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    पंजाब में DGGI के हत्थे लगा फर्जी बिलिंग करने वाला गिरोह, 80 करोड़ रुपये की हुई घोटाले बाजी

    डीजीजीआई ने अमृतसर से बीमा क्षेत्र में 80 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग का भंडाफोड़ किया है। यह लोग फर्जी बिलिंग के जरिए लोगों को चूना लगाते थे। तलाशी के दौरान इनके पास से आपत्तिजनक सबूत और दस्तावेज बरामद किए गए हैं। मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जो इस मॉड्यूल के पीछे के मास्टरमाइंड भी थे। यह लोग बीमा पॉलिसी बेचने का काम भी करते थे।

    By Munish Sharma Edited By: Suprabha Saxena Updated: Thu, 30 Jan 2025 02:36 PM (IST)
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    DGGI ने फर्जी बिलिंग गिरोह का किया भंडाफोड़

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। सामाजिक-आर्थिक चुनौती बन चुके फर्जी बिलिंग के खतरे से निपटने के अपने प्रयास को जारी रखते हुए डीजीजीआई (DGGI) लुधियाना ने अमृतसर में एक और मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। यह मॉड्यूल 79.4 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग के जरिए समाज को ठगने में शामिल था।

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    इससे सरकार को 12.1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। राजिंदर सिंह, मनमोहन सिंह और राजिंदर पाल सिंह नाम के तीन व्यक्तियों को विभाग द्वारा गिरफ्तार किया गया है और लुधियाना में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

    तलाशी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सबूत बरामद

    लुधियाना और अमृतसर के 30 अधिकारियों की एक टीम ने 09 जनवरी 2025 को 12 व्यावसायिक और आवासीय परिसरों की तलाशी ली। तलाशी के बाद कई आपत्तिजनक सबूत और दस्तावेज बरामद किए गए।

    यह पता चला कि इनमें से कई व्यावसायिक फर्मों का प्रबंधन फर्जी व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और अधिकारियों के पास गलत जानकारी जमा की।

    आगे की जानकारी के आधार पर और जांच में प्रगति के साथ, 20 जनवरी, 2025 को लुधियाना और अमृतसर के 40 अधिकारियों की एक और टीम ने अमृतसर में 16 व्यावसायिक और आवासीय परिसरों की तलाशी ली।

    तलाशी के बाद 22 व्यावसायिक फर्मों का जीएसटी पंजीकरण रद्द कर दिया गया और उनके द्वारा फर्जी बिलिंग के माध्यम से जमा किए गए 97 लाख के क्रेडिट को ब्लॉक कर दिया गया।

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    कई शहरों से लेते थे फर्जी बिल, बीमा पॉलिसी भी बेचते थे

    तीनों आरोपित इस मॉड्यूल के पीछे मुख्य व्यक्ति और मास्टरमाइंड थे। वे कई व्यावसायिक फर्म बना रहे थे और उन्हें जीएसटी के साथ पंजीकृत करा रहे थे। इसके अलावा, वे यूपी, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों के विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं से फर्जी बिल लेते थे। वे बीमा बिक्री व्यक्ति (पीओएसपी) के रूप में भी काम कर रहे थे। जहां वे गुरुग्राम और दिल्ली स्थित कई बीमा दलालों के लिए बीमा पॉलिसियां बेचते थे।

    पॉलिसी से मिले कमीशन पर जीएसटी का भुगतान होता था

    इन पॉलिसियों की बिक्री पर एकत्र किए गए कमीशन पर जीएसटी भुगतान होता था। इन कमीशन पर जीएसटी से बचने के लिए उन्होंने फर्जी बिलिंग का तरीका बनाया। अब तक उन्हें 79.4 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग मिली है और उन्होंने 12.1 करोड़ रुपये का जीएसटी भुगतान नहीं किया है। उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आगे की जांच जारी है।

    क्या है डीजीजीआई

    जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) भारत सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है जो जीएसटी में चोरी और धोखाधड़ी की जांच और उसे कम करने की दिशा में काम कर रही है। लुधियाना जोनल यूनिट ने विभिन्न क्षेत्रों में फर्जी बिलिंग के मॉड्यूल की जांच करने के अपने प्रयास में हाल के महीनों में 1500 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बिलिंग का पता लगाया है और लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़ और अमृतसर में पूरे पंजाब में 9 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।

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