हरजिंदर सिंह धामी के इस्तीफे से गहरा सकता है SAD का संकट, अकाली दल कैसे करेगी वापसी?
शिरोमणि अकाली दल के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी के प्रधान सुखबीर बादल की बेटी के रिसेप्शन के दौरान ही एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने इस्तीफा दे दिया। धामी ने कहा कि वह इससे अधिक कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने यह इस्तीफा श्री अकाल तख्त साहिब के सम्मान में दिया है। उनके इस्तीफे से पार्टी में खलबली मच गई है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल की बेटी की सोमवार को चंडीगढ़ में जब रिसेप्शन चल रही थी, उसी बीच एक बड़ी खबर ने सभी अकालियों को झिंझोड़ दिया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने आनन फानन में इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह इससे अधिक कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने यह इस्तीफा श्री अकाल तख्त साहिब के सम्मान में दिया है। उनके इस्तीफे की खबर आते ही रिसेप्शन में मौजूद लोगों की बातचीत का रुख बदल गया।
शिअद के राजनीति में एक और उबाल
पिछले एक दशक से पंथक संकट का सामना कर रहे और उससे उबरने का प्रयास कर रहे शिरोमणि अकाली दल की राजनीति में एक और उबाल आ गया है। एक-एक करके पार्टी के पंथक चेहरे उससे दूर होते जा रहे हैं।
सुखबीर बादल की बेटी की रिसेप्शन में यह बात साफ झलक रही थी कि दो बड़े पंथक चेहरों को पार्टी की सीनियर लीडरशिप ने किनारे कर दिया है। ऐसे में पार्टी की पंथक जमीन पर वापसी हो पाएगी, यह एक बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया है।
हरप्रीत सिंह के खिलाफ इन्होंने खोला था मोर्चा
दो दिसंबर को सुखबीर बादल सहित पार्टी की लीडरशिप जिस तरह श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिंह साहिब के सम्मुख पेश हुई थी और अपनी दस वर्ष की सरकार के दौरान हुई पंथक गलतियों के लिए माफी मांगी थी, उससे एकबार तो यह लग रहा था कि अब पार्टी वापसी करेगी।
परंतु तीन दिन बाद ही पार्टी के सीनियर नेता व सुखबीर बादल के खासमखास विरसा सिंह वल्टोहा ने तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उन्हें 18 वर्ष पुराने एक केस में सेवामुक्त करवा दिया।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी किया था विरोध
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इसका तीखा विरोध किया। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने का काम एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी की अगुआई वाली अंतरिंग कमेटी ने किया था।
यही नहीं, उन पर शिरोमणि अकाली दल की भर्ती को लेकर बनाई गई सात-सदस्यीय कमेटी का भी दबाव था जिसके वह चेयरमैन बनाए गए थे।
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अकाली सिद्धांत को लागू करने की करते रहे हैं बात
ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बाद दूसरा पंथक चेहरा हरजिंदर सिंह धामी ही थे परंतु अब इन दोनों को अकाली राजनीति से दूर कर दिया गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिरोमणि अकाली दल की मजबूती के लिए सार्वजनिक रूप से कई बार अपनी बात रखी है।
वह अकाली सिद्धांत को लागू करने की बात करते रहे हैं इसीलिए अकाली दल की लीडरशिप को खटक रहे थे। विशेष रूप से पर जब अकाल तख्त साहिब से हुए आदेश के लिए मुख्य रूप से उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था। प्रकाश सिंह बादल से ‘फख्र-ए-कौम’ उपाधि वापस लेने के फैसले से सुखबीर काफी अप्रसन्न थे।
जिन धामी को नवंबर महीने में अपने ही बागी नेताओं से लड़कर सुखबीर ने प्रधान बनाया था, आज वही धामी अकाल तख्त व शिरोमणि अकाली दल की लड़ाई में पिसते नजर आए। उन पर पार्टी लीडरशिप के साथ-साथ पंथक दलों का भी भारी दबाव था और ज्ञानी हरप्रीत सिंह के पक्ष में जिस प्रकार से हवा बन रही है, उसे देखते हुए उन्होंने अपने आपको इस विवाद से अलग कर लेना ही ठीक समझा।
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