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    Punjab: भगोड़ा अपराधी पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से न‍हीं कर सकता सिस्‍टम शॉर्ट सर्किट, HC ने FIR रद्द करने से किया इंकार

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Mon, 30 Oct 2023 02:58 PM (IST)

    Punjab News पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि भगोड़ा अपराधी याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की मांग नहीं कर सकता है। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि (भगोड़ा अपराधी) पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से याचिका दायर करके सिस्टम को शॉर्ट सर्किट नहीं कर सकता। खासकर तब जब वह अपने खिलाफ लंबित कई मामलों में फरार हो।

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    भगोड़ा अपराधी पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से न‍हीं कर सकता सिस्‍टम शॉर्ट सर्किट

    दयानंद शर्मा , चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी भगोड़ा अपराधी पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से याचिका दायर करके समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द करने की मांग नहीं कर सकता। जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा भगोड़ा अपराधी समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द करने की मांग नहीं कर सकता, खासकर तब जब वह अपने खिलाफ लंबित कई मामलों में फरार हो।

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    हाई कोर्ट ने की यह टिप्‍पणी

    हाई कोर्ट ने आगे कहा कि (भगोड़ा अपराधी) पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से याचिका दायर करके सिस्टम को शॉर्ट सर्किट नहीं कर सकता, जब तक कि वह नाबालिग, पागल, विकलांगता से पीड़ित न हो या कुछ अनिवार्य परिस्थितियों के कारण व्यक्तिगत रूप से पेश होने में असमर्थ न हो।

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    धोखाधड़ी के कई मामलों के आरोपितों द्वारा 2014 में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिकाकर्ताओं ने विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से दायर याचिका की थी। उस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये टिप्पणियां की है।

    याचिकाकर्ताओं ने की सौ करोड़ की हेराफेरी

    आरोपों के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने सौ करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की और अमेरिका भाग गए। याचिकाकर्ताओं ने एफआइआर रद करने के पीछे दलील दी कि उनका शिकायतकर्ता के साथ समझौता हो गया है जिसके अनुसार शिकायतकर्ता को पांच करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और इसलिए एफआईआर और उससे होने वाली सभी कार्यवाही को रद्द करने की आवश्यकता है।

    हाई कोर्ट ने एक मामले का हवाला देकर जिसमें सवाल उठाया गया था कि क्या विदेश में आरोपित /प्रतिवादी पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के माध्यम से याचिका दायर कर सकता है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा अगर इस तरह की प्रथा की अनुमति दी जाती है तो आरोपित के लिए देश से भागना और अदालत के सामने पेश होने से बचना आसान हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप कार्यवाही में काफी देर होगी।

    अमेरिका भागने का गंभीर आरोप

    जस्टिस बेदी ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने और अमेरिका भागने का गंभीर आरोप लगाया गया है। ऐसी कोई स्थिति मौजूद नहीं है जो याचिकाकर्ताओं को पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से वर्तमान याचिका दायर करने में सक्षम बनाती है, कोर्ट ने कहा, कि याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से केवल तभी दायर की जा सकती है यदि याचिकाकर्ता नाबालिग, पागल, पीड़ित या विकलांगता या कुछ अनिवार्य परिस्थितियों के कारण व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में असमर्थ है।

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    नतीजतन हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द करने का कोई कारण नहीं बनता । ज्ञात रहे कि सुखविंदर व अन्य तीन के खिलाफ करोड़ो रूपये के धोखाधड़ी के आरोप में कपूरथला में 2014 में मामला दर्ज किया गया था। जिसमें से तीन को भगोड़ा घोषित कर दिया था।