एजेंट को 35 लाख, जंगलों का रास्ता और बॉर्डर पर पुलिस... भारत लौटे शख्स ने बताया अमेरिका तक पहुंचने का सफर
अवैध भारतीय अप्रवासियों के पहले जत्थे को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा। इस विमान में ऐसे कई युवा सवार थे जिनके सपने चकनाचूर हो गए हैं। किसी ने जमीन गिरवी रखकर अपने बेटे को विदेश भेजा था तो किसी ने कर्जा लेकर भेजा था। कोई पोते के सलामत लौटने से खुश हैं तो कोई बेटे के आने के गम में अस्पताल में भर्ती हो गया है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला। उज्जवल भविष्य की तलाश एवं घर की गरीबी को दूर करने की मंशा से जिले के छह नौजवान कुछ माह पहले ही अमेरिका गए थे। अभी तक यह सभी नौजवान अमेरिका में बनाए गए कैंप में ही पहुंचे थे कि अब उन्हें उल्टे पांव वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा है।
विक्रमजीत सिंह ने बताया कि अमेरिका पहुंचने के लिए कई देशों के जंगलों में भी भटके। वह डंकी के रास्ते अमेरिका पहुंचे लेकिन कैंप में ही रुकना पड़ा। अवैध तरीके विदेश जाने के लिए जो मार्ग अपनाया जाता है उसे डंकी रूट कहते हैं। डंकी शब्द पंजाबी भाषा के डुंकी से लिया गया है।
तीस से पचास लाख रुपये लगा कर अमेरिका गए इन नौजवानों के घरों की हालत बहुत ज्यादा दयनीय है और उनके डिपोर्ट होने से उनके ही नहीं बल्कि पूरे परिवारों के सपने चकनाचूर हो गए है।
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जमीन गिरवी रखकर पोते को भेजा था अमेरिका
जिले के गांव डोगरावाल निवासी असीस सिंह का बेटा विक्रमजीत सिंह 50 लाख रुपये देकर करीब एक महीना पहले ही अमेरिका पहुंचा गया था। विभिन्न देशों व जंगलों से भटकने के बाद किसी तरह अमेरिका की सीमा में तो प्रवेश कर गया लेकिन अभी तक कैंप में ही मौजूदा था कि अमेरिका सरकार द्वारा उसे वापस भेजने का फरमान जारी कर दिया गया।
विक्रमजीत सिंह के दादा हरमेल सिंह ने बताया कि उसका 22 साला पोता विक्रम करीब दो महीने पहले ही अमेरिका गया था। इस मकसद से उन्होंने जमीन गिरवी रख कर लाखों रुपये का कर्ज लिया था कि बेटा अमेरिका जागर मेहनत करेगा और कुछ सालों में कर्ज उतर जाएगा और घर में खुशहाली आएगी। वह अपनी बहनों के अच्छे ढंग से विवाह करना चाहता था कि अमेरिका सरकार के ताजा फैसले ने उनके सारे सपनों पर पानी फेर कर रख दिया है।
शुक्र मनाते हैं कि पोता सही सलामत घर लौट आया है
दादा हरमेल सिंह ने इस बात कि वह परमात्मा का फिर भी शुक्र मनाते हैं कि उनका पोता सही सलामत घर लौट रहा है। कम खा लेंगे, किसी तरह गुजारा हो जाएगा। कर्ज को किसी तरह उतारने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार के इस फैसले से सारा परिवार बेहद दुखी व आहत है। अब अगर पंजाब सरकार उनकी कुछ मदद करेगी तो वह किसी तरह जिंदगी जीने का जुगाड़ कर लेगे।
पिता असीस सिंह अपने बेटे को लेने अमृतसर गए हुए है, उन्होंने फोन पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने बड़ी मुशिकल से बेटे को अमेरिका भेजने के लिए पैसे को इंतजाम किया था। कई दिनों तक विभिन्न देशों में भटकने के बाद उनका बेटा सही सलामत अमेरिका तो पहुंच गया था लेकिन वहा पहुंचे ही वह फस गया और पुलिस ने उसे रिफियूजी कैंप में डाल दिया था।
एजेंट को 35 लाख देकर सोनू पहुंचा था अमेरिका
उधर सुल्तानपुर लोधी तहतील के गांव तरफ बहबल बहादुर निवासी गुरप्रीत सिंह उर्फ सोनू अटवाल पुत्र बलबीर सिंह भी पिछले साल मंडी में मक्की का सीजन लगाने के बाद ही अमेरिका गया था। उसने एजेंट को 35 लाख रुपया दिया था और कई दिनों तक रास्ते में भटकने के बाद कुछ माह पहले ही अमेरिका पहुंचा था। इसके बाद वह अमेरिका पुलिस के हत्थे चड़ गया और काफी समय से कैंप में रह रहा था।
बेटे के वापस आने के गम से मां बीमार
मंगलवार को वह भी वापस आ गया, जिसके गम में उसकी मां बीमार है और पिछले दो तीन दिनों से लोहिया के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। सोनू का पिता भी मेहनत मजदूरी ही करता है। गुरप्रीत सिंह उर्फ सोनू के पिता बताया कि उसने 40 लाख रुपये का कर्ज लेकर अपने बेटे को अमेरिका भेजा था। करीब 20 दिन पहले ही उसकी अपने बेटे के साथ बात हुई थी और अब आप से पता चला है कि उसका बेटा डिर्पोट होकर वापस आ रहा है।
उधर ट्रंप सरकार द्वारा अमेरिका गए भारतीयों को डिपोर्ट करने की खबरों से ही उसकी मां सदमे में थी और कई दिन पहले ही वह बीमार पड़ गई थी। अब घर में कोई नहीं है और यह देखना होगा कि बेटा आते मां के पास पहुंचता है या डॉक्टरों की सलाह के अनुसार घर में रुक कर ही उसके ठीक होने का इंतजार करता है।
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