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    जंगलों में लाशें, कीचड़ भरे रास्ते और 20 दिन तक नहीं खाया खाना; डिपोर्ट किए गए भारतीयों की आप बीती

    अमेरिका से बुधवार को डिपोर्ट हुए भारतीयों ने अपनी आप बीती सुनाई है। पंजाब के अलग-अलग जगहों से आने वाले लोगों ने बताया कि कैसे उन्हें सफर में प्रताड़ित किया गया और कैसे उनसे पैसे ऐंठे गए। पनामा के घने जंगलों में 20 दिनों तक भूखे-प्यासे भी रहना पड़ा। इस बीच जंगलों में उन्होंने लाशें भी देखी। उन्हें कीचड़ भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ा।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 06 Feb 2025 11:30 PM (IST)
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    पनामा के रास्ते से होकर पहुंचे अमेरिका (जागरण ग्राफिक्स, फोटो- रॉयटर्स)

    जागरण  संवाददाता, अजनाला। मिनी बस चलाने वाले गांव सलेमपुर के दलेर सिंह अपने गांव के नजदीक स्थित गांव कोटली के एजेंट सतनाम सिंह के झांसे में फंसकर अमेरिका गया था। उसने अमेरिका जाने के लिए 60 लाख रुपये दिए थे, जबकि बात 45 लाख रुपये में हुई थी। वह 15 अगस्त 2024 को अमेरिका के लिए निकला था।

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    एजेंट ने पहले उसे दुबई भेजा और वहां से उसे ब्राजील का वीजा लगवा दिया। एजेंट ने ब्राजील में उसे साथी एजेंटों से किडनैप करवा परिवार से 15 लाख रुपये और मांगे। एजेंट ने पत्नी चरनजीत कौर को फोन किया कि 15 लाख रुपये और भेजो, तभी पति अमेरिका जा सकेगा। पत्नी ने गहने गिरवी रखे और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर पैसे भिजवाए।

    फोटो कैप्शन: दलेर सिंह, 37, जो बुधवार को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा निर्वासित 104 भारतीयों में से एक थे (रॉयटर्स)

    दर्द बयां करते हुए छलके आंसू

    पैसे देने के बावजूद उसे तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। दर्द बयां करते हुए दलेर के आंसू छलक पड़े। उसने बताया कि ब्राजील से निकलने के बाद 15-20 दिन भूखे-प्यासे पनामा के जंगलों में भटकना पड़ा। जंगलों का ज्यादातर हिस्सा कीचड़ और पानी से लबालब होता था। उसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता था। यहां तक की बारिश में भी कदम नहीं रुकते थे।

    उसके बाद वह मैक्सिको से होते हुए तेजवाना बॉर्डर पहुंचा और वहीं से 23 जनवरी 2025 को अमेरिका में एंट्री हुई। वहां पहुंचते ही अमेरिकी पुलिस ने पकड़ लिया।

    ऐसी ही दास्तां डिपोर्ट होकर बाबा दर्शन सिंह कॉलोनी के अजयदीप सिंह की भी है। 12वीं पास अजय को दिल्ली के एजेंट मुकुल कुमार ने डंकी रूट से अमेरिका भेजा था।

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    एजेंट ने मैक्सिको बॉर्डर के रास्ते से अमेरिका भेजने के लिए 45 लाख रुपये मांगे थे। 27 जुलाई को मुंबई एयरपोर्ट पर 20 लाख रुपये एजेंट के कारिंदों को दी। बाकी पैसे मैक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में पहुंचते ही देने को कहा था।

    डंकी रूट पर जंगलों में देखी लाशें

    डंकी रूट के दौरान वह कई दिन पनामा के जंगलों में भूखे प्यासे रहे। पनामा के जंगलों से गुजरे तो वहां कई लाशें पड़ी मिलीं। 22 जनवरी 2025 को ही वह मैक्सिको बॉर्डर पार किया अमेरिकी पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।

    दलजीत कौर का कहना था कि बेटे को विदेश भेजने के लिए अपना घर तक गिरवी रख दिया और बैंक से कर्ज भी लिया। दलेर से मिलने पहुंचे मंत्री धालीवाल, एजेंट के खिलाफ कार्रवाई के दिए आदेश मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भी वीरवार को दलेर से मिलने उसके घर पहुंचे।

    60 लाख रुपये में अमेरिका तक का सफर

    दलेर ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उसने 60 लाख रुपये एजेंट सतनाम को दिए थे। अब एजेंट धमकियां दे रहा है कि वह पैसे नहीं लौटाएगा।

    आरोप लगाया कि एजेंट बोल रहा है कि उसका पुलिस अफसरों से मिलना जुलना है। वह उन्हें पांच लाख रुपये दे देगा तो उसे कुछ नहीं होगा। इतना सुनकर मंत्री ने तुरंत डीएसपी इंद्रजीत सिंह को हिदायत दी कि पीड़ित के बयान कलमबद्द करके एजेंट के खिलाफ कार्रवाई करें।

    फोटो कैप्शन: 23 वर्षीय आकाशदीप सिंह का चित्र भारत के अमृतसर के राजाताल गांव में उनका घर (रॉयटर्स)

    'अब सपने में भी नहीं जाने का सोचूंगा'

    आकाशदीप के पिता बोले, अब सपने में भी नहीं सोचूंगा कि बेटा विदेश जाए गांव राजाताल के आकाशदीप सिंह ने भी अमेरिका जाने के लिए 60 लाख रुपये लगा दिए। वह पहले दुबई गया था और दुबई में ही किसी एजेंट के संपर्क में आया और उस एजेंट ने उसे डंकी रूट से अमेरिका भिजवाया।

    पिता स्वर्ण सिंह का कहना है कि बेटे ने दुबई से फोन करके अमेरिका जाने का बात कहते हुए 45 लाख रुपये मांगे तो अपनी छह कनाल जमीन बेच दी। डेढ़ किल्ले जमीन गिरवी रख दी। उसकी मां के नाम जो जमीन थी उस पर लोन ले लिया। इसके अलावा भैंसे, खेती वाले औजार आदि बेचकर पैसे इकट्ठा करके बेटे को भेजे।

    23 जनवरी 2024 को अमेरिका पहुंचा था और वहां पुलिस ने पकड़कर डिपोर्ट कर दिया। स्वर्ण सिंह का कहना था कि उसने बेटे को विदेश इसलिए भेजा था कि यहां रहकर कहीं वह नशे की लत में न पड़ जाए। उसने कहा कि बेशक जमा-पूंजी सब खत्म हो लेकिन अब वह सपने में भी नहीं सोचेगा कि बेटा विदेश जाए।

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