Video: एनआरसी पर सीएम अशोक गहलोत बोले, देश के भविष्य को लेकर चिंतित है जनता
Ashok Gehlot In Jodhpur. सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूर्वावलोकन और कमेटी बनाकर अनुभव के आधार पर निरीक्षण के बाद कुछ निर्णय लेना चाहिए था।
जोधपुर, जेएनएन। Ashok Gehlot In Jodhpur. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देश का युवा और आम जनता चिंतित है। उन्हें अपने भविष्य की चिंता है। देश की जो स्थिति बनी है, वह बड़ी गंभीर है और लोग पार्टी से हटकर सड़कों पर उतरे हैं। यह कोई सामान्य बात नहीं है। ऐसी क्या नौबत आ गई है कि अब भाजपा को पूरे मुल्क में अपने नेताओं को भेजना पड़ रहा है। यह कहना है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शुक्रवार को जोधपुर में है। अमित शाह के दौरे को लेकर जोधपुर में ही उनकी यह पहली प्रतिक्रिया आई है।
अपने गृह नगर जोधपुर के दो दिन के दौरे पर पहुंचे गहलोत ने एयरपोर्ट पर ही अमित शाह के जोधपुर दौरे को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा की नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पूर्वावलोकन और कमेटी बनाकर अनुभव के आधार पर निरीक्षण के बाद कुछ निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन सरकार ने आसाम के अनुभव को दरकिनार कर अपनी मनमानी पूरे देश पर थोप दी है।
उन्होंने कहा कि असम पर एक हजार 600 करोड़ रुपये खर्च किए थे ,जिसमें 19 लाख लोगों को बेदखल होना पड़ा था। जिसमें से 16 लाख हिंदू थे और इस घटनाक्रम के बाद पूरे असम के लोग अवसाद में चले गए थे।कईयों ने आत्महत्या कर ली थी, जिसकी खुद एक लंबी कहानी है। ऐसे में अब जब पूरे देश के लोग पार्टी पॉलिटिक्स की बात छोड़ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे हैं, तब भाजपा पूरे मुल्क में अपने नेताओं को भेज रही है।
जिस रूप में देश में ध्रुवीकरण किया जा रहा है वो ठीक नहीं है। ये देश टूट जाएगा, कमजोर हो जाएगा, इस बात को कोई सोच नहीं सकता है। आज नहीं तो 25 साल बाद में, 50 साल बाद में क्या होगा कोई कह नहीं सकता। pic.twitter.com/dEVNuHtuW5— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 3, 2020
गहलोत ने असम में एनआरसी की मांग करने वाले पत्रकार और उसके द्वारा लिखी गई पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि यह उनकी खुद के द्वारा स्वीकार की गई बहुत बड़ी भूल रही। इसके अलावा गहलोत ने अटल बिहारी वाजपेयी के समय एनआरसी के अस्तित्व में आने का हवाला देते हुए इस संबंध में सवाल उठाए कि अब ऐसा क्या हो रहा है, जिसको लेकर देश की जनता असंतुष्ट है, और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरी है। गहलोत ने एनआरसी पर आसाम घटनाक्रम के अनुभव और निरीक्षण करने की बात कही।
अशोक गहलोत बोले, सीएए व एनआरसी पर ये नौबत क्यों आई
गृहमंत्रीजी आ रहे हैं जिले में, मेरे जिले में, उनका हार्दिक स्वागत है, आज ये हालात बने क्यों हैं कि प्रधानमंत्रीजी मन की बात कहते थे और लोग सुनते थे। ऐसी क्या स्थिति बन गई, अब उनको नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर, एनआरसी को लेकर के सफाई देनी पड़ रही है, पूरे मुल्क में लोगों को भेज रहे हैं, नेताओं को, जाकर के जनता को समझाओ। ये नौबत क्यों आई है मैं पूछना चाहता हूं। स्थिति इतनी गंभीर है, पूरे देश के लोग सड़कों पर हैं, पार्टी से हटकर सड़कों पर आ गए हैं, नई पीढ़ी सड़कों पर आ गई है, अपने भविष्य को लेकर के देश का युवा चिंतित है, ये नौबत क्यों आई है।
