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    Firozpur Accident: मां ने मना किया था शादी में जाने से, मौत के मुंह में खींच ले गई जिद; काफी मन्नतों के बाद हुआ था बेटा

    Updated: Fri, 31 Jan 2025 08:48 PM (IST)

    एक दुखद घटना में एक 35 वर्षीय व्यक्ति की जान चली गई जब वह एक शादी में वेटर के रूप में काम करने पर अड़ा रहा। उसकी 70 वर्षीय मां ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना। इस हादसे में उसका 40 वर्षीय साला भी मारा गया। दोनों परिवारों में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा है।

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    सुखविंदर सिंह की मौत के बाद बिलखती मां रशपाल कौर, फिरोजपुर हादसे में 11 लोगों की मौत।

    डॉ. तरुण जैन/गुरुप्रीत शर्मा, गुरुहरसहाय (फिरोजपुर)। चार बेटियों के बाद काफी मन्नतें मांगने पर मिले बेटे को उसकी जिद उसे 35 साल की उम्र में ही मौत के मुंह में खींच ले गई। 70 साल की बुजुर्ग मां ने बेटे को बहुत रोका था, वह शादी में वेटर के रूप में काम करने न जाय, लेकिन बेटा जिद करके चला गया। 

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    उसका 40 साल का साला भी इसी हादसे में मौत के मुंह में समा गया। बिडंबना देखिए जीजा साले दोनों के ही परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है, किशोर बेटियों के हाथों में ही अब परिवार की बागडोर है, किराये का मकान है। बुजुर्ग मां का सिविल अस्पताल में रो-रो कर बुला हाल था।

    'भरी जवानी में बुढ़ापे में छोड़कर चला गया'

    सुखविंदर सिंह का मोर्चरी में जब शव रखा जा रहा था तो बिलखती मां रशपाल कौर बता रही थी चार बेटियों के बाद परमात्मा से तमाम मन्नतों से बेटा मांगा था, लेकिन वह बेटा भी भरी जवानी में उन्हें बुढ़ापे में छोड़कर चला गया। 70 वर्षीय पिता महिंदर सिंह की आंखों में भी आंसू का सैलाब थमता नजर नहीं आ रहा था।

    पिता महेन्द्र सिंह दिहाड़ी मजदूरी करते थे। पिछले महीनों से बीमार होने के कारण वह घर पर ही रहते हैं। घर किराये का है, कमाने वाला एक बूढ़े मां बाप का एक मात्र सहारा भी छिन गया।

    वेटर के रूप में काम करने चला गया बेटा

    सुखविंदर सिंह की पांच बहनें हैं, पाचों की शादी हो चुकी है। बेटी को ब्याहने के बाद बेटे का सुख देखने की लालसा अधूरी ही रह गयी। सुखबिंदर सिंह की शादी के तीन साल बाद ही उसकी पत्नी उसे तलाक देकर मायके चली गई थी। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था।

    उसकी सबसे बड़ी बेटी 12 साल की पलक है। वह अपनी दादी के पास ही रह रही है। माता रशपाल कौर ने बताया कि वह पहले गांव रोहीवाला में रहते थे, अब ममदोट में किराये के मकान में रहे हैं। बेटा गुरूहरसहाय में अपनी बहन के पास रहता था।

    बेटा रात से ही वेटर के रूप में काम करने के लिए जलालाबाद जाने का कह रहा था, लेकिन किसी अनहोनी की आशंका में मां का दिल घबरा रहा था, उसने बेटे को मना किया था वह न जाय, लेकिन सुखबिंदर जिद करके घर से चला गया था।

    गोविंदा की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर

    सुखबिंदर सिंह ही नहीं, बल्कि उसका साले गोविंदा की भी इसी हादसे में मौत हो गई। गोविंदा के परिवार की कहानी भी जीता सुखबिंदर सिंह जैसी है, पिता अक्कू बुजुर्ग होने के कारण कोई काम नहीं करते हैं। गोविंदा की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा खराब होने के कारण वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सका। 

    15 साल की बेटी मुस्कान लोगों के घरों में काम करती रही, जबकि बीच का 13 साल का बेटा सर्विस स्टेशन पर गाड़ियों की धुलाई का काम कर परिवार के पालन में मदद करता है, सबसे छोटा गगन 10 साल का है। गोविंदा की मां की पहले ही मौत हो चुकी है।

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