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    Golden Temple: 38 वर्षीय सेवादार की हार्ट अटैक से मौत, घर का एकमात्र सहारा; जोड़ा घर में रोजाना करता था सेवा

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 07:38 PM (IST)

    श्री हरिमंदिर साहिब के जोड़ा घर में सेवा करते हुए एक श्रद्धालु की हार्ट अटैक से मौत हो गई। बलविंदर सिंह प्रिंस नाम का यह श्रद्धालु तारा वाला पुल का रहने वाला था और एक फूड डिलीवरी कंपनी में काम करता था। वह रोजाना की तरह जोड़ा घर में सेवा कर रहा था तभी उसे अचानक हार्ट अटैक आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

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    जोड़ा घर में सेवा करते श्रद्धालु की हार्ट अटैक से मौत।

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में स्थित जोड़ा घर में आज (13 फरवरी) सेवा करते हुए श्रद्धालु बलविंदर सिंह प्रिंस ( 38) पुत्र अनूप सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

    तारा वाला पुल निवासी बलविंदर सिंह प्रिंस एक फूड डिलीवरी कंपनी में कार्यरत था, 13 फरवरी की रात भी वह रोजाना की तरह जोड़ा घर में सेवा कर रहा था। इस दौरान उसे अचानक हार्ट अटैक आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

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    प्रिंस अपने स्वजनों का एकमात्र सहारा था और जोमैटो कंपनी में कर्मचारी था। कंपनी में छुट्टी होने के बाद प्रतिदिन देर शाम से रात तक जोड़ा घर में सेवा करता था।

    सिख धर्म के सबसे बड़े आस्था का केंद्र है गोल्डन टेंपल

    बता दें कि गोल्डन टेंपल (स्वर्ण मंदिर) सिख धर्म के सबसे बड़े आस्था का केंद्र है। स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर के पास बने कुंड को अमृत सरोवर कहा जाता है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

    8 वर्ष में तैयार हुआ स्वर्ण मंदिर

    स्वर्ण मंदिर का निर्माण गुरु अर्जन देव ने किया था। इसके निर्माण में कुल 8 वर्ष का समय लग गया। स्वर्ण मंदिर के आसपास अमृत सरोवर का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा मिलता है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

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    हमेशा चलता है लंगर

    स्वर्ण मंदिर में लंगर हमेशा चलता रहता है। इसे विश्व का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है। जहां रोजाना अधिक संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।

    सुनहरी रंग की नाव भेंट

    वहीं, इससे पहले कनाडा निवासी एनआरआई श्रद्धालु गुरजीत सिंह ने श्री हरिमंदिर साहिब के पवित्र सरोवर के जल की समय-समय पर सफाई करने के लिए सुनहरी रंग की नाव भेंट की है। श्री हरिमंदिर साहब के ग्रंथी ज्ञानी केवल सिंह ने अरदास के बाद इस नाव को जयकारों की गूंज में संगत की मौजूदगी में इसे सरोवर में उतारा।

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