'ये दशकों का झगड़ा है... केंद्र का सहयोग करें', SYL विवाद को लेकर हरियाणा-पंजाब को सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि दोनों राज्य आपस में सौहार्दपूर्ण ढंग से इस मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास करें। यदि समाधान नहीं निकलता है तो अदालत 13 अगस्त को फिर से सुनवाई करेगी। यह विवाद दशकों से चला आ रहा है।
पीटीआई, चंडीगढ़। Haryana Punjab Water Ddispute: पंजाब और हरियाणा में पानी को लेकर हो रहे विवाद पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों को सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया।
जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को केंद्र ने सूचित किया कि उसने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए पहले ही प्रभावी कदम उठाए हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, 'हम दोनों राज्यों को सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने में भारत संघ के साथ सहयोग करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने कहा कि अगर तब तक मामला नहीं सुलझता है, तो वह 13 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी।
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केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा कि हमने मध्यस्थता के लिए प्रयास किए हैं, लेकिन राज्यों को अपनी बात पर अमल करना होगा।
दोनों राज्यों के बीच दशकों से चल रहा विवाद
बता दें कि एसवाईएल नहर की अवधारणा रावी और व्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए बनाई गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर नहर पंजाब में और 92 किलोमीटर नहर हरियाणा में बनाई जानी थी।
हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। दोनों राज्यों के बीच विवाद दशकों से चल रहा है।
शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी, 2002 को हरियाणा द्वारा 1996 में दायर एक मुकदमे में उसके पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब सरकार को एसवाईएल नहर के अपने हिस्से का निर्माण करने का निर्देश दिया था।
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