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    हरियाणा में सरकारी विभाग मनमाने ढंग से कर्मचारियों के बढ़ा रहे थे वेतन, अब वित्त विभाग ने लिया बड़ा एक्शन

    Updated: Wed, 26 Feb 2025 08:46 AM (IST)

    हरियाणा (Haryana News) के विभिन्न सरकारी विभाग मनमाने ढंग से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं कई मामलों में तो अदालतों में सुनवाई से ठीक पहले वित्त विभाग को अवमानना का डर दिखाकर कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन का दबाव बनाया जा रहा है। वित्त विभाग ने इस पर नाराजगी जताते हुए तुरंत प्रभाव से नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का उपयोग किया गया है।

    सुधीर तंवर, चंडीगढ़। Haryana News: प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभाग मनमर्जी से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं, कई मामलों में तो अदालतों में सुनवाई से ठीक पहले वित्त विभाग को अवमानना का डर दिखाकर कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन का दबाव बनाने से भी नहीं चूकते।

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    वित्त विभाग ने जताई नराजगी

    कर्मचारियों के वेतनमान और नए पदों के सृजन के मामले समय से वित्त विभाग को अग्रसारित नहीं किए जाने से अदालतों में भी किरकिरी हो रही है। वित्त विभाग ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के रजिस्ट्रार जनरल, मंडल आयुक्तों, उपायुक्तों और एसडीएम को नियमों की याद दिलाते हुए तुरंत प्रभाव से नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं, जो अदालत से जुड़े मामलों में त्वरित कार्रवाई करें।

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    नियमानुसार किसी भी विभाग में नए पदों के सृजन, किसी पद या कर्मचारी की श्रेणियों के वेतनमान के उन्नयन/संशोधन या वित्तीय निहितार्थ से जुड़े अन्य मामलों के लिए वित्त विभाग की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है। अधिकतर विभाग नियमों का पालन नहीं कर रहे।

    पिछले साल इस संबंध में जारी किए गए थे आदेश

    पिछले साल तीन जून को भी इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी किए गए थे, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला रहा। सभी विभागों को भेजे गए रिमाइंडर के अनुसार वित्त विभाग के संज्ञान में आया है कि अदालतों में विचाराधीन मामलों में प्रारंभ में याचिकाकर्ताओं की प्रार्थनाओं की प्रचलित नियमों के अनुसार जांच नहीं की जाती।

    न्यायालय के निर्देशों का भी निर्धारित समय सीमा में पालन नहीं किया जा रहा। यह भी देखा गया है कि बड़ी संख्या में मामलों में प्रशासनिक विभाग उच्च न्यायालय के आदेशों पर निष्क्रिय रहता है।

    जब अवमानना याचिकाएं दायर की जाती हैं और न्यायालय संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करता है, तो विभागीय अधिकारी वित्त विभाग की पूर्व स्वीकृति के बिना अपने स्तर पर ही कर्मचारियों को अनुचित लाभ प्रदान कर रहे हैं। सुनवाई की तारीख से ठीक पहले फाइलें वित्त विभाग को प्रस्तुत की जा रही हैं, ताकि अवमानना कार्यवाही की मजबूरी के तहत वित्त विभाग को अपेक्षित लाभ देने के लिए मजबूर किया जा सके।

    अदालतों में देते हैं गलत जानकारी

    कुछ मामलों में प्रशासनिक विभाग अदालतों में यह शपथपत्र भी दे रहे हैं कि वे अपेक्षित लाभ देने के लिए तैयार हैं, लेकिन फाइल अनुमोदन के लिए वित्त विभाग में लंबित है। वह भी तब, जबकि संबंधित लाभ/मांग मौजूदा नियमों के अंतर्गत नहीं आती है।

    इस स्थिति से बचने के लिए वित्त विभाग ने निर्देशित किया है कि कोई भी नया मामला न्यायालय में जाने या उच्च न्यायालय के निर्देश प्राप्त होने पर तत्काल त्वरित कार्रवाई की जाए। वित्तीय निहितार्थों से जुड़े सभी मामलों की जांच मौजूदा नियमों के आलोक में की जाएगी।

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