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    हजारों KM का सफर, हर वक्त मौत होती है सामने; पढ़िए डंकी रूट के पीछे का भयानक सच

    डंकी रूट एक ऐसा अवैध रास्ता है जिसके जरिए लोग बिना किसी वैध वीजा या दस्तावेज के विदेश में दाखिल होते हैं। यह रूट आमतौर पर कई देशों से होकर गुजरता है। पंजाब में डंकी का मतलब होता है किसी जगह से दूसरी जगह कूदना या उछलना और यही कारण है कि भारत से विदेश पहुंचने वाले रूट को डंकी रूट कहा जाता है।

    By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 07 Feb 2025 09:32 AM (IST)
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    डंकी रूट के जरिए खतरों से खेलकर अमेरिका पहुंचते हैं भारतीय।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।

    भारत के भी सैकड़ों लोग इसी कारण वापस भेजे गए है। इन लोगों को पहले गिरफ्तार किया गया था। ऐसे तमाम लोग अमेरिका में डंकी रूट के जरिए पहुंचते हैं। आइए जानते हैं क्या है डंकी रूट और यह क्यों है खतरनाक।

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    आखिर क्या है डंकी रूट?

    डंकी रूट एक ऐसा अवैध रास्ता है, जिसके जरिए लोग बिना किसी वैध वीजा या दस्तावेज के विदेश में दाखिल होते है। यह रूट आमतौर पर कई देशों से होकर गुजरता है। पंजाब मेंडकी का मतलब होता है किसी जगह से दूसरी जगह कूदना या उछलना, और यही कारण है कि भारत से विदेश पहुंचने वाले रूट को डंकी रूट कहा जाता है।

    इस रास्ते से लोग मुख्य रूप से अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में अवैध रूप से प्रवेश करते हैं। पहले यह रूट मुख्य रूप से अपराधियों के लिए था, लेकिन अब विदेश जाने का सपना पूरा करने के लिए हजारों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

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    खतरों से भरा है डंकी रूट

    डंकी रूट बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। इस रूट को अपनाने वाले लोगों को हर कदम पर जान का खतरा रहता है। कई बार यह लोग सीमा पार करते वक्त सुरक्षाबलों की गोली का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा, भयानक ठंड, भूख, और कमजोरी के कारण भी कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं।

    इस रूट का खतरनाक होना, इसकी सबसे बड़ी पहचान है। अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ 10 लाख से भी ज्यादा बताई है। इनमें से बहुत से लोग डंकी रूट के जरिए वहां पहुंचे हैं।

    ऐसे अमेरिका में घुसते हैं अवैध प्रवासी

    डंकी रूट अपनाने वालों का सफर आमतौर पर पश्चिम एशिया के एयरपोर्ट जैसे दुबई या शारजाह से शुरू होता है। यात्रियों को पहले अजरबैजान या तुर्की जैसे देशों से ले जाया जाता है। अटलांटिक महासागर पार करके ये पनामा पहुंचते हैं। इसके बाद अल सल्वाडोर होते हुए मेक्सिको में दाखिल होते हैं। यात्रा का सबसे खतरनाक हिस्सा अटलांटिक को पार करने के बाद शुरू होता है।

    स्थानीय एजेंट यहां एक संगठित गैंग की तरह काम करते हैं और ग्वाटेमाला से मेक्सिको के लिए टैक्सी का इंतजाम करते हैं। यहां से 500-600 किलोमीटर की यात्रा में 12-15 घंटे गलते हैं। यात्रियों को बहुत से चेकपोस्ट से गुजरना पड़ता है। इससे खतरा बहुत बढ़ जाता है। प्रवासी सीमा के नजदीक स्थित शहर जैसे तिजुआना और मेक्सकली तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हैं। यहां पहुंच कर प्रवासी अमेरिका में घुसने के मौके तलाशते हैं।

    चल रहा है बड़ा रैकेट

    डंकी रूट से लोगों को विदेश ले जाने का एक बड़ा रैकेट चल रहा है। कई ट्रैवल एजेंसियां और एजेंट इस काम में लगे हुए हैं और विदेश पहुंचाने के लिए लोगों से लाखों रुपये लेते हैं। कई लोगों ने तो डंकी रूट से अमेरिका पहुंचने के लिए एक करोड़ रुपये तक खर्च कर दिए हैं। एजेंट मेक्सिको या फिर कनाडा की सीमा से होते हुए लोगों को अमेरिका में दाखिल करवाते हैं।

    खुद से आ सकते हैं अपने देश

    जबरन निकाले जाने से पहले, प्रवासी स्वेच्छा से अपने खर्च पर अपने देश जाने का विकल्प चुन सकते हैं। कुछ मामलों में अवैध प्रवासियों को बिना ट्रायल के भी जबरन उनके देश भेज दिया जाता है। कोर्ट के रिमूवल ऑर्डर यानी बाहर करने के आदेश के बाद अमेरिका की सरकार प्रवासियों को उनके देश वापस भेज देती है।

    ज्यादातर मामलों में प्रवासियों को हवाई जहाज से भेजा जाता है। इससे पहले के मामलों में अमेरिका ने प्रवासियों को उनके देश भेजने के लिए चार्टर्ड प्लेन का इस्तेमाल किया था, वहीं ट्रंप सरकार सेना के परिवहन विमान से प्रवासियों को उनके देश भेज रही है।

    किसको किया जाता है डिपोर्ट?

    अमेरिका का इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) अवैध प्रवासियों को जबरन उनके देश भेजने की प्रक्रिया (डिपोर्ट करने) का संरक्षक है। आईसीई के अनुसार, अमेरिका ऐसे गैर नागरिकों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट कर सकता है, जो वीजा का उल्लंघन करते हैं, आपराधिक कार्य करते है और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

    अवैध तरीके से सीमा पार करने वाले या वैध दस्तावेजों के बिना एजेंटों द्वारा तस्करी करके लाए गए प्रवासियों को पहले हिरासत में लिया जाता है और डिटेंशन सेंटर ले जाया जाता है। इमिग्रेशन कोर्ट में पेश किए जाने तक प्रवासी डिटेशन सेंटर में रहते हैं कोर्ट यह देखती है कि क्या प्रवासी शरण चाहता है और हालात के आधार पर कोर्ट उसे अमेरिका से बाहर करने का आदेश देती है ।

    किसको नहीं किया जाता है डिपोर्ट?

    कुछ प्रवासी शरण के लिए आवेदन कर सकते हैं और अगर वे जज को यह समझाने में सफल हो जाते हैं कि वापस अपने घर जाने पर उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा तो उनको अमेरिका में रहने अनुमति मिल सकती है। हालांकि, शरण के बहुत कम मामलों पर विचार किया जाता है। घर लौटने में खतरा होने के आधार पर कुछ प्रवासी टेंपरेरी प्रोटेक्टेड स्टेटस (टीपीएस) हासिल कर सकते हैं।

    हालांकि, सिर्फ कुछ देश ही टीपीएस के लिए नामित हैं । 31 मार्च, 2024 तक अमेरिका में टीपीएस के साथ करीब 8,63,880 प्रवासी रहे थे। डेकर्ड एक्शन फार चाइल्डहुड एराइवल्स (डीएसीए) के जरिए कुछ प्रवासी डिपोर्ट करने की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए रुकवा सकते हैं। डीएसीए की मदद वे प्रवासी ले सकते हैं, जो अमेरिका में बच्चों के साथ अवैध रूप से आए हैं।

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