इस बार सख्त होगा पंजाब का बजट, खस्ता आर्थिक हालत से राहत की नहीं उम्मीद
इस बार पंजाब बजट सख्त होेगा। राज्य की खस्ता अार्थिक हालत के कारण कैप्टन सरकार के दूसरे बजट में किसी राहत की उम्मीद नहीं है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार का दूसरा बजट सख्त होेगा। अगले माह पेश होने वाले राज्य के बजट में लोगाें को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। राज्य की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी धन नहीं है और इसके लिए उसे केंद्र सरकार से जीएसटी में मिलने वाले हिस्से का इंतजार है। सरकार पर करीब सवा दो लाख करोड़ का कर्ज है। ऐसे में वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने अपने दूसरे बजट में प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने के साफ संकेत दिए हैं।
अगले माह पेश होने वाले बजट में प्रदेशवासियों को राहत की उम्मीद नहीं
कैप्टन सरकार के लिए पंजाब को खराब आर्थिक हालात से उबारना बड़ी चुनौती बन गई है। राज्य की खराब आर्थिक स्थिति वित्तमंत्री के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। सवा दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी पंजाब सरकार के समक्ष बड़ी समस्या खड़ी है। इसके बावजूद जीएसटी लागू होने के कारण बजट में टैक्सों को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं आएगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मनप्रीत बादल बजट में क्या कलाकारी दिखाते हैं।
वित्तमंत्री मनप्रीत ने दिए कड़े कदम उठाने के संकेतए सवा दो लाख करोड़ के कर्ज से बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री ने किसान कर्ज माफी की संख्या में तीन लाख और किसानों को जोडऩे की घोषणा कर दी है, तो अगले बजट में सरकार को ढाई से पांच एकड़ तक के किसानों के लिए प्रावधान करना है। इसके अलावा चुनावी वायदे आटा-दाल के साथ चायपत्ती व चीनी के लिए और युवाओं को मोबाइल फोन देने के लिए भी वित्तमंत्री को प्रावधान करना पड़ेगा। यही कारण है कि वित्तमंत्री को बजट में कुछ कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।
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जानकारी के अनुसार आने वाले बजट में सरकार बजट के लीकेज को रोकने व फिजूल के खर्च को कम करने पर न सिर्फ जोर देगी, बल्कि रेवेन्यू में सुधार पर भी फोकस होगा। जीएसटी लागू होने के कारण सरकार टैक्स के स्लैब में भी कोई वृद्धि नहीं कर सकती है। ऐसे में वित्तमंत्री को इस क्षेत्र में भी जूझना पड़ेगा। मनप्रीत बादल कहते हैं, 'अच्छी सुविधाओं के लिए भुगतान भी करना पड़ता है।' उनका कहना है कि आने वाले बजट में कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे।
खत्म हो सकते हैं कुछ बोर्ड
बजट को लेकर संकेत मिल रहे हैं कि वित्तमंत्री कुछ बोर्ड व कारपोरेशन को भी खत्म कर सकते हैं। इस बारे में अमरिंदर सरकार तेजी से काम कर रही है। यह वह क्षेत्र है जहां से सरकार फिजूलखर्ची को रोकना चाह रही है।
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सेटल होगा खाद्यान्न कर्ज
अकाली-भाजपा सरकार द्वारा लिए गए 31000 करोड़ रुपये के फूडग्र्रेन (खाद्यान्न) कर्ज का मामला सेटल होने जा रहा है। केंद्र सरकार भी इस कर्ज में हिस्सा डालने जा रही है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि केंद्र कितना हिस्सा डालेगा।
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