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    Punjab News: किसानों को नया कर्ज देने के लिए नहीं है बैंक के पास पैसा, कर्जदारों से लेने हैं तीन हजार करोड़ रुपये

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 10:01 PM (IST)

    पंजाब स्टेट कोआपरेटिव एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक के पास किसानों को नया कर्ज देने के लिए पैसे नहीं हैं। बैंक ऋण वसूली में विफल रहा है जिससे उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। बैंक के पास किसानों से 3062 करोड़ रुपये बकाया हैं जिसमें से 1444 करोड़ रुपये कर्ज और शेष साधारण ब्याज और चक्रवर्ती ब्याज है। बड़े किसानों पर छोटे किसानों से अढ़ाई गुणा ज्यादा राशि लंबित है।

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    बैंक के पास नहीं है किसानों को देने के लिए कर्ज (जागरण फोटो)

    इन्द्रप्रीत सिंह,चंडीगढ़। पंजाब स्टेट कोआप्रेटिव एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक के पास किसानों को नया कर्ज देने के लिए एक पैसा नहीं है। बैंक की ओर से नाबार्ड को देने वाली किश्त और कर्मचारियों का वेतन भी मात्र तीन सौ करोड़ रुपए की रिकवरी पर ही चल रहा है।

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    सहकारिता को बनी पंजाब विधानसभा की कमेटी में भी यह मामला आया है। दिलचस्प बात यह है कि राज्य के 55574 किसानों की ओर से  3062 करोड़ रुपए बकाया है, इनमें कर्ज केवल 1444 करोड़ रुपए हैं और शेष साधारण ब्याज और चक्रवर्ती ब्याज है।

    कर्ज की कुल राशि का एक बड़ा हिस्सा केवल एक हजार किसानों की ओर है जिनके पास पंद्रह एकड़ या इससे ज्यादा राशि है। यह भी दिलचस्प है कि यह फसली कर्जा न होकर बड़ी मशीनरी पर लिया गया कर्ज है जो सालों से किसानों की ओर से मोड़ा नहीं जा रहा है जिस कारण पंजाब स्टेट कोआप्रेटिव एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय हालत खराब हो गई है।

    हालांकिस सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकारों की ओर से किसानों को दी जाने वाली कर्ज माफी भी इसके लिए जिम्मेदार है क्योंकि अब बड़े किसानों को भी यह लगने लगा है कि अगर वह कर्ज वापिस नहीं करेंगे तो उनका कर्ज भी माफ हो जाएगा।

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    छोटे किसान नहीं ले पा रहे हैं कर्ज

    बड़े किसानों की इस तरह की नीति अपनाने से छोटे किसान अब कर्ज नहीं ले पा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि राज्य के 55,574 किसानों पर ब्याज समेत करीब तीन हजार करोड़ रुपये बकाया है।

    दिलचस्प बात यह है कि 20 एकड़ से ज्यादा वाले 232 किसानों का औसत भुगतान 10.9 लाख रुपए है। जबकि अढाई एकड़ तक के 20024 किसानों का औसत भुगतान 4.11 लाख रुपये है। यानी बड़े किसानों पर छोटे किसानों से अढ़ाई गुणा ज्यादा राशि लंबित है।

    किसान सहकारी समितियों का कर्ज चुकाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिसके चलते बकाएदार किसानों की संख्या बढ़ने लगी है। पंजाब राज्य सहकारी कृषि विकास बैंक के ये आंकड़े 31 मार्च 2024 तक के हैं।

    जानकारी के मुताबिक, राज्य के 55574 किसानों ने पंजाब राज्य सहकारी कृषि विकास बैंक से 1,44,4 करोड़ रुपए का कर्ज है जो ब्याज सहित बढ़कर 300,6 करोड़ रुपए हो गया है।

    क्या कहते हैं आंकड़ें?

    आंकड़ों के मुताबिक, अढाई एकड़ तक के 20024 किसानों ने 40408.72 लाख रुपये का कर्ज लिया है, जो ब्याज सहित बढ़कर 82415.38 लाख रुपये हो गया है। इसी तरह अढाई एकड़ से पांच एकड़ तक के 18121 किसानों ने 44184.09 लाख रुपये का कर्ज लिया, जो ब्याज समेत बढ़कर 91218.96 रुपये हो गया।

    जबकि पांच एकड़ से 10 एकड़ तक के 13784 किसानों ने 42384.87 लाख रुपये का कर्ज लिया, जो ब्याज समेत 90294.65 लाख रुपये हो गया. करीब 15 से 20 एकड़ के 610 किसानों ने 3695.87 लाख रुपये का कर्ज लिया है, जो ब्याज समेत बढ़कर 7050.87 लाख रुपये हो गया है। इसी तरह 20 एकड़ या उससे अधिक जमीन के मालिक 232 किसानों ने 1298.88 लाख रुपये का कर्ज लिया, जो ब्याज समेत बढ़कर 2538.34 लाख रुपये हो गया है।

    जानकारी के मुताबिक, किसानों की इतनी रकम पेडिंग का मामला जब विधानसभा की सहकारिता संबंधी समिति के सामने आया तो अधिकारियों ने कहा कि किसान कर्ज चुकाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

    अगर सरकार सख्ती करती है तो किसान यूनियनें भी अड़कर खड़ी हो जाती हैं। इस कर्ज को लेने के लिए किसानों ने जो जमीन गिरवी रखी हुई है उसकी कुर्की भी रिकवरी के लिए नहीं की जा सकती ।

    'किसानों को करना पड़ सकता है आर्थिक तंगी का सामना'

    किसानों को देय राशि के संबंध में दो विधायकों ने तर्क दिया कि ढाई एकड़ या पांच एकड़ तक के किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है और इन किसानों को देय राशि भी बहुत कम है, लेकिन मालिकों से ऋण की वसूली की गई 15 एकड़ से ज्यादा जमीन जा सकती है सरकार को थोड़ा सख्त रुख अपनाना होगा।

    एक दिलचस्प डाटा यह भी पेश किया गया कि गोराया में तीन लोगों ने 14.89 लाख रुपए का कर्ज अदा करना है जिस पर तीन लाख ब्या लगा हुआ है। एक विधायक ने मीटिंग में कहा कि क्या तीन लोगों से भी आप कर्ज वसूल नहीं कर सकते जबकि इनके पास बीस एकड़ से ज्यादा जमीन है।

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