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    'पंजाब का पानी पंजाब का हक, BBMB बना कठपुतली', मान सरकार का प्रस्ताव- हरियाणा को एक बूंद भी नहीं देंगे

    पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly Session Live) ने हरियाणा के साथ जल बंटवारे (Haryana Punjab Water Dispute) के विवाद पर चर्चा के लिए सोमवार को विशेष सत्र बुलाया। मुख्यमंत्री भगवंत मान के द्वारा बुलाए गए सत्र में जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने पानी को लेकर ऐतिहासिक प्रस्ताव पेश किया। सत्र में पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गई।

    By Digital Desk Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Mon, 05 May 2025 02:19 PM (IST)
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    विधानसभा में पानी पर पंजाब सरकार का ऐतिहासिक प्रस्ताव पेश।

    एएनआई, चंडीगढ़। Punjab Assembly Session: पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने सोमवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी (Haryana Punjab Water Dispute) छोड़े जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया गया।

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    यह घोषणा करते हुए कि 'अतिरिक्त पानी की एक भी बूंद' नहीं छोड़ी जाएगी। गोयल ने बीबीएमबी पर भाजपा की कठपुतली के रूप में काम करने और अवैध और असंवैधानिक तरीकों से पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

    गोयल ने प्रस्ताव में मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि पंजाब ने मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दिया है, लेकिन अपने हिस्से से कोई अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ेगा।

    1981 की जल-बंटवारा संधि पुरानी हो चुकी है: गोयल

    उन्होंने 30 अप्रैल को बीबीएमबी की देर रात की बैठक को अवैध और पंजाब के हक का पानी हरियाणा को देने का जानबूझकर किया गया प्रयास करार दिया। गोयल ने कहा कि पानी की उपलब्धता कम होने के कारण 1981 की जल-बंटवारा संधि पुरानी हो चुकी है। एक नई संधि की जरूरत है। मंत्री ने बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 की भी आलोचना की और दावा किया कि यह पंजाब की नदियों पर नियंत्रण को केंद्रीकृत करके राज्य के अधिकारों को खतरे में डालता है।

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    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सीधा नियंत्रण चाहती है। पंजाब की नदियों पर इस कब्जे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गोयल ने आरोप लगाया कि भाजपा, हरियाणा और बीबीएमबी पंजाब के अधिकारों को छीनने के लिए साजिश कर रहे हैं। गोयल ने कहा कि हरियाणा ने 31 मार्च तक अपने आवंटित पानी का हिस्सा पहले ही इस्तेमाल कर लिया है।

    उन्होंने 8,500 क्यूसेक की मांग को पंजाब की जमीन की लूट करार दिया। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में पंजाब की 60 प्रतिशत कृषि भूमि तक नहरी पानी की आपूर्ति बढ़ाई गई है, उन्होंने दावा किया कि यह विकास भाजपा की आंखों में कांटा है।

    गोयल ने लगाए कई गंभीर आरोप

    गोयल ने कहा कि पंजाब सरकार ने किसानों को नहर का पानी देना शुरू कर दिया है। अब पंजाब के लगभग 60 प्रतिशत किसानों के खेतों को नहर का पानी मिलता है। पंजाब ने अपनी जल सीमा समाप्त होने के बाद भी हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी पहले ही दे दिया है, लेकिन हरियाणा इससे अधिक पानी की मांग कर रहा है। उन्होंने बीबीएमबी की एक अवैध बैठक बुलाई और हरियाणा को अधिक पानी दे दिया।

    उन्होंने पंजाब के पानी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से नंगल बांध का दौरा करने के लिए मान की प्रशंसा की और उन्हें पंजाब के अधिकारों का संरक्षक बताया।

    गोयल ने खुलासा किया कि पंजाब ने बीबीएमबी के फैसले के खिलाफ कानूनी मामला दायर किया है, इस बात पर जोर देते हुए कि राज्य ने देश को खिलाने के लिए ऐतिहासिक रूप से अपनी जमीन और पानी का बलिदान दिया है। उन्होंने बताया कि पंजाब के हक का 80 प्रतिशत पानी गैर-तटीय राज्यों को आवंटित किया जाता है, और पिछली बाढ़ के दौरान हरियाणा और राजस्थान ने पंजाब द्वारा दिए गए अतिरिक्त पानी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

