Dussehra 2022: पंजाब के फाजिल्का में बुत बनाने से पहले की जाती है रावण की पूजा
कांशीराम ने कहा कि रावण व उसके भाइयों के बुत बनाने के दिनों में वह महाज्ञानी पंडित रावण का पुजारी हो जाता है तब जाकर वह बुतों को साकार रूप प्रदान कर पाता है। इन बुतों को बनाने के लिए 15 दिन लगते हैं।

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का: बालाजी धाम के साथ बने ग्राउंड में हर साल दशहरे पर रावण के पुतले निर्माण से पहले उनकी पूजा की जाती है। पुतलों का निर्माण करने वाले कांशीराम गहलोत ने बताया हर बार सोचता हूं कि इस बार की सेवा किसी और कलाकार से ले ली जाए। दशकों की भक्ति इतने अंदर तक समा गई है कि उसे यह सेवा का मौका मिलता है, जिसके जरिए समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश हर साल दिया जाता है।
गहलोत 26 साल से रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बना रहे हैं। इस कार्य में उनका भांजा विनोद खत्री भी पूर्ण सहयोग कर रहा है। फाजिल्का की माधव नगरी के रहने वाले कांशीराम गहलोत का पूरा जीवन ही रामलीला को समर्पित रहा है। वह खुद 75 वर्ष के हैं, जबकि रामलीला के साथ पिछले 65 वर्षों से जुड़े हुए हैं। कांशीराम गहलोत ने बताया कि छोटी सी आयु में ही उन्होंने श्री सेवा समिति रामलीला के मंच पर मंचन किया।
आज से 25 वर्ष पहले जब कोई बुत बनाना भी नहीं आता था तब श्री सेवा समिति रामलीला ने उसे चुना। उसने उससे पहले एक बार हुए दशहरे में बनी तस्वीर को देखकर और महाज्ञानी रावण की पूजा कर बुत तैयार किए, जिसके बाद यह सेवा अब तक जारी है। अधिक आयु के चलते हर बार सोचते हैं कि इस बार वह नए कलाकार को मौका देते हुए छुट्टी ले लेंगे, लेकिन उनके अंदर भरी भक्ति इस सेवा को छुटने नहीं देती।
15 दिन तक की जाती है महाज्ञानी की पूजा
गहलोत ने कहा कि रावण का पुतला बनाने के लिए केवल उसके किए बुरे कार्यों की ही नहीं बल्कि उसके विद्वता की जानकारी होना भी जरूरी है। रावण एक महाज्ञानी पंडित था। उसके जैसा विद्वान इस ब्रह्मांड में कोई दूसरा नहीं था। उसके तप का ही परिणाम था कि उसकी मौत भगवान राम के हाथों हुई।
कांशीराम ने कहा कि रावण व उसके भाइयों के बुत बनाने के दिनों में वह महाज्ञानी पंडित रावण का पुजारी हो जाता है, तब जाकर वह बुतों को साकार रूप प्रदान कर पाता है। इन बुतों को बनाने के लिए 15 दिन लगते हैं। वह रोजाना इन बुतों को बनाने से पहले रावण की पूजा व प्रसाद बांटता है।
चार वर्ष से खुद नहीं देखा दशहरा
कांशी राम गहलोत ने पिछले चार वर्ष से खुद दशहरा नहीं देखा। वर्ष 2017 में दशहरा देखने के दौरान उनकी हृदय में समस्या होने के चलते उन्हें उपचार के लिए अस्पताल भर्ती करवाया गया, जिसके बाद वह स्वस्थ हो गए। तब से लेकर अब तक वह भले ही दशहरा देखने नहीं गए।
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