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दो माह बाद पंजाब में ट्रेनों को ग्रीन सिग्नल, कैप्‍टन सरकार के पत्र के बाद रेलवे तैयार, जल्‍द चलेंगी ट्रेनें

पंजाब में किसानों ने रेल सेवा फिर से बहाल करने के लिए ग्रीन सिग्‍नल दे दिया है। इस तरह राज्‍य में दो महीने बाद यात्री ट्रेनें और मालगाडि़यां फिर से रेल पटरियों पर दौड़ेंगी। रेलवे ने पंजाब सरकार के पत्र के बाद इसकी पुष्टि कर दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 12:22 PM (IST)
दो माह बाद पंजाब में ट्रेनों को ग्रीन सिग्नल, कैप्‍टन सरकार के पत्र के बाद रेलवे तैयार, जल्‍द चलेंगी ट्रेनें
पंजाब में किसानों के राजी होने के बाद ट्रेनों के परिचालन शुरू करने की उम्‍मीद है।

चंडीगढ़/फिरोजपुर, जेएनएन।  पंजाब में किसानों के ग्रीन सिग्‍नल के बाद दो महीने बाद ट्रेनाें चलना जल्‍द शुरू जाएंगी। पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद रेलवे ने इसकी पुष्टि कर दी है। रेलव ने कहा है कि रेल ट्रैकों की जांच के बाद ट्रेनें फिर से चलाई जाएंगी।

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बता दें कि किसानों संगठन 23 नवंबर से सभी जगहों से रेल ट्रैक से हटने को राजी हो गए। किसान मालगाडी और यात्री ट्रेनों दोनों को चलने देने पर सहमति जताई। इसके बाद रेलवे ने भी सकारात्‍मक रुख दिखाया है। फिरोजपुर रेल मंडल के डीआरएम ने कहा है कि रेलवे पंजाब में ट्रेनों का परिचालन शुरू करने काे पूरी तरह तैयार है। इससे राज्‍य में जल्‍द फिर से रेल सेवा शुरू होने की संभावना है। पंजाब सरकार ने भी राज्‍य में यात्री और मालगाडियों का परिचालन शुरू करने के लिए अनुरोध पत्र लिखा है।

केंद्र सरकार को दिया 15 दिन में बातचीत करके मसला हल करने का अल्टीमेटम

केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों का पिछले दो महीने से विरोध कर रहे पंजाब के 30 किसान संगठन 23 नवंबर से अगले 15 दिन के लिए यात्री ट्रेनों व मालगाडिय़ां चलाने देने पर सहमत हो गए हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुई बैठक में किसान नेताओं ने रेल ट्रैक क्षेत्र खाली करने पर सशर्त सहमति दी। उन्होंने केंद्र सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उनके साथ बातचीत शुरू करके मसले का हल निकाले। साथ ही स्पष्ट किया कि 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन को स्थगित नहीं किया जाएगा।

पंजाब सरकार ने रेलवे को ट्रेनें चलाने के लिए पत्र भेजा

दूसरी ओर, किसानों के साथ बैठक के बाद पंजाब सरकार ने राज्‍य मे रेल सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए रेलवे और केंद्र सरकार को औपचारिक अनुरोध पत्र भेजा। इस पत्र में किसानों के साथ वार्ता में बनी सहमति का हवाला देते हुए पंजाब में यात्री और मालगाडि़यों का परिचालन फिर से शुरू करने का अनुरोध किया गया है।

रेलवे ट्रेनें चलाने को पूरी तरह तैयारी पूरी : डीआरएम

फिरोजपुर रेल मंडल के प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने कहा कि हमारी तैयारी पूरी है और जैसे ही रेलवे मुख्यालय से आदेश मिलेंगे, गाडिय़ों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि 23 नवंबर तक किसानों द्वारा रेल ट्रैक से पूरी तरह से हटने के बाद ट्रेनाें का परिचालन शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

कैप्टन का ट्वीट, रेल सेवाएं बहाल की जाएं

बैठक के बाद कैप्टन ने ट्वीट किया, 'किसानों के साथ बैठक सफल रही है। 23 नवंबर की रात से 15 दिन तक रेल अवरोधों को समाप्त करने के किसानों के फैसले से पंजाब की आर्थिक स्थिति सामान्य हो सकेगी। मैैं केंद्र से आग्रह करता हूं कि अब पंजाब के लिए तुरंत रेल सवाएं बहाल की जाएं।'

