सांसद-विधायकों के आपराधिक मामलों की धीमी जांच पर हाईकोर्ट सख्त, पंजाब और हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच में हो रही देरी पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने सरकारों से जवाब मांगा है और जांच में तेज़ी लाने के निर्देश दिए हैं। पंजाब और हरियाणा के गृह सचिवों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है जिसमें देरी के कारणों का स्पष्टीकरण देना होगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच में हो रही देरी पर सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकारों से जवाब तलब किया है।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की पीठ ने कहा कि कई मामलों की जांच वर्षों से लंबित है। इस पर पंजाब सरकार ने जवाब दायर करने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
जांच में हो रही देरी के बताने होंगे स्पष्ट कारण
कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब के गृह सचिवों को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें जांच में हो रही देरी के स्पष्ट कारण बताने होंगे। पंजाब सरकार द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट में यह सामने आया कि राज्य में वर्तमान और पूर्व विधायकों व सांसदों के खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से अधिकांश 2023 और 2024 में दर्ज हुए हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि कई मामलों में राज्य सरकार ने जांच के बाद आरोपों को निराधार मानते हुए एफआईआर रद करने की रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन अदालतों ने इन्हें स्वीकार नहीं किया और दोबारा जांच के निर्देश दिए। कोर्ट ने पंजाब सरकार के गृह सचिव को निर्देश दिया कि वे जांच में हो रही देरी का स्पष्टीकरण हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत करें।
उधर, हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2016, 2018 और 2023 में दर्ज एफआईआर के बावजूद जांच पूरी नहीं हुई है, जबकि इन मामलों में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि राज्य में 16 आपराधिक मुकदमे ऐसे हैं, जो कई वर्षों से लंबित हैं, जिनमें से एक मामला 2011 से चल रहा है।
इस स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने न केवल गृह सचिव से व्यक्तिगत जवाब मांगा है, बल्कि विभिन्न जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से भी लंबित मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। इन रिपोर्टों में अदालत ने विशेष रूप से लंबित मामलों में देरी के कारणों को स्पष्ट रूप से दर्ज करने का निर्देश दिया है।
यूटी चंडीगढ़ की कार्रवाई से हाईकोर्ट संतुष्ट
यूटी चंडीगढ़ की ओर से सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर अदालत ने संतोष व्यक्त किया और कहा कि चंडीगढ़ में इस प्रकार के मामलों की जांच में कोई अनावश्यक देरी नहीं हो रही है। हालांकि, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि लंबित जांच वाले मामलों और चल रहे ट्रायल की स्थिति की रिपोर्ट अगली सुनवाई से तीन दिन पहले दाखिल की जाए।
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