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    आवंटित किए प्लाट की राशि नहीं देने वालों को मान सरकार ने दी राहत, अब पंजाब में डिफॉल्टरों से नहीं लिया जाएगा जुर्माना

    पंजाब भगवंत मान सरकार (Bhagwant Mann Government) ने डिफॉल्टर आवंटियों के लिए माफी नीति को मंजूरी दी है। इसके तहत डिफॉल्टर अपनी बकाया राशि बिना किसी जुर्माने के ब्याज के साथ एकमुश्त जमा करा सकते हैं। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित भूमि का सही उपयोग करने के लिए नीति को भी मंजूरी दी गई है।

    By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 14 Feb 2025 02:39 PM (IST)
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    डिफाल्टर बकाया राशि बिना जुर्माने के ब्याज सहित एकमुश्त जमा करवा सकेंगे। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। मान सरकार के मंत्रिमंडल ने डिफाल्ट हुए आवंटियों के लिए माफी नीति को भी मंजूरी दे दी है। इनमें वे आवंटी शामिल हैं, जो पुडा और अन्य संबंधित विकास प्राधिकरणों द्वारा उन्हें आवंटित किए गए प्लाट अथवा भूमि के पैसे जमा नहीं करा सके। इस नीति के अनुसार डिफाल्टर अपनी बकाया राशि बिना किसी जुर्माने के ब्याज के साथ एकमुश्त जमा करा सकते हैं।

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    इस स्कीम के तहत गैर-निर्माण खर्च 50 प्रतिशत तक माफ किए जाएंगे और आईटी सिटी, एसएएस नगर में आवंटित किए गए संस्थागत स्थानों व अस्पतालों के लिए प्लाट व औद्योगिक प्लाट या विकास प्राधिकरणों की किसी अन्य योजना के मामले में 2.50 प्रतिशत की दर से एक्सटेंशन फीस लगेगी और आवंटियों को आवंटन पत्र की सभी शर्तों को पूरा करने के लिए तीन साल की अवधि दी जाएगी।

    बंजर पड़ी भूमि से राजस्व उत्पन्न किया जाएगा

    आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को घर उपलब्ध कराने के प्रयास के रूप में मंत्रिमंडल ने ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईवीएस) के लिए आरक्षित भूमि का सही उपयोग’ नीति को भी मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार विभिन्न कॉलोनियों में बंजर पड़ी भूमि से राजस्व उत्पन्न किया जाएगा और इस तरह की बिक्री से प्राप्त फंडों का उपयोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लाभ के लिए किया जाएगा।

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    राज्य के विकास प्राधिकरणों को अधिकृत किया जाएगा कि वे अपने स्तर पर इन बंजर पड़ी भूमि के लिए इस तरह की योजना बनाएं ताकि उपभोक्ता की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और इन स्थानों की नीलामी करके विभाग के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न हो सके। कैबिनेट ने इसके साथ ही हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को भी मंजूरी दे दी।

    इसका उद्देश्य अधिकतम राजस्व उत्पन्न करना है। पापरा एक्ट के तहत सरकारी परियोजनाओं को विकसित करने वाले प्रमोटरों से एकत्र किए गए ईडीसी के उचित उपयोग की नीति को भी मंजूरी दे दी। इस नीति के अनुसार प्रमोटरों से एकत्र किए गए ईडीसी का 50 प्रतिशत कॉलोनी या टाउनशिप के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उपयोग किया जाएगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा बड़ी परियोजनाओं के विकास के लिए उपयोग किया जाएगा।

    ‘रेंटल हाउसिंग एकोमोडेशन पॉलिसी 2018’ में संशोधन को मंजूरी

    कैबिनेट ने ‘रेंटल हाउसिंग एकोमोडेशन पॉलिसी 2018’ को अधिक तार्किक बनाने के लिए इसमें संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके तहत एसएएस नगर और न्यू चंडीगढ़ के मास्टर प्लान को छोड़कर शेष मास्टर प्लान में में सड़क की चौड़ाई 22 फुट से कम नहीं होनी चाहिए, जिसे 60 फीट तक बढ़ाया जा सकता है।

    इसी तरह मास्टर प्लान के बाहर की मौजूदा सड़क की न्यूनतम चौड़ाई 22 फुट से कम नहीं होनी चाहिए, जिसे 40 फुट तक बढ़ाया जा सकता है। विद्यार्थियों व बुजुर्गों के लिए प्रत्येक तीन व्यक्तियों के लिए एक दोपहिया वाहन के लिए ईसीएस की अनुमति होगी।

    बुड्ढा नाला के प्रदूषण को रोकने के लिए स्थापित होगा प्लांट

    लुधियाना के बुड्ढा नाले में गोबर के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए मंत्रिमंडल ने औद्योगिक शहर में अत्याधुनिक बायो-मीथेन प्लांट स्थापित करने की अनुमति दे दी है। यह प्लांट 2.5 एकड़ में फैला होगा। दैनिक क्षमता 300 टन होगी।

    पापरा परियोजनाओं के लिए समय सीमा बढ़ाई गई

    मंत्रिमंडल ने पापरा लाइसेंसशुदा परियोजनाओं के लिए समय सीमा 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2025 तक दो साल के लिए 25,000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष की विस्तार शुल्क पर बढ़ाने की भी मंजूरी दे दी। इसी तरह मेगा परियोजनाओं के लिए 31 दिसंबर तक विस्तार करने की मंजूरी दे दी है।

    विभिन्न गांवों के उप-मंडलों में होगा बदलाव

    मंत्रिमंडल ने गांव महरू, टिवाणा और तसलपुर को उप-मंडल दूधन साधां, पटियाला से निकालकर उप-तहसील घनौर, तहसील राजपुरा में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। चीमा के गांव नमोल को उप-डिवीजन सुनाम ऊधम सिंह वाला, संगरूर में शामिल करने की अनुमति दे दी है।

    बठिंडा थर्मल प्लांट की भूमि के उचित उपयोग को हरी झंडी

    मंत्रिमंडल की वीरवार को हुई बैठक में थर्मल पावर प्लांट बठिंडा की 253 एकड़ भूमि को बठिंडा विकास प्राधिकरण को आवासीय व वाणिज्यिक स्थानों, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, बस स्टैंड, ईएसआ0 अस्पताल और स्कूलों के लिए उचित उपयोग करने और 1,235 एकड़ भूमि को पीएसपीसीएल को वापस करने का फैसला भी किया।

    इसके अलावा थर्मल प्लांट की लगभग 173 एकड़ भूमि में स्थित तीन झीलों का प्रशासनिक नियंत्रण बठिंडा विकास प्राधिकरण के पास रहेगा जबकि मालिकाना हक पीएसपीसीएल के पास रहेगा। इस क्षेत्र को बठिंडा विकास प्राधिकरण द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे होने वाला लाभ विभाग की 80:20 नीति के तहत पीएसपीसीएल और बठिंडा विकास प्राधिकरण के बीच बांटा जाएगा।

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