ऑक्सीजन से फिर टूट सकता है मरीजों पर कहर, जीएनडीएच में सप्लाई बंद हाेने की नौबत
अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। शहर के टीबी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मौत हो चुकी है।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से समस्या पैदा होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग नहीं चेता है। यहां टीबी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मौत के बाद भी सरकार की आंखें बंद हैं। अब शायद गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में ऐसी ही दुखदायी घटना का इंतजार किया जा रहा है। जीएनडीएच में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली निजी कंपनी ने अंतिम चेतावनी दे दी है। यदि उन्हें 45 लाख रुपये के बकाये का भुगतान न किया गया तो वह ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद करने को विवश होंगे।
अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में बंद हो सकती है ऑक्सीजन सप्लाई, कंपनी ने दी चेतावनी
कंपनी की इस चेतावनी को सरकार गंभीरतापूर्वक न लिया तो निश्चित ही यह मरीजों के हित में नहीं होगा। दरअसल, जीएनडीएच को बीएस भुल्लर गैस इंडस्ट्रीज द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन गैस की आपूर्ति की जाती है। अस्पताल में प्रतिदिन 100 सिलेंडर कंपनी द्वारा भेजे जाते हैं। इन सिलेंडरों को गैसेज यूनिट में रखकर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी वार्ड, निक्कू वार्ड, गायनी वार्ड एवं सभी सर्जरी तथा मेडिसिन वार्डों में ऑक्सीजन पाइपों के माध्यम से भेजी जाती है।
कंपनी बार-बार नोटिस भेजकर मांग रही है भुगतान, पर सरकार नहीं दे रही जवाब
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों के बाद भी पंजाब सरकार ऑक्सीजन को हल्के में ले रही है। बीएस भुल्लर गैस इंडस्ट्री को सितंबर 2017 में सरकार 32 लाख रुपये जारी किए थे। यह राशि भी काफी मिन्नतों के बाद दी गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन को उधार की ऑक्सीजन मिलने लगी, लेकिन अब चार माह से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी भुगतान नहीं मिला।
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ऐसे में कंपनी ने एक के बाद चार नोटिस अस्पताल प्रशासन को भेजे। चौथे नोटिस में कंपनी ने दो टूक कह दिया है कि कंपनी ने अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कभी भी बाधित नहीं होने दी, लेकिन भुगतान न मिलने की वजह से उन्हें आर्थिक मंदहाली का सामना करना पड़ रहा है। हमें कई मदों में भुगतान करना पड़ता है। अस्पताल द्वारा 44 लाख 50 हजार रुपये की पेमेंट नहीं दी जा रही, जिससे हमारे लिए परेशानी खड़ी हो रही है। यह हमारा लॉस्ट रिमांडर है। यदि भुगतान न हुआ तो गैस की सप्लाई बंद करने को मजबूर होंगे। इसके बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों की जिम्मेवारी हमारी नहीं होगी।
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि वर्ष 2017 में जिले के टीबी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा था। टीबी अस्पताल को शक्ति गैस कंपनी की ओर से ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। मामला स्वास्थ्य मंत्री के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच के निर्देश दिए। डॉक्टरों पर आधारित जांच कमेटी ने सारा नजला गैस कंपनी पर फेंका था।
कमेटी ने कहा था कि गैस कंपनी ने निर्धारित समय पर ऑक्सीजन नहीं भेजी, परिणामस्वरूप मरीज की मौत हुई। दूसरी तरफ सच तो यह है कि शक्ति गैस कंपनी ने भी भुगतान न मिलने की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई की गति धीमी की थी। अब गुरुनानक देव अस्पताल में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने की संभावना है।
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जीएनडीएच के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. शिवचरण सिंह का कहना है कि भुगतान के बिल ट्रेजरी में फंसे हैं। खजाना दफ्तर से अप्रूव्ल आने के बाद ही कंपनी के अकाउंट में राशि ट्रांसफर की जा सकती है। कंपनी द्वारा ऑक्सीजन की सप्लाई ठप करने की चेतावनी के संदर्भ में डॉ. शिवचरण ने कहा कि वह ऐसा कभी नहीं होने देंगे।