अफ्रीका के जंगल, समुद्री मार्ग और हर पल मौत का डर; अमेरिका से विमान से नहीं खतरनाक रास्तों से होकर ऐसे भारत लौटा पंजाब का युवक
अमेरिका से विमान के जरिए भारत डिपोर्ट हुए पंजाबियों के अलावा बठिंडा का एक युवक ऐसा है जो समुद्र के खतरनाक रास्ते से होकर वापस भारत आया है। यह उन मार्गों से लौटकर आया है जहां अभी भी कई युवक फंसे हुए हैं। लौटने के बाद उसने कहा कि वह अब अपने भाई के साथ दुकान पर बैठता है। अब उसने कहीं भी जाने का ख्याल भी त्याग दिया है।

गुरप्रेम लहरी,बठिंडा। अमेरिका से पंजाबियों के डिपोर्ट के बाद दैनिक जागरण को एक ऐसा युवक मिला जो अमेरिका के सैन्य विमान से तो वापस भारत नहीं लौटाया गया पर सद्बुद्धि आने के कारण वह उन मार्गों से होकर सुरक्षित लौट आया है जिन मार्गों पर पंजाब के हजारों युवक अभी भी भटक रहे होंगे।
बहुत मनाने पर भी इस युवक ने न तो अपना नाम बताया और न ही अपनी फोटो दी परंतु उसने बड़े विस्तार से उस रूट का चित्र खींच दिया जिससे होकर हजारों लोग जान हथेली पर रखकर सपनों के देश अमेरिका पहुंचते हैं।
बठिंडा जिले के एक गांव के इस युवक ने बताया-‘अमृतसर के एक एजेंट के झांसे में आकर दो माह पहले मैंने भी डंकी रूट से अमेरिका जाने की कोशिश की थी। इसके लिए ट्रैवल एजेंट से मेरी 47 लाख रुपये में डील हुई थी।
ट्रैवल एजेंट ने कहा था कि वह मुझे मेक्सिको पहुंचा देगा परंतु यदि अमेरिका में मेरा कोई सगा-संबंधी है तो वह मुझे सेफ क्रॉसिंग करवा देगा पर इस काम के लिए 70 लाख रुपये लगेंगे। पर मेरा भाग्य अच्छा था कि डील होने के बावजूद मैं 15 दिन पहले आधे मार्ग से वापस लौट आया।’
युवक ने बताया-‘एजेंट ने मुझे व अन्य युवकों को पहले अमृतसर बुलाया और वहां से हमें मुंबई भेज दिया। मुंबई एयरपोर्ट पर एजेंट की सैटिंग थी। वहां एक व्यक्ति हमारे पास आया और डकार (अफ्रीकी देश सेनेगल की राजधानी) के लिए विमान में बोर्डिंग क्लीयर करवाकर दे गया।
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मुंबई से केन्या और फिर राजधानी नाइरोबी और वहां से कैसे पहुंचे डकार
मुंबई से हम केन्या की राजधानी नाइरोबी गए और वहां से डकार पहुंचे। डकार से समुद्री रास्ते से हमें अफ्रीकी देश गांबिया की राजधानी बेंजुल ले जाया गया। बेंजुल में हम लगभग डेढ़ महीना रुके रहे। परंतु मैं बेंजुल से वापस भारत लौट आया। मेरे साथ अमृतसर से तरनतारन के दो युवक तथा उत्तराखंड का एक युवक गया था जो वहीं रुके रहे। उनमें से तरनतारन का एक युवक दूसरे रास्ते से मैक्सिको पहुंच गया है।
तरनतारन वाला युवक वहीं बैठा हुआ है। उससे दो दिन पहले बात हुई है। उसने बताया कि वहां आठ-दस हजार लोग बैठे हुए हैं।’
नीदरलैंड में भारतीयों को मिल जाता है ऑन अराइवल वीजा
उसने बताया-‘एक अन्य रास्ता है यूरोप का देश नीदरलैंड जहां भारतीयों को ऑन अराइवल वीजा मिल जाता है। एजेंट डंकी लगाने के लिए लोगों को अहमदाबाद से नीदरलैंड भेज देते हैं। वहां से एजेंट कनाडा का जाली स्टिकर देकर समुद्री मार्ग से जहाज में बिठाकर उनको दक्षिणी अमेरिकी देश निकारागुआ भेज देता है। निकारागुआ से हांडुरस और हांडुरस से ग्वाटेमाला और फिर वहां से मैक्सिको पहुंचा दिया जाता है।
मेक्सिको में अमेरिकी बॉर्डर तक पहुंचने के लिए छह-सात दिन का समय लग जाता है।’ उसने बताया-‘मैं यह सोच कर वापस लौट आया कि एजेंट ने 15-20 दिनों में अमेरिका भेजने का वादा किया था पर हमें डेढ़ महीना एक ही जगह पर बैठाकर रखा गया। डर लगने लगा था कि पता नहीं अमरीका पहुंच भी पाऊंगा या नहीं।
भाई के साथ दुकान पर बैठता हूं
अब मैं अपने भाई के साथ दुकान पर बैठता हूं। अब कहीं भी जाने का ख्याल त्याग दिया है। अब अपनी दुकान की करनी है।’ इस युवक से जब कहा गया कि वह अपनी यात्रा के कोई फोटो उपलब्ध कराए तो उसने बताया कि एजेंट के लोग बीच-बीच में फोन चेक करते रहते थे और फोटो आदि डिलीट कर देते थे। उसकी कुछ वीडियो जरूर डिलीट होने से बच गई हैं।
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