Dussehra 2022: पंजाब के गांव में खलनायक नहीं है रावण...दशहरा पर होती है पूजा, जानें खास परंपरा
Dussehra 2022 लुधियाना के पायल कस्बे में 150 साल से रावण की पूजा होती है। यहां रावण का सीमेंट का पक्का बुत भी है। मान्यता है पुत्र की प्राप्ति के लिए लोग इस बुत की पूजा करने के लिए पहुंचते हैं।
दीपिका, लुधियाना। Dussehra 2022: दशहरे का पर्व 5 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाएगा। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देशभर में रावण का दहन होता है। हमारे देश में रावण को खलनायक के रूप में देखा जाता है। वहीं कई स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण दहन नहीं, बल्कि पूजा जाता है। हम बात कर रहे हैं लुधियाना के पायल कस्बे की।
पुत्र की प्राप्ति के लिए बुत की पूजा करते हैं लोग
यहां 150 साल से रावण की पूजा होती है। यहां रावण का सीमेंट का पक्का बुत भी बना हुआ है, जो आकर्षक का केंद्र है। यहां न तो रावण के पुतले बनाए और न ही जलाए जाते हैं। मान्यता है कि पुत्र प्राप्ति के लिए लोग इस बुत की पूजा करते हैं। दूबे परिवार के सदस्य अनिल बताते हैं हमारे पूर्वज हकीम बीरबल दास को दो विवाह के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। इस बात से परेशान हो उन्होंने संन्यास ले लिया था।
रावण का 25 फीट ऊंचा बुत बनवाया
संन्यास के दौरान एक संत ने उन्हें गृहस्थ जीवन जीने की प्रेरणा दी। दशहरे वाले दिन उन्हें बेटा हुआ। उसके बाद उनके बेटे ने 1833 में श्री राम मंदिर की स्थापना की। रावण के प्रति भी परिवार में आस्था बनी। फिर रावण का 25 फीट ऊंचा बुत बनवाया।
वर्तमान में दी जाती है सांकेतिक बलि
पहले के समय दशहरे पर रावण की प्रतिमा की पूजा के समय बकरे की बलि और शराब चढ़ाने की प्रथा रही थी। शराब तो आज भी चढ़ाई जाती है, लेकिन, वर्तमान में अब केवल सांकेतिक बलि ही दी जाती है। बकरे के कान से थोड़ा सा खून लेकर बुत का तिलक किया जाता है।
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