोगों ने जब उनकी बुरी हालत देखी तो गुरदासपुर के वृद्ध आश्रम में पहुंचा दिया।
चिता को अग्नि देने का हक छीना
मां-बाप की चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार बेटों का होता है, लेकिन बेटों के सताए इस बुजुर्ग दंपती ने बेटों से यह हक छीन लिया है। उन्होंने कहा कि उनकी मौत के बाद उनको मुखाग्नि आश्रम के लोग ही दें। आश्रम के मैनेजर दविंदर सिंह ने बताया कि इस समय आश्रम में 32 बुजुर्ग रह रहे है। उनमें यह दंपती भी शामिल है। इनकी पूरी देखरेख की जा रही है।
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