पंजाब में नशा तस्करों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन पर हाई कोर्ट नाराज, मान सरकार से मांगा जवाब
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के बुलडोजर एक्शन पर जवाब मांगा है। इस बाबत एक याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। यह याचिका पंजाब पुलिस द्वारा कथित नशा तस्करों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की खबरों के बाद दायर की गई जिसमें लुधियाना पुलिस ने 2 संपत्तियों को तोड़ा और 78 अन्य की पहचान की।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में नशा तस्करों की संपत्ति पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब तलब किया है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जारी दिशा-निर्देशों और एनडीपीएस एक्ट के परविधान को लागू करने की मांग की गई है। यह याचिका पंजाब पुलिस द्वारा कथित ड्रग तस्करों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की खबरों के बाद दायर की गई है।
याचिका के अनुसार समाचार पत्रों में 28 फरवरी को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पंजाब पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ अपनी कार्रवाई के तहत कथित नशा तस्करों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है।
लुधियाना पुलिस ने दो कथित नशा तस्करों की अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने की घोषणा की थी और कहा था कि उन्होंने 78 और ऐसी संपत्तियों की पहचान की है, उन्हें जल्द ही तोड़ा जाएगा।
चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने इस मामले में पंजाब सरकार, पंजाब के स्थानीय निकाय विभाग के सचिव, लुधियाना के पुलिस आयुक्त और एनसीबी के चंडीगढ़ जोनल निदेशक को नोटिस जारी किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश
गौरतलब है कि नवंबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने "बुलडोजर न्याय" के चलन के खिलाफ सख्त संदेश देते हुए कहा था कि कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकती कि वह किसी अपराध का आरोपी या दोषी है।
यह जनहित याचिका एक गैर-सरकारी संगठन पीपल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर की गई है, जिसमें एनडीपीएस एक्ट के तहत अवैध रूप से अर्जित संपत्ति की जब्ती के लिए उचित प्रक्रिया लागू करने की मांग की गई है।
याचिका में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 107 और मोटर वाहन अधिनियम को लागू करने की भी अपील की गई है, जिससे पंजाब में बढ़ते नशा कारोबार पर अंकुश लगाया जा सके।
एनडीपीएस एक्ट में संपत्ति ध्वस्त करने का प्राविधान नहीं
याचिकाकर्ता के वकील कंवर पहल सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि एनडीपीएस एक्ट में आरोपित की संपत्ति को ध्वस्त करने का कोई प्राविधान नहीं है। यह कानून केवल संपत्ति को जब्त करने और कुर्क करने की अनुमति देता है, लेकिन बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के पुलिस का संपत्ति गिराना अवैध है।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि सुप्रीम कोर्ट का द मैटर आफ डेमोलिशन आफ स्ट्रक्चर मामला इस याचिका से कैसे संबंधित है। इस पर वकील ने जवाब दिया कि यह निर्णय किसी भी आरोपी की संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया के गिराने के खिलाफ एक सामान्य दिशा-निर्देश है, जिसे सभी अधिकारियों को पालन करना चाहिए।
इन तर्कों को सुनने के बाद, कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।
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