यह गुरुजी एक साल से न नहाए न कपड़े बदले, छापामारी में हुए और भी कई चौंकाने वाले खुलासे
शिक्षा विभाग की 28 टीमों द्वारा की गई छापामारी से स्कूलों में शिक्षा के स्तर की पोल खुल गई। इस दौरान कई हैरानीजनक बातें सामने आई।
बठिंडा [गुरप्रेम लहरी]। बठिंडा और मानसा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग की 28 टीमों द्वारा की गई छापामारी से स्कूलों में शिक्षा के स्तर की पोल खुल गई। इस दौरान कई हैरानीजनक बातें सामने आई। महराज गांव की काला पत्ती के एक अध्यापक ने पिछले एक साल से न नहाया और न कपड़े बदले। वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक गांव में स्कूल में एक छात्र है और टीचर चार। इसके अलावा छापामारी में कई चौकाने वाली बातें सामने आई।
बठिंडा के डीसी दफ्तर के मीटिंग हॉल में शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने यह चौकाने वाला खुलासा किया। कृष्ण कुमार ने कहा कि जब वह एक स्कूल में गए तो उन्होंने बच्चों को कहा कि पंजाबी के वाक्य ‘ओह स्कूल जांदा है’ का अंग्रेजी में अनुवाद करो तो छात्रों ने अंग्रेजी में लिखा ‘ही इज गोन’। इस जवाब को सुन शिक्षा सचिव के मुंह से यही निकला... अध्यापक खाक पढ़ाएंगे जब उनके पास से गाइडें बरामद हुई हैं। शिक्षा सचिव ने स्कूल प्रमुखों को लताड़ लगाई कि स्कूल में बच्चों को न पढ़ाना उसने से ठगी करने जैसा है।
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महराज गांव की काला पत्ती के एक अध्यापक ने पिछले एक साल से कपड़े नहीं बदले। वह बिना नहाए ही स्कूल में आ रहा है। कपड़े बिलकुल काले हो चुके हैं। इस शिकायत पर शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने चिंता तो जाहिर की, लेकिन उस अध्यापक पर एक्शन कोई नहीं लिया।
मंडाली में एक छात्र ही हाजिर
मानसा जिले के गांव मंडाली के सरकारी स्कूल में 10 छात्र पढ़ते थे अब सिर्फ सात ही रह गए हैं। जब टीम ने चेक किया तो वहां सिर्फ एक ही छात्र था।
35 अध्यापक लेट, 9 गैरहाजिर
बठिंडा और मानसा जिले के 11 ब्लॉकों के 170 स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया। इस जांच में 35 अध्यापक लेट, 9 गैरहाजिर और चार अध्यापक लंबे समय से गैरहाजिर पाए गए। निरीक्षण के बाद शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने बठिंडा और मानसा के डीईओ और स्कूल प्रमुखों को बठिंडा के डीसी दफ्तर के मीटिंग हॉल में तलब कर लिया।
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सरकारी स्कूल धोबीयाणा में 50 फीसद बच्चे गैरहाजिर होने पर बठिंडा के जिला शिक्षा अधिकारी बलजीत कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 20 शिक्षकों को लापरवाही के लिए चार्जशीट कर दिया जिनमें पांच स्कूल प्रमुख भी शामिल हैं। मानसा जिले के सरकारी स्कूल रायपुर के प्रिसिंपल सुखदेव सिंह को कोई भी लेक्चर न लगाने के लिए चार्जशीट किया गया।
सरकारी प्राइमरी स्कूल नथाना के अध्यापकों को डायरीज मांगने पर चोरी होने की बहानेवाजी के लिए चार्जशीट किया गया। गल्र्स हाई स्कूल की प्रिंसिपल प्रेम लता को किसी भी कक्षा में लेक्चरर न लेने के मामले में चार्जशीट किया गया। सरकारी प्राइमरी स्कूल रामनगर में स्कूल प्रमुख वरिंदर सिंह को मोबाइल पर गेम खेलने के लिए चार्जशीट किया गया।
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सरकारी स्कूल गिल कलां का प्रमुख हरशिंदर सिंह कोई भी लेक्चर नहीं ले रहा था। उनका तर्क था कि स्कूल में दो साइंस अध्यापक हैं। इस पर शिक्षा सचिव ने स्कूल प्रमुख ऐसे स्कूल में ट्रांसफर करने को कहा, जहां साइंस अध्यापक नहीं हो। वहीं स्कूल के समय अध्यापकों को ऑन ड्यूटी भेजने के लिए बीपीईओ दर्शन जीदा को सस्पेंड कर दिया गया और 6 अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
पूरे स्कूल स्टाफ को कारण बताओ नोटिस
गर्ल्स स्कूल भगता की कंप्यूटर टीचर सिमर कौर के एक तिहाई छुट्टी पर होने पर भी हाजिरी रजिस्टर में जगह खाली थी। मैथ्स की कॉपियां चेक नहीं हुई थी। बीएमटी पांच मई 2018 के बाद स्कूल नहीं आए। इससे खफा होते हुए प्रिंसिपल समेत पूरे स्टाफ को को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
दर्जा चार कर्मी करवा रहा था प्रार्थना, शिक्षक गैरहाजिर
सरकारी मिडल स्कूल दूलोवाल में दर्जा चार कर्मी सुबह की प्रार्थना करवा रहा था। चारों अध्यापक स्कूल में नहीं थे। चारों अध्यापकों को शोकॉज नोटिस जारी किया गया।
कैप्टन के पैतृक गांव के स्कूल में एक छात्र, शिक्षक चार
जांच के दौरान शिक्षा विभाग की टीम उस समय हैरान रह गई जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पैतृक गांव महराज की संदली पत्ती के सरकारी मिडल स्कूल में सिर्फ एक ही छात्र पढ़ रहा है जबकि वहां चार शिक्षक तैनात किए गए हैं। इस स्कूल में एक छात्र को पढ़ा रहे चार शिक्षकों के वेतन पर ही शिक्षा विभाग हर महीने 1.85 लाख रुपये खर्च कर रहा है। इसी तरह कोठे मल्लूआणा के प्राइमरी स्कूल में सिर्फ दो बच्चे पढ़ रहे हैं।
परेशान शिक्षा सचिव बोले, अमृतसर से बठिंडा तो भेज दिया अब कहां भेजूं
शिक्षा सचिव की अगुवाई वाली टीम जब सरकारी स्कूल लड़के भगता भाई में पहुंची तो देखा कि प्रिसिपल निर्मल सिंह दफ्तर में हैं जबकि सभा शुरू हो चुकी है। खफा होकर सचिव ने कहा ‘आपको अमृतसर से बठिंडा तो भेज दिया, लेकिन अब कहां भेजूं’। पहले स्कूल चला लिया करो बाद में रेस्ट कर लिया करो। सरकारी स्कूल जौड़कियां की लाइब्रेरी से बच्चों को पुस्तक जारी न करने पर भी सचिव ने नराजगी जताई।