ट्रायल कोर्ट में आरोपियों को पेश न करने पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट सख्त, कहा लापरवाही बर्दाश्त नहीं
पंजाब में जेल अधिकारियों की लापरवाहियों पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है और कहा है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने दोषियों को तय तारीखों पर ट्रायल कोर्ट में पेश न करने की घटनाओं पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह बार-बार हो रहा है। साथ ही यह आशंका भी जताई गई है कि यह आरोपियों और प्रशासन की मिलीभगत भी हो सकती है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में जेल अधिकारियों की लापरवाहियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए सख्त निगरानी और सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अदालत ने दोषियों को तय तारीखों पर ट्रायल कोर्ट में पेश न करने की घटनाओं पर गहरी नाराजगी जताई है।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने जेल अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की लापरवाहियां न्यायिक प्रक्रिया में देरी का कारण बनती हैं और जेल प्रशासन में संभावित भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करती हैं।
उन्होंने आशंका जताई कि कुछ जेल अधिकारियों और आरोपियों के बीच "अवैध गठजोड़" हो सकता है। इसके कारण ट्रायल कोर्ट में पेशी में जानबूझकर देरी की जाती है।
कोर्ट ने दी चेतावनी कहा, यह बार-बार हो रहा है
अदालत ने चेतावनी दी कि इस तरह की हरकतें न्यायिक आदेशों का खुला उल्लंघन हैं और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट ने पंजाब के गृह सचिव को इस संबंध में आदेश की प्रति भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बार-बार आरोपियों को ट्रायल कोर्ट में पेश न करना केवल एक गलती नहीं बल्कि गंभीर लापरवाही का संकेत है। कोर्ट ने पाया है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि यह प्रवृत्ति लगातार देखने को मिल रही है। जस्टिस कौल ने कहा कि यह रवैया न्याय के मार्ग में बाधा डालने के साथ ही आरोपियों के मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है जिससे अदालतों को बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ता है।
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सख्त कदम उठाने के निर्देश
हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को दोहराया ना जाए इसके लिए सख्त निगरानी और सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। अदालत ने कहा कि जेल अधिकारियों की इस तरह की लापरवाही जानबूझकर की गई साजिश भी हो सकती है ताकि आरोपियों को ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत मिलने का मौका मिल सके। न्यायालय ने इस संभावित सांठ-गांठ को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इसे तुरंत खत्म करने के निर्देश दिए।
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गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में हुए इंटरव्यू के मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रही एसआईटी के मुखिया डीजीपी प्रबोध कुमार रिटायरमेंट के बावजूद जांच जारी रखेंगे। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें सुरक्षा, स्टाफ व प्रतिमाह 1.5 लाख रुपये मुहैया करवाने का पंजाब सरकार को आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने जेल में सुरक्षा के इंतजाम को लेकर स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई आरंभ की थी।
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