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केंद्र ने पंजाब सरकार के लिए खड़ी की मुश्किल, किसानों को फसलों के भुगतान के लिए कड़े किए नियम

केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को एक और झटका दिया है। केंद्र ने किसानों को फसलों के भुगतान को लेकर पंजाब सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। केंद्र सरकार ने पत्र जारी कर फसलों का भुगतान सीधे किसानों के खाते में करने को कहा है।

By Sunil kumar jhaEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 05:35 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 08:32 PM (IST)
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर दी है। तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के लिए फसलों के भुगतान के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है किसानों को फसलों का भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाए। इसके साथ ही किसानों को फसल बेचने वाले किसानों को अपनी जमीन का भी ब्‍याेरा देना होगा। केंद्र सरकार की इस कदम के खिलाफ पंजाब आढ़ती एसोसिएशन (कालड़ा ग्रुप) ने एक अप्रैल से हड़ताल करने का एलान किया है, जबकि चीमा ग्रुप मेंआज बैठक बुलाई है।

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किसानों के खाते में होगी गेहूं खरीद की अदायगी, देना होगा लैंड रिकार्ड

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने एक के बाद एक लगातार दो पत्र जारी करके पंजाब सरकार से कहा है कि किसानों को उनकी फसल की खरीद का भुगतान सीधा उनके बैंक खातों में किया जाए। अभी यह व्यवस्था है कि किसानों को भुगतान आढ़तियों के माध्यम से किया जाता है। इसके साथ ही एक और पत्र जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि अनाज खरीद पोर्टल पर फसल बेचने वाले किसान अपना जमीन का रिकार्ड भी देंगे। ऐसे में पंजाब सरकार के लिए किसानाें को सीधे भुगतान का मुद्दा पंजाब सरकार के गले की फांस बन सकता है।

पंजाब सरकार को एपीएमसी एक्ट 1961 में संशोधन करने को कहा खाद्य मंत्रालय ने

यह भी कहा गया कि इस रिकार्ड को मंत्रालय के पास भेजा जाए ताकि वे एफसीआई के माध्यम से जब कभी चाहें तो इसे वेरिफाई भी करवा सकें। एफसीआई ने एक पत्र जारी करके कहा है कि राज्य सरकार रबी सीजन शुरू होने से पहले पहले अपने एपीएमसी एक्ट 1961 (APMC Act 1961) में बदलाव करे।

अभी यह है व्यवस्था

फिलहाल केंद्र व राज्य की खरीद एजेंसियां फसल खरीद का काम आढ़तियों के माध्यम से करती हैं। किसान फसल को अपने आढ़ती के पास लाते हैं और आढ़ती फसल की सफाई आदि की व्यवस्था करते हैं। खरीद एजेंसियों की ओर से खरीदे जाने वाले अनाज का भुगतान आढ़तियों को उनके बिल भेजने पर कर दिया जाता है और आढ़ती किसानों के खातों में आनलाइन अदायगी करते हैं। यह व्यवस्था कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने तीन साल पहले एपीएमसी में संशोधन करके की थी। इससे पहले भी किसानों को सीधी अदायगी का मुद्दा काफी गरमाया रहा है।

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अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय हाई कोर्ट ने भी किसानों को चेक से फसल की अदायगी करने का आदेश दिया था। आढ़तियों ने इसका विरोध किया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा था कि यह फैसला किसानों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह एजेंसी से भुगतान लेना चाहते हैं या आढ़ती से।

आढ़ती एसोसिएशन एक गुट ने एक अप्रैल से हड़ताल पर जाने की घोषणा की, दूसरे ने आज बुलाई बैठक

केंद्र सरकार के इन पत्रों के खिलाफ पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान विजय कालड़ा ने एक अप्रैल से हड़ताल करने का एलान किया तो आढ़ती एसोसिएशन चीमा ग्रुप के प्रधान र¨वदर ¨सह चीमा ने कहा कि रविवार को खन्ना में बैठक बुला ली गई है। यह पत्र किसानों व आढ़तियों को विभाजित करने का हिस्सा हैं। कैप्टन सरकार ने अब तक केंद्र सरकार को एपीएमसी एक्ट के बारे में नहीं बताया। एक्ट में यह व्यवस्था है कि यह किसान तय करेंगे कि उन्होंने भुगतान किससे लेना है। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन से आढ़तियों को तोड़ने के लिए यह दबाव बनाया जा रहा है।

मामला विधानसभा में भी उठा

यह मामला शुक्रवार को विधानसभा में भी उठा। आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा ने इसे उठाते हुए कहा कि इस साल 24 हजार करोड़ रुपये की गेहूं की खरीद होनी है। पंजाब में जो लोग ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं, उनको पेमेंट कैसे होगी। वे जमीनों के नंबर कैसे देंगे।

उन्होंने आशंका व्यक्त की, कि केंद्र सरकार के इस फैसले से मंडियों का सिस्टम बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने इस मामले में हाउस कमेटी बनाने की भी मांग की लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। राज्य सरकार ने भी इस मामले में अभी तक अपना कोई फैसला नहीं लिया है।

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