    आज हमारा पानी लूटा जा रहा है: गोयल

    उन्होंने कहा कि पंजाब ने अपनी जमीन और पानी का बलिदान देकर देश को पानी पिलाया, लेकिन आज हमारे पानी को लूटा जा रहा है। पंजाब के हक का 80 प्रतिशत पानी गैर-तटीय राज्यों को जाता है। जब पिछली बार नदियों में बाढ़ आई थी और हमने राजस्थान और हरियाणा को पानी देना चाहा था, तो उन्होंने पानी लेने से इनकार कर दिया था। बाढ़ से निपटने के लिए हम दूसरे राज्यों से पानी ले रहे हैं।

    विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव 2 मई को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक के बाद आया है, जिसमें राज्य के जल अधिकारों पर बढ़ती चिंताओं के बीच चर्चा हुई थी।

    बैठक के दौरान सभी दलों ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी जारी करने के फैसले के खिलाफ एकजुटता दिखाई और कहा कि पंजाबियों को पंजाब के पानी की हर बूंद पर अधिकार है और किसी को भी इसे छीनने की इजाजत नहीं दी जाएगी। बता दें कि विशेष सत्र के दौरान पंजाब विधानसभा ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

    पंजाब विधानसभा ने निम्नलिखित जल प्रस्ताव पारित किया गया-

    1. पंजाब का पानी हरियाणा को नहीं दिया जाएगा: पंजाब सरकार अपनी हिस्सेदारी का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं देगी। पेयजल के उद्देश्य से हरियाणा को दी जा रही 4000 क्यूसेक पानी मानवता के आधार पर जारी रहेगी, लेकिन इससे अधिक एक बूंद भी नहीं दिया जाएगा।

    2. बीजेपी द्वारा बीबीएमबी की बैठक बुलाने की निंदा: इस सभा ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा बीबीएमबी की बैठक बुलाई जाने की अवैध और असंवैधानिक कार्रवाई की कड़ी निंदा की।

    3. बीबीएमबी का पुनर्गठन: वर्तमान में बीबीएमबी केंद्र की भाजपा सरकार का एक कठपुतली बन गया है। बीबीएमबी की बैठकों में न तो पंजाब की बात सुनी जा रही है और न ही पंजाब के अधिकारों का ध्यान रखा जा रहा है। इसलिए, पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए बीबीएमबी का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।

    4. नदियों के पानी के बंटवारे पर पुनर्विचार: सतलुज, रावी और ब्यास नदियाँ केवल पंजाब से होकर गुजरती हैं। फिर इनके पानी का बंटवारा अन्य राज्यों को किस आधार पर किया जा रहा है? 1981 में इन नदियों के पानी के बंटवारे के समझौते में लिखित पानी की मात्रा और वास्तविक उपलब्ध पानी की मात्रा में बड़ा अंतर है। इसलिए, इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए नया समझौता किया जाना चाहिए।

    5. बीबीएमबी की बैठकों में कानून का पालन: बीबीएमबी की किसी भी बैठक के लिए कानून के अनुसार न्यूनतम दिनों का नोटिस देना आवश्यक है। बीबीएमबी इस कानून का पालन नहीं करता और रात में अवैध बैठकें बुलाता है। इस सभा ने बीबीएमबी को इस संबंध में कानून का पालन करने का निर्देश दिया है।

    6. बीबीएमबी की शक्तियों की सीमा: 1981 की संधि में स्पष्ट रूप से लिखा है कि किस राज्य को कितना पानी मिलेगा। बीबीएमबी को इसे बदलने का कोई अधिकार नहीं है। यदि बीबीएमबी एक राज्य का पानी दूसरे राज्य को देता है, तो ऐसे निर्णय अवैध और असंवैधानिक होंगे। बीबीएमबी को ऐसे अवैध निर्णयों से बचना चाहिए।

    7. डैम सेफ्टी एक्ट 2021 की निंदा: इस सभा ने डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को पंजाब के अधिकारों पर हमला माना है। यह कानून केंद्र सरकार को राज्यों के बांधों और नदियों पर पूर्ण नियंत्रण देता है, भले ही बांध पूरी तरह से राज्य की सीमा में हो। यह भारत की संघीय संरचना के खिलाफ है और राज्यों के संप्रभु अधिकारों को कमजोर करता है। इसलिए, इस सभा ने केंद्र सरकार से डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को तुरंत निरस्त करने की मांग की है और पंजाब सरकार इस अधिनियम को पूरी तरह से खारिज करती है।

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