असम में एनआरसी प्रक्रिया हुई, एक हजार छह सौ करोड़ रुपये खर्च हुए, 19 लाख लोग आउट हो गए, 19 लाख में से 16 लाख हिंदू हैं उसके अंदर, वहां लागू क्यों नहीं कर पा रहे हैं। तो समझ जाना चाहिए कि जो अनुभव असम का है, उस अनुभव को जाकर के पहले एक्जामिन करें, ज्यूरी बैठी हुई है दिल्ली के अंदर वो सुनवाई कर रही है। वो लोग कहते हैं कि असम के लोग अवसाद में चले गए थे जब एनआरसी हुई थी। लंबी-लंबी लाइनें लगीं नोटबंदी की तरह, उनके डॉक्यूमेंट पूछे गए, उनके पास थे नहीं तो और डॉक्यूमेंट पूछे गए, कितनी बड़ी प्रक्रिया थी, कितने लोगों ने आत्महत्या की, कितने लोग मारे गए, एक लंबी कहानी है और जिसने एनआरसी की मांग की थी, उसने अभी पुस्तक लिखी है उस पत्रकार ने और उसने कहा, मैंने मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करी। आज लाखों लोग जो लिस्ट में नहीं आए हैं, वो लाखों लोग कहां तो जाएंगे, कहां रहेंगे, कोई सोच नहीं पा रहा है।
इन स्थितियों में ये एनआरसी, अमेंडमेंट एक्ट पास किया सिटीजनशिप का, इसकी जरूरत नहीं थी। अटल बिहारी वाजपेयी जी के वक्त में पहली बार ये अमेंडमेंट हुआ था, नागरिकता संशोधन कानून। कोई हल्ला ही नहीं हुआ, एनआरसी का प्रोविजन भी उसमें किया गया, एनपीआर का किया गया, कोई हल्ला हुआ ही नहीं था। क्या कारण है कि इस बार हल्ला हुआ है, ये समझने की बात है इनको। आज देश में ध्रुवीकरण करने का कोई तुक नहीं है। ये देश टूट जाएगा, कमजोर हो जाएगा, कोई सोच नहीं सकता है इस बात को। आज नहीं तो 25 साल बाद में, 50 साल बाद में क्या होगा कोई कह नहीं सकता है। रशिया का क्या हुआ, रशिया हमारा मित्र था मुल्क। धर्म के नाम पर जो मुल्क बने हैं, वो कभी एक रहे हैं क्या। पाकिस्तान-हिंदुस्तान एक साथ आजाद हुए थे। पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र बना, कुछ सिरफिरे लोगों ने पाकिस्तान बनवा दिया, बनवा तो दिया, दो टुकड़े उसके क्यों हो गए फिर। वो भी मुसलमान हैं बांग्लादेश वाले, ये भी मुसलमान हैं, क्यों हो गए। ये लोगों के समझने की बात है। धर्म के नाम पर कभी मुल्क नहीं बना करते। हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, तमिलनाडू वाले 40 साल पहले कहने लग गए थे, हम तमिलियन अलग होंगे, वो भी हिंदू हैं।
पंजाब में खालिस्तान के लिए कितने लोग मारे गए थे, वो भी हिंदू अपने आपको कहते हैं और अलग होने की बात करने लग गए हिंदुस्तान में खालिस्तान के नाम पर, इंदिरा गांधी की हत्या हो गई उस नाम को लेकर तो, तो आप चाहते क्या हो। आप हिंदू राष्ट्र की बात करते हो, उसके परिणाम आगे क्या होंगे, फिर जैन अलग होगा, सिख अलग होगा, तमिलियन अलग होगा भाषा और जाति के नाम पर तो क्या होगा देश का। इनकी बातों का जवाब दें वो। हिंदू राष्ट्र की बात करना आसान है, एजेंडे को आगे बढ़ाना आसान है। इनको पूछो, जब ये हो जाएगा उसके बाद में इस देश के कितने टुकड़े होंगे कोई सोच सकता है क्या। उसका जवाब मोदीजी के पास में, अमित शाहजी के पास में है क्या। ये जवाब मैं पूछना चाहता हूं उनसे।
केरल की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास किया है कि सीएए को लागू नहीं किया जाएगा। क्या राजस्थान की विधानसभा में भी इस तरह का प्रस्ताव पास किया जाएगा ?
