खेत में सजा था मंडप, विदाई में मेहमानों को दिए पौधे; कनाडा से शादी करने आए इंजीनियर्स ने अनोखे अंदाज में लिए फेरे
पंजाब के फिरोजपुर में एक अनोखी शादी हुई है। इस शादी में कहीं कोई फिजूलखर्ची देखने को नहीं मिली। इंजीनियर दुर्लभ और हरमनदीप कौर की शादी के लिए खेतों में मंडप सजाया गया था। शादी में आए मेहमानों को पौधे और मिठाई के रूप में शहद के डिब्बे भेंट दिए गए। बता दें कि दोनों कनाडा के एक मंल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं।
सत्येन ओझा, सोनू अटवाल, फिरोजपुर। इलेक्ट्रो मैकेनिकल इंजीनियर ने अपनी लाइफ पार्टनर को मायके में अंतिम दिन विदाई के आंसू देने की की बजाय ससुराल में पहले दिन की खुशी देने की सोच के साथ अपनी शादी को नये मायने दिये। शादी में शामिल हुए मेहमानों को उपहार के रूप में पौधे भेंट किये गये। पूरा शादी समारोह सभी धार्मिक रीति रिवाज के साथ बहुत ही सादगी के साथ खेत में बने पांडाल व उसी में सजे मंडल में हुआ।
MNC में बेहतर पैकेज पर काम कर रहे हैं दोनों
नवदंपत्ति दुर्लभ व हरमनदीप कौर दोनों ही कनाडा में मल्टीनेशनल कंपनी में बेहतर पैकेज के साथ काम कर रहे हैं। चाहते तो अच्छे मैरिज पैलेस में शादी करते, लेकिन एक दशक से कनाडा में रह रहे दोनों युवाओं ने अपने जीवन में तरक्की तो की, लेकिन सफलता की ऊंचाइयां छूने के बावजूद दोनों ने जमीन से जुड़ने रहने का माद्दा दिखाया। मेहमानों को मिठाई के डिब्बों के रूप में शहद वितरित किया गया।
दूल्हे ने कही ये बात
सॉफ्टवेयर इंजीनियर दुर्लभ का कहना है कि रिश्ता परिवार ने तय किया था, उस समय वे एक दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन मंगनी होने के बाद दोनों अमेरिका में सेटल होने के कारण शादी से पहले आपस में मिलते रहे थे, लेकिन दोनों के विचार एक ही थे, शादी अपने पिंड में जाकर ही सभी धार्मिक रीति रिवाज के साथ व बहुत ही सादगी से करेंगे।
दूल्हा बने इंजीनियर दुर्लभ का कहना है वे अक्सर दूसरों की शादियों में देखते थे कि दुल्हन की जब विदाई होती है जो मायके में गमगीन माहौल बन जाता है, दुल्हन की आंखों में विदाई के दौरान आंसू होते हैं, यही हाल परिवार का होता है, यही वजह है कि उन्होंने फैसला किया कि वे शादी अपने छूट फाजिल्का रोड स्थित गांव में चुके गांव करीकलां में करेंगे।
दोनों के परिवार अब गांव को छोड़कर फिरोजपुर शहर में बस चुके हैं, लेकिन उनके सगे संबंधी अभी भी गांव में ही रहते हैं, ऐसे में दोनों ने सोचा कि मायके व ससुराल के अंतर को दूर करके अपने गांव के खेतों में जाकर शादी करेंगे।
दुल्हन को मायके में अंतिम दिन का अहसास न हो, विदाई के समय माहौल गमगीन न हो, बल्कि शादी के बाद पहले ही दिन से दुल्हन के चेहरे पर खुशी हो। इस सोच के साथ दोनों ने शादी को नये अंदाज में किया। हालांकि सब कुछ वैसे ही हुआ दुर्लभ घोड़ी पर सवार होकर शादी समारोह स्थल तक पहुंचे, जबकि दुल्हन अपने परिजनों व सखियों के साथ कार में पहुंची थी।
शादी में नहीं दिखी फिजूलखर्ची
शादी काफी भव्य समारोह में हुई लेकिन फिजूलखर्ची कहीं भी नहीं दिखी। दुल्हन बनीं हरमनदीप कौर का कहना है कि शादी के इस नये स्वरूप से वे बेहद खुश हैं, हालांकि नये रीत रिवाज के साथ शादी करने की योजना दोनों की संयुक्त थी। हरमन बताती हैं कि सब कुछ वैसे ही हुआ जैसा उन्होंने सोचा था।
उपहार में पौधे पाकर बाराती ही नहीं बल्कि दोनों पक्षों के लोग खुश थे, क्योंकि उपहार में दिया गया एक पौधा नहीं था, ये आने वाले भविष्य की जिंदगी थी। पर्यावरण का संदेश था।
उपहार में जो पौधे दिये गये वे सभी ज्यादा आक्सीजन देने वाले व पर्यावरण सुरक्षा देने व औषधि महत्व के पौधे थे, जिनमें नीम, पीपल, बोहड़, अजवाइन, आंवला आदि के पौधे शामिल थे। इस अनोखी शादी से न सिर्फ दोनों ही परिवार बल्कि सभी सगे संबंधी पूरी तरह खुश नजर आ रहे थे।
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