रेल मंत्रालय का ट्वीट, पंजाब से मिली जानकारी

रेल मंत्रालय ने देर रात ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की है कि पंजाब सरकार ने माल व यात्री गाडिय़ां चलाने के लिए रेलवे को जानकारी दी है। रेल मंत्रालय, पंजाब में जरूरी मेनटेनेंस चेक और निर्धारित प्रोटोकाल पूरा करने के बाद गाडिय़ों के परिचालन के लिए कदम उठाएगा।

इससे पहले शनिवार को पंजाब भवन में किसान संगठनों के साथ हुई बैठक में मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान नेताओं को रेल बंद होने के कारण पंजाब को हो रहे नुकसान का हवाला दिया। उन्‍होंने कहा कि जब राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों का साथ दे रही है तो किसानों को भी सरकार को सहयोग देना चाहिए। कैप्टन ने कहा कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करके किसानों की मांगें मानने के लिए दबाव बनाएंगे।

बैठक के दौरान किसान संगठनों ने गन्ने की कीमत तय करने, पिछला बकाया तुरंत अदा करने, धान की खरीद के लिए बंद किए गए खरीद केंद्र दोबारा खोलने व कपास खरीद पर आढ़त किसानों से न लिए जाने की मांग भी रखी। बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों की मांगों को लेकर सभी दलों के एकजुट न होने पर सवाल उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाएं। इस पर कैप्टन ने कहा कि उन्होंने इन कानूनों के खिलाफ विधानसभा में सभी दलों को एकजुट किया था परंतु बाद में शिरोमणि अकाली दल और आप फिर अलग हो गए।

टोल प्लाजा, भाजपा नेताओं का घेराव रहेगा जारी 

किसान संगठनों ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब में टोल प्लाजा के अलावा भाजपा नेताओं के घरों का घेराव जारी रहेगा। इसके साथ ही कारपोरेट घरानों के उन संस्थानों का घेराव व उनके बाहर धरना भी जारी रहेगा जिनका संचालन सीधे कंपनी के हाथ में है।  

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का धरना जारी

उधर, किसान संगठनों से अलग हटकर अमृतसर में धरना दे रही किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रतिनिधि शनिवार को मुख्यमंत्री की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। कमेटी के नेता स्वर्ण सिंह पंधेर ने कहा कि वह 26 व 27 नवंबर को प्रस्तावित आंदोलन में हिस्सा लेंगे। इस संगठन ने जंडियाला गुरु व बुटारी रेलवे स्टेशन के पास धरना जारी रखा है।

कोविड व किसान आंदोलन से हुआ 40 हजार करोड़ का नुकसान  

मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पहले कोविड और अब रेल रोको आंदोलन से पंजाब की इंडस्ट्री को 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कोयला खत्म होने के कारण सभी थर्मल प्लांट बंद हैैं। पिछले दो महीने से दूसरे राज्यों को अनाज सप्लाई नहीं किया जा सका है। पंजाब में इस महीने से धान की मिलिंग शुरू हो गई है, लेकिन गोदामों में जगह न होने के कारण चावल के भंडारण में मुश्किल आ रही है। कोविड के संकट के बीच पंजाब ने रिकार्ड 119.66 लाख मीट्रिक टन अनाज दूसरे राज्यों को भेजा जबकि 142 लाख टन अभी भी यहीं पड़ा है।

दो महीने मेें तीन बार विफल रही वार्ता

कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों की दो बार केंद्र सरकार से वार्ता हुई। 14 अक्टूबर को कृषि सचिव संजय अग्रवाल से सभी किसान संगठन मिले परंतु मंत्रियों के मौजूद न होने के कारण किसानों में बैठक बीच में ही छोड़ दी। दूसरी बार किसान संगठन 13 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पियूष गोयल से मिले, लेकिन कोई सहमति नहीं बन सकी। अब शनिवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दूसरी बार किसान संगठनों से बैठक की और किसान गाडिय़ों के परिचालन के लिए सहमत हुए। इससे पहले कैप्टन ने 29 सितंबर को किसान संगठनों के साथ बैठक की थी।

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