कबूतरबाजी और डंकी ही नहीं, फिश रूट भी है मौत का दूसरा नाम; समुद्र के बीचोंबीच तय होता है अमेरिका तक का सफर
Indian Immigrants मानव तस्करी के तरीके लगातार बदल रहे हैं। पहले कबूतरबाजी फिर डंकी रूट और अब फिश रूट (What is Fish Route) का इस्तेमाल किया जा रहा है। पंजाब में कबूतरबाजी का मतलब अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजना है। डंकी रूट का मतलब है दुनिया में किसी जगह तक पहुंचने के लिए लंबे घुमावदार और अकसर खतरनाक रास्ते अपनाना।

रोहित कुमार, चंडीगढ़। अमेरिका में बसने की चाह को पूरा करने के लिए मानव तस्करी का यह खेल कबूतरबाजी से शुरू हुआ। पहले कबूतरबाजी, फिर डंकी और अब फिश रूट (What is Fish Route) का इस्तेमाल किया जा रहा है। मानव तस्करी में लिप्त एजेंट दिन-पर-दिन अपनी रणनीति बदल रहे हैं। दो दशक पहले ‘कबूतरबाजी’ का चलन शुरू हुआ था।
पंजाब विदेश जाने वाले कलाकार, रागी जत्थे या बड़े बिजनेसमैन किसी न किसी को अपने साथ ले जाते थे और विदेश पहुंचने पर वह कबूतर बनकर उड़ जाते थे। एक दशक बाद अमेरिका जाने वाले रूट पर बदलाव देखने को मिला।
एजेंट डंकी रूट से मानव तस्करी करने लगे। डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद जब डंकी रूट की मुश्किलें और बढ़ी तो अब फिश रूट तैयार हो गया है, यानी पानी के जहाज से अब मानव तस्करी शुरू हो गई है।
पंजाब में नहीं फिश रूट का चलन
फिश रूट का चलन अभी पंजाब में नहीं आया है, क्योंकि पंजाब या इस क्षेत्र में कोई भी विदेश जाने वाला इच्छुक व्यक्ति मछुआरों या समुद्री उद्योग से संबंधित शब्दावली से परिचित नहीं है।
पंजाब के परिप्रेक्ष्य से यहां बड़ा बदलाव यह है कि पहले पंजाबी कलाकारों की आड़ में कबूतरबाजी के जरिए लोग माल्टा, ग्रीस या पूर्वी यूरोप होते हुए अमेरिका जाते थे। लेकिन अब अधिकांश इच्छुक पहले यूएई विजिटर वीजा प्राप्त करते हैं और फिर वहां से आगे बढ़ जाते हैं। हाल के दिनों में दुबई पंजाबियों के लिए इस तरह की तस्करी का केंद्र बन गया है।
क्या है कबूतरबाजी
कबूतरबाजी एक खेल होता है, जिसमें कबूतरों को लड़ाया जाता है। लखनऊ, पुरानी दिल्ली, हैदराबाद और आगरा समेत कई इलाकों में यह कबूतरबाजी का खेल प्रसिद्ध है, जो नवाबों को पसंद हुआ करता था।
लेकिन मानव तस्करी में कबूतरबाजी का मतलब कबूतरों का खेल नहीं बल्कि अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजना होता है। कबूतरबाजी शब्द सबसे ज्यादा पंजाब में फेमस है।
यहां पर अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने के टर्म में यही शब्द इस्तेमाल होता है। पंजाब के अधिकांश लोग कनाडा जाते हैं और दूसरे नंबर पर अमेरिका उनकी पसंद है।
उन्हें जब विदेश जाने के लिए वीजा नहीं मिलता है तो वे एजेंट्स के चक्कर में पड़ जाते हैं। एजेंट्स उन्हें अवैध तरीके से विदेश भेजने का जुगाड़ करते हैं। इसके लिए वह कोड यूज करते हैं कि कबूतरबाजी। 19 सितंबर, 2003 को दलेर मेंहदी के खिलाफ कबूतरबाजी यानी मानव तस्करी के आरोप में केस दर्ज किया गया था।
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दलेर मेंहदी पर आरोप...
आरोप था कि दलेर मेंहदी अपने भाई शमशेर सिंह के साथ मिलकर अवैध इमिग्रेशन ग्रुप चलाते थे। इसके जरिए वह 1998 और 1999 में दो दौरों के दौरान वह 10 लोगों को अमेरिका ले गए थे और उन्हें छोड़कर लौट आए। दलेर और शमशेर लोगों को अपना क्रू मेंबर बताकर विदेश ले जाते थे। दर्ज केस के मुताबिक दलेर मेंहदी तीन लड़कियों को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को छोड़ आए थे।
अक्टूबर, 1999 में एक और ट्रिप पर गए और न्यू जर्सी में तीन लड़कों को छोड़ आए। कबूतरबाजी के ऐसे ही एक मामले के शिकार हुए बख्शीश सिंह ने पटियाला में दोनों भाइयों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसके बाद करीब 35 लोग सामने आए थे, जिन्होंने दलेर और शमशेर पर फ्रॉड करने का आरोप लगाया। पंजाब में दर्जनों कबूतरबाजी के केस दर्ज है।
क्या है डंकी रूट
डंकी रूट का मतलब है दुनिया में किसी जगह तक पहुंचने के लिए लंबे घुमावदार और अक्सर खतरनाक रास्ते अपनाना। इस रास्ते के इस्तेमाल के लिए लोगों को उन देशों में भेजा जाता है, जहां वीजा ऑन अरवाइल की सुविधा हो और फिर अवैध सीमा पार करके उनके गंतव्य देशों में भेज दिया जाता है।
हालांकि, इसे खतरनाक माना जाता है। ज्यादातर एजेंट लोगों को लैटिन अमेरिकी देश में उतारते है और फिर उन्हें कोलंबिया ले जाते है।
कोलंबिया से पनामा में प्रवेश करते है। यहां खतरनाक जंगल डेरियन गैप को पार करना होता है। इस मार्ग पर साफ पानी की कमी, जंगली जानवर और आपराधिक गिरोह मौजूद हैं। प्रवासियों को डकैती और यहां तक बलात्कार का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर किसी की मौत हो जाती है तो संस्कार व घर भेजने का कोई तरीका नहीं।
फिश रूट क्या होता है
कोलंबिया से एक और मार्ग है पनामा के जंगल से बचने के लिए- फिश रूट। यह मार्ग सैन एन्ड्रेस से शुरू होता है।लेकिन यह ज्यादा सुरक्षित नही है। सैन एन्ड्रेस से प्रवासी मध्यम अमेरिका के एक देश निकारागुआ के लिए नाव लेते है।
अवैध प्रवासियों के साथ मछली पकड़ने वाले फिशरमैन होते हैं, जो 150 किलोमीटर की दूरी समुद्र के बीचोंबीच से तय करवाते हैं। यह रास्ता भी डंकी रूट से कम खतरनाक नहीं है। पानी की कमी, समुद्र जीव और लुटेरों के आने की आशंका के बीच पकड़े जाने का खतरा और डर पर्यटक के दिल में बने रहता है।
निश्चित दूरी तय करने के बाद फिर मैक्सिको के लिए दूसरी नाव में भेजा जाता है। प्रवासी तस्करी में शामिल संगठित अपराध समूहों को भारतीय और प्रशांत महासागर में व्यक्तियों को ले जाने के लिए मछली पकड़ने के जहाजों का उपयोग करने के लिए भी जाना जाता है।
सस्ते श्रम की तलाश करने वाली मछली पकड़ने वाली कंपनियां अक्सर विदेश में सेटल होने वालों का साथ सहयोग करती हैं, जो अवैध व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए पासपोर्ट, पहचान पत्र और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र सहित नकली दस्तावेज प्रदान करते हैं।
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