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पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- रोडरेज केस में सिद्धू दोषी, दिया था झूठा बयान

पंजाब सरकार ने अपने कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट में कड़ा झटका दिया। पंजाब सरकार ने कहा कि सिद्धू रोड रेज केस में दोषी हैं और इस बारे में उनका बयान झूठा था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 12 Apr 2018 05:19 PM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 09:08 PM (IST)
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- रोडरेज केस में सिद्धू दोषी, दिया था झूठा बयान
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- रोडरेज केस में सिद्धू दोषी, दिया था झूठा बयान

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू काे वीरवार काे करारा झटका लगा। पंजाब सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में अपने ही मंत्री सिद्धू को 1988 में पटियाला में हुई रोडरेज की घटना में दोषी बताया। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि गैर इरादतन हत्‍या के इस मामले में सिद्धू को हाई कोर्ट द्वारा दी गई सजा बरकरार रखी जाए। पंजाब सरकार ने इस मामले में शामिल नहीं होने के सिद्धू के बयान को झूठा करार दिया।

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पंजाब सरकार के वकील ने कहा- घटना में शामिल नहीं होने का सिद्धू का बयान झूठा,सजा बरकराररहे

इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि 2006 में हाईकोर्ट से सिद्धू को मिली तीन साल कैद की सजा के फैसले को बरकरार रखा जाए। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में शामिल नहीं होने का नवजोत सिंह सिद्धू का बयान झूठा है। मामले में आरोपी के ख़िलाफ़ प्रत्‍यक्षदर्शी भी है और उस पर भरोसा किया जाना चाहिए।

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बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में दूसरे आरोपी रुपिंदर सिंह सिद्दू को कैसे पहचाना गया, जबकि उसका नाम एफआइआर में दर्ज नहीं था। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। उस दिन सिद्धू के वक़ील राज्य सरकार के वक़ील की दलीलों का जवाब देंगे।

बत दें कि पंजाब के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ ग़ैरइरादतन हत्या का मामला है। उनका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद सिद्धू ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसी अपील पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील रखी।

बता दें कि 1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्‍यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्‍त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्‍या का मामला दर्ज किया। बाद में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया।

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इसके बाद मामला पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंचा। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। उस समय सिद्धू अमृतसर से भाजपा के सांसद थे और उनको लोकसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा देना पड़ा था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और वहां से उनको जमानत मिल गई। इसके बाद हुए उनचुनाव में सिद्धू ए‍क बार फिर अमृतसर से सांसद चुने गए।

पुरानी क्लिप बन सकती है मुसीबत

दूसरी ओर, इस मामले में एक पुरानी क्लिप से नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पीडि़त परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक नई याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि साल 2010 में एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सिद्धू ने यह माना था कि उनसे गलती हुई है।  गुरनाम सिंह के परिजनों का अारोप है कि झगड़े के दौरान सिद्धू ने गुरनाम को मुक्का मारा था आैर इससे उनकी मौत हो गई।

परिवार ने इंटरव्यू की सीडी और यू-ट्यूब लिंक दोनों सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हैं। यह इंटरव्यू पिछले दिनों एक बार फिर से एक टीवी चैनल पर प्रसारित किया गया। इस बीच शिरोमणि अकाली दल ने मांग की है कि सिद्धू को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए, क्योंकि अब सिद्धू खुद ही यह मान चुके हैं कि उनकी गलती के कारण गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी।

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सिद्धू के वकील ने किया सुबूत का विरोध

सिद्धू के वकील आरएस चीमा ने इस सुबूत का विरोध करते हुए कहा है कि ऐसी अर्जी अब नहीं सुनी जा सकती, जबकि इस मामले का ट्रायल खत्म हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर अपील विचाराधीन है। इसे ट्रायल कोर्ट या फिर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर किया जाना चाहिए था।


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