डॉक्टरों का कमाल: पहली बार पीजीआइ में किडनी और लीवर एक साथ ट्रांसप्लांट
चंडीगढ़ पीजीआइ में पहली बार एक साथ किडनी और लीवर का प्रत्यारोपण किया गया। इससे तीन मरीजाें को नई जिंदगी दी गई।
जेएनएन, चंडीगढ़। पीजीआइ में 17 साल की लड़की की मौत के बाद ऑर्गन डोनेशन से तीन मरीजों को नई जिंदगी दी गई। एक 40 वर्षीय डेंटिस्ट को लीवर और किडनी प्रत्यारोपण किए गए। उनकी हालत काफी क्रिटिकल थी। यह पीजीआइ के इतिहास में सबसे जटिल सर्जरी में से एक थी। इससे पहले पीजीआइ में एक मरीज को एक साथ इतने ऑर्गन कभी ट्रांसप्लांट नहीं किए गए थे।
ट्रांसप्लांट से पहले यह भी चेक करना था कि जरूरतमंद डॉक्टर से ऑर्गन मैच हो रहे हैं कि भी नहीं। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सर्जरी शुरू हुई। ट्रांसप्लांट में पीजीआइ के सीनियर एक्सपर्ट ने अपना पूरा अनुभव झोंक दिया।
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इसके अलावा एक और जरूरतमंद मरीज को दूसरी किडनी ट्रांसप्लांट की गई। मृत मरीज के शरीर से लिया गया दिल किसी से मैच नहीं हुआ। इसके बाद दिल्ली के एक हॉस्पिटल में संपर्क किया गया। वहां एक मरीज से मैच होने के बाद कोरिडोर बनाकर चार्टर्ड फ्लाइट के माध्यम से पहुंचाया गया। मृतका लड़की के परिजनों की पीजीआइ प्रशासन ने सराहना की ।
परिजनों के जज्बे को सलाम
हादसे में मारी गई लड़की बिहार से थी। दुर्घटना का शिकार होने के चलते सिर में गंभीर चोट लगी थी। 25 जनवरी को उसको लुधियाना के हॉस्पिटल से पीजीआइ रेफर किया गया था, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। 2 फरवरी को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
12 डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे तक किया ऑपरेशन
पीजीआइ के 12 डॉक्टर्स की टीम ने ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया। इनको ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स, तकनीकी और नर्सिंग स्टाफ ने असिस्ट किया। 10 घंटे तक मैराथन ऑपरेशन चला। फिलहाल ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों की हालत सामान्य बताई जा रही है।
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'' संस्थान लगातार हार्ट, पैंक्रियाज, लीवर और कोर्निया ट्रांसप्लाट कर रहा है। लेकिन पीजीआइ ने नया इतिहास रचा है। एक ही मरीज में दो अंग ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
- प्रोफेसर जगतराम, डायरेक्टर, पीजीआइ।
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'' यह एक संयुक्त प्रयास था, जिसके चलते कई को नई जिंदगी मिली। दिल को दिल्ली पहुंचाने के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाने में यूटी प्रशासन और पुलिस विभाग ने भी बराबर योगदान दिया।
- डॉ. विपिन कौशल, नोडल ऑफिसर रोटो।
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