क्या है पंजाब हाउसिंग फाइनेंस की माफी योजना, लोगों को कैसे मिलेगा इसका फायदा
पंजाब हाउसिंग फाइनेंस माफी योजना लेकर आ रहा है इससे डिफॉलटर्स को फायदा होगा। योजना में इंडस्ट्रियल कमर्शियल व रेजीडेंशियल योजनाओं में डिफॉल्ट हो चुके लोगों को राहत मिलेगी। अगर कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल गई तो फंसी हुई राशि को वापस पाने का रास्ता साफ होगा। नॉन कंस्ट्रक्शन फीस न देने वाले लोग न प्लॉट को बेच सकते हैं न बच्चों के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं।
खस्ता हाल वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए पंजाब हाउसिंग विभाग एक बड़ी माफी योजना लेकर आ रहा है। इस योजना के तहत इंडस्ट्रियल, कमर्शियल या रेजीडेंशियल योजनाओं में डिफॉल्ट हो चुके लोगों को राहत दी जाएगी।
दस फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में यदि इस योजना को मंजूरी मिल जाती है तो 1600-1700 करोड़ रुपये की फंसी हुई राशि को उगाहने का रास्ता साफ हो जाएगा।
जिन लोगों की किश्ते डिफॉल्ट हुई हैं, उनकी बची राशि पर लगाया गया पीनल इंटरेस्ट
पंजाब में शहरी विकास की विभिन्न अथॉरिटियों जिनमें ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, पटियाला डेवलपमेंट अथॉरिटी, बठिंडा डेवलपमेंट अथॉरिटी , अमृतसर डेवलपमेंट अथॉरिटी और जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटियों की ओर से विभिन्न योजनाओं में प्लॉट आदि काटे गए थे जिन्हें लोगों को किश्तों पर दिया गया। जिन लोगों ने यह किश्तें डिफॉल्ट कर दी हैं उन पर बची हुई राशि पर ब्याज और पीनल इंटरेस्ट लगाया गया है। यह राशि लगभग 1600-1700 करोड़ रुपये की बनती है। हाउसिंग और वित्त विभाग ने मिलकर जो योजना तैयार की है उसमें लोगों को यह ब्याज माफ करने की राहत दी जा रही है।
नई राहत योजना में प्लॉट की कुल कीमत का 2.5 प्रतिशत लेकर 3 साल का और समय दिया जाएगा
इसी योजना में कमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्लॉटों को समय पर पूरा न करने वालों को भी राहत देने की योजना तैयार की गई है।
सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इंडस्ट्रियल प्लॉट, आइटी कंपनियों को दिए गए प्लॉट, अस्पताल और मॉल आदि बनाने के लिए जो प्लॉट निर्धारित समय में पूरा करने के लिए दिए गए थे उन्हें बहुत सी कंपनियों ने पूरा नहीं किया है।
ऐसे प्लॉटों को रिज्यूम करने का सरकार के पास अधिकार है लेकिन नई राहत योजना में उन्हें प्लॉट की कुल कीमत का 2.5 प्रतिशत लेकर तीन साल का और समय दिया जा रहा है।
तीन साल के भीतर बनाना होगा अलॉटिड प्लॉट
इसी तरह की योजना आवासीय प्लॉटों के लिए भी है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जब भी इन आवासीय योजनाओं में किसी को प्लॉट अलॉट होता है तो उसे तीन साल के भीतर बनाना होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो उन पर नॉन कंस्ट्रक्शन फीस लगाई जाती है जो साल दर साल बढ़ती रहती है। यह फीस प्लॉट के साइज के अनुसार अलग-अलग होती है। ऐसे लोगों के लिए कैबिनेट में एजेंडा लाया जा रहा है कि अगर ये लोग नॉन कंस्ट्रक्शन फीस का 50 प्रतिशत दे देते हैं तो उनकी बची हुई फीस माफ कर दी जाएगी।
डिफॉलटर्स को मिलेगी राहत
इस योजना के तहत इंडस्ट्रियल, कमर्शियल व रेजीडेंशियल योजनाओं में डिफॉल्ट हो चुके लोगों को राहत दी जाएगी। कैबिनेट बैठक में यदि इसे मंजूरी मिल जाती है तो फंसी हुई राशि को उगाहने का रास्ता साफ होगा।
नॉन कंस्ट्रक्शन फीस न देने वाले लोग न तो अपने प्लॉट को बेच सकते हैं, न ही अपने बच्चों के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसे में इसे एक बड़ी राहत के रूप देखा जा रहा है। अगर ऐसे प्लॉटों को लेकर संबंधित प्लॉट धारक और संबंधित अथॉरिटी के बीच अगर कोई विवाद है तो उसे हल करने के लिए विभाग ने हर अथॉरिटी में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो छह माह में इसका फैसला करेगी लेकिन विवाद कमेटी में जाने से पूर्व संबंधित प्लॉट धारक को राशि जमा करवानी होगी। इन सब फैसलों पर कैबिनेट की मुहर लगना बाकी है।
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