देखिए ये कोई बहुत बड़े इश्यू नहीं है। जब नौ राज्य ये कह चुके हैं कि हम एनआरसी लागू नहीं करेंगे, नागरिकता संशोधन एक्ट लागू नहीं करेंगे, तो केंद्र सरकार घमंड अहम में क्यों चल रही है। लोकतंत्र बहुमत के आधार पर नहीं चलता है। लोकतंत्र बहुमत के बावजूद भी, अवाम क्या कहता है, जनता क्या चाहती है, विपक्ष की पार्टियां क्या चाहती हैं, उसके आधार पर फैसले होते हैं। क्या मोदीजी अमित शाहजी ने विपक्षी दलों को विश्वास में लिया। क्या राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करी। इतना बड़ा फैसला कर दिया, कभी बातचीत करी उन्होंने। और जब पूरा मुल्क खिलाफत कर रहा है तो उनको अहम घमंड छोड़कर के पुनर्विचार करना चाहिए।
कोटा के मामले में आज छह दिन बाद जाकर के आपके हेल्थ मिनिस्टर जा रहे हैं ?
देखिए वहां स्वास्थ्य मंत्री के जाने का तुक भी नहीं है। आज जा भी रहे हैं तो अच्छी बात है। चलो कोई बात नहीं, एक इश्यू मीडिया ने बना दिया है, तो एक प्रकार से हेल्थ मिनिस्टर जाएगा, और ज्यादा जानकारी प्राप्त करेंगे। वरना इमिडीएटली घटना सामने आते ही एक्सपर्ट टीम चली गई, जांच कर ली, इलाज में कोई लापरवाही नहीं थी, और 100 बच्चे लगभग भाजपा के पांच साल के कार्यकाल के अंदर मरते रहे हैं, और हमारे वक्त में कम हुए हैं। उनके वक्त में हजार लोग मरते थे साल में, हमारे वक्त में 900 बच्चों की संख्या आई है। एक नवजात शिशु का मरना बहुत गंभीर बात है। हम चाहते हैं राजस्थान में आईएमआर इन्फेंट मॉर्टेलिटी रेट शिशु मृत्युदर और मातृ मृत्युदर सबसे कम हो देश के अंदर। इसलिए हम निरोगी राजस्थान लेकर के आए हैं। तो मैं ये कहना चाहूंगा, जिस प्रकार से मीडिया इश्यू बना रहा है, विपक्षी हवा दे रहे हैं, ओम बिरला जी वहां के एमपी हैं, स्पीकर हैं, उनको सब नॉलेज है इस बात की, उनको सब मालूम है।
जिस दिन वो बोलेंगे तो इश्यू खत्म हो जाएगा ये। तो ये बात समझें इस बात को, इसमें कोई राजनीति होनी नहीं चाहिए, 100 बच्चे मारे गए, 100 बच्चों की मृत्यु हो रही है, एक न्यूज बनना बड़ा आसान काम है। चिंता करो कि मर क्यों रहे हैं, क्या कमियां हैं, हमारी गवर्नमेंट वो गवर्नमेंट है जो पहली बार राजस्थान के अंदर, 2003 के अंदर मैं था मुख्यमंत्री तब से हमने नवजात शिशुओं का भी आईसीयू शुरू किया है। वार्मर मशीन होती है, वो लगाना शुरू किया है हम लोगों ने, जो पहले नहीं था। 2011 के अंदर कोटा में हमने अंदर नए अस्पताल में वो ही जो आईसीयू होता है बच्चों का, जीरो से लेकर के 28 यानि पैदा होने से लेकर 28 दिन तक जो है, जो बच्चा होता है नवजात उसकी मृत्युदर ज्यादा होती है, उसके लिए आईसीयू का निर्माण किया तो मैंने किया है, हमारी गवर्नमेंट ने किया है। