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हंगामे के कारण पंजाब कैबिनेट की बैठक स्‍थगित, दो मंत्रियों ने किया बहिष्‍कार

पंजाब कैबिनेट की बैठक में आज हंगामा हो गया। मंत्री और एक वरिष्‍ठ अधिकारी के बीच तीखी बहस हो गई। इस कारण आबकारी नीति पर फैसला नहीं हो सका।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 06:23 PM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 06:54 PM (IST)
हंगामे के कारण पंजाब कैबिनेट की बैठक स्‍थगित, दो मंत्रियों ने किया बहिष्‍कार
हंगामे के कारण पंजाब कैबिनेट की बैठक स्‍थगित, दो मंत्रियों ने किया बहिष्‍कार

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब कैबिनेट की बैठक में अभूतपूर्व हंगामा हो गया। पंजाब में शराब ठेकों को नीलामी और आबकारी नीति (एक्साइज पॉलिसी) पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई प्री-कैबिनेट की मीटिंग में मंत्रियों और अफसरों के बीच जमकर विवाद हाे गया और हंगामा हुआ। दो वरिष्‍ठ मंत्री बैइक का बहिष्‍कार कर बाहर चले गए। इस कारण कैबिनेट की बैठक नहीं हो सकी और आबकारी नीति पर फैसला नहीं हो सका।

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बतायसा जाता है कि हंगामे से नाराज होकर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल और तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी मीटिंग का बहिष्कार करके चले गए। हालांकि चीफ सेक्रेटरी ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन दोनों मंत्री नहीं माने। मंत्रियों की नाराजगी की वजह से कैबिनेट की मीटिंग भी नहीं हो सकी। अब कैबिनेट की मीटिंग 11 मई को होगी।

हुआ यूं कि पंजाब के कर एवं आबकारी विभाग ने लॉक डाउन के बाद नए सिरे से खोलने के लिए ठेकों को नीलाम करने की पॉलिसी तैयार की थी। जिसमें तीन विकल्प दिए गए थे। मंत्री इस बात से नाराज थे कि जब विभाग ने फैसला ही कर लिया है तो मंत्रियों से क्यों बताने की जरूरत क्या है?

मंत्रियों के ऐतराज पर चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह भी गुस्से में ही बोले तो मनप्रीत बादल यह कहते हुए मीटिंग को छोड़कर चले गए कि ऐसी मीटिंग का क्या फायदा है? उनके पीछे पीछे तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी चले गए। यह मीटिंग कैबिनेट की मीटिंग से पहले ही नीति पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। मंत्री की नाराजगी इतनी बढ़ गई कि दो बजे बुलाई गई कैबिनेट की मीटिंग को स्थगित करना पड़ा।

 आबकारी नीति पर ये हैं तीन विकल्‍प-

1. पहला विकल्प: दस फीसद एडिशनल फीस। नीति में सभी ठेकों के लाइसेंस की अवधि बढ़ाने का विकल्प दिया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के 42 दिन ठेके बंद रहने के चलते एल-2 और एल14 के रिन्यू किए गए लाइसेंस की अवधि में शुरू में आंशिक तौर पर और बाद में पूर्ण तौर पर ठेकों को खोलने की अनुमति दी जाए। जिन ठेकों के लाइसेंस रिन्यू किए गए हैं, उनसे दस फीसद एडिशनल फीस लेकर इन्हें खोलने को कहा गया है।

2. दूसरा विकल्प: असेस्ड फीस चार्ज। लॉकडाउन के कारण यदि ठेके बंद रहते हैं, तो होम डिलीवरी करने पर देसी शराब पर 55 रुपये प्रति प्रूफ लीटर, अंग्रेजी शराब पर 80 रुपये और बीयर पर 20 रुपये प्रति बल्क लीटर बतौर असेस्ड फीस चार्ज करने का प्रस्ताव है।

3. तीसरा विकल्प: लाइसेंस की अवधि 13 महीने की जाए। विकल्प तीन में कहा गया है कि चूंकि 23 मार्च 2020 से लेकर तीन मई 2020 तक ठेके बंद रहने के कारण ठेकेदारों को नुकसान हुआ है। आगे भी अगर लॉकडाउन नहीं खुला तो आर्थिक मंदी के कारण इस कारोबार को भारी चोट पहुंचेगी। अहाते, होटल, विवाह शादियों आदि में अभी पूरी छूट न मिलने के कारण शराब की बिक्री प्रभावित होगी। इसलिए एल-2 और एल 14 को एक साल की बजाय 13 महीनों के लिए अलॉट किया जाए। यह भी कहा गया है कि आबकारी नीति से प्राप्त होने वाली न्यूनतम गारंटिड रेवेन्यू का लक्ष्य 4894 करोड़ से कम होकर 3884 करोड़ रुपये बनेगा। इस तरह प्रति दिन 10.78 करोड़ रुपये ठेकों से आय प्राप्त होगी। चूंकि 1 अप्रैल से 6 मई तक ठेके नहीं खुले हैं इसलिए 400 करोड़ रुपए इनसे कम लेने बनते हैं। पॉलिसी में तीसरे विकल्प को अपनाने पर ही जोर दिया गया है। हालांकि, ऐसा करने पर कुछ बदलाव करने होंगे। लाइसेंस की अवधि 13 महीनों की होगी, ग्रुप का कोटा जो पहले निर्धारित किया गया था वह 13 माह में खपाया जाएगा।

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