क्या लुधियाना में 35 साल बाद दोहराएगा इतिहास? महिला आरक्षण के लिए जारी हुआ नोटिफिकेशन
लुधियाना में मेयर पद का चुनाव जल्द ही होने वाला है। साल 1991 में लुधियाना को निगम का दर्जा मिला था। इस बार के चुनाव से पहले ही यह चर्चा होने लगी थी कि इस पद पर इस बार कोई महिला आसीन होगी। आप पार्टी के विधायकों ने पहले भी अपनी पत्नियों को मैदान में उतारा था लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा और वो सब चुनाव हार गईं थी।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। महानगर लुधियाना के बीते 34 साल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी महिला के मेयर बनने का रास्ता साफ हो गया है। अभी तक नगर निगम लुधियाना में छह मेयर बन चुके हैं। हर बार पुरुष को ही मेयर पद दिया गया है।
हालांकि महिलाओं साल 2021 में 50 प्रतिशत आरक्षण कोटा सरकार ने लागू किया था। इसके बाद किसी महिला को मेयर बनाने की मांग तेज हो गई थी। आखिरकार सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को इस बात पर मोहर लगा दी है।
लुधियाना निगम के मेयर पद महिला के लिए आरक्षण करने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। यह नोटिफिकेशन निकाय विभाग विशेष सचिव कम डायरेक्टर की तरफ से डिवीजनल कमिश्नर पटियाला के नाम जारी किया गया है। उन्हें जल्द से सदन की बैठक बुलाकर पार्षदों को शपथ दिलाने के लिए कहा गया है।
साल 1991 में लुधियाना को मिला था निगम का दर्जा
इससे पहले साल 1991 में लुधियाना को निगम का दर्जा दिया गया था। इसके बाद निगम चुनाव करवाए गए थे। पहली बार चौधरी सत प्रकाश 12 जून 1991 में लुधियाना के मेयर बने थे।
इसके बाद साल 1997 में अपिंदर सिंह ग्रेवाल, साल 2002 में नाहर सिंह गिल, साल 2007 में हाकम सिंह ग्यासपुरा, साल 2012 में हरचरण सिंह गोहलवड़िया और साल 2018 में बलकार सिंह संधू मेयर बने थे। इन 34 सालों में किसी महिला को मेयर पद नहीं दिया गया था।
सीनियर डिप्टी मेयर का पद महिलाओं को पहले भी मिल चुका है
महिलाओं को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद कई बार मिल चुका है।
इस बार निगम चुनाव से पहले चर्चा शुरू हो गई थी कि इस बार महिला चेहरा मेयर पद पर आसीन होग क्योंकि इस बार निगम चुनाव में 50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित था।
ऐसे में सत्ताधारी विधायकों ने अपने परिवार की महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था जिससे मेयर की कुर्सी पर उनकी पैठ बन सके। इसमें विधायक गुरप्रीत गोगी और अशोक पराशर ने अपनी पत्नियों को मैदान में उतारा था। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और दोनों विधायकों की पत्नियां चुनाव हार गईं।
चंडीगढ़ बैठक में महिला चेहरों पर हुई चर्चा
निगम चुनाव के दौरान सत्ताधारी आप की तरफ से 95 प्रत्याशियों को मैंदान में उतारा था। इसमें 41 प्रत्याशी ही जीत सके है। इसमें 20 महिला प्रत्याशी जीत चुकी है।
अभी तक पार्टी में पुरुष और महिला चेहरों के लेकर चर्चा की जा रही थी। लेकिन मंगलवार की शाम को सरकार ने पिक्चर को साफ करते महिला मेयर के लिए आरक्षित करने का फैसला जारी कर दिया। अब हर विधायक की चाह है कि उसके हलके से कोई न कोई महिला मेयर की कुर्सी पर बैठ ताकि उनका दबदबा निगम सदन में भी कायम रहे।
अभी तक जिन महिला पार्षदों का नाम टॉप लिस्ट में चल रहा है, उसमें निधी गुप्ता, प्रिंसिपल इंदरजीत कौर, अमृत वर्षा रामपाल, मनिंदर कौर घुम्मण, एडवोकेट महक चड्ढा व नंदनी जयरथ के नाम शामिल हैं।
मंगलवार शाम को नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब अन्य महिला पार्षद भी एक्टिव हो गई हैं क्योंकि पहले किसी पुरुष को मेयर बनाने की चर्चा थी जबकि सीनियर डिप्टी मेयर पद की दौड़ में विधायक अशोक पराशर के भाई राकेश पराशर, विधायक मदन लाल बग्गा के बेटे अमन बग्गा, विधायक कुलवंत सिद्धू के बेटे युवराज सिद्धू का टॉप लिस्ट में है। जिन्हें सीनियर डिप्टी मेयर का पद नहीं मिला, उनमें से किसी एक डिप्टी मेयर के लिए चुनाव जा सकता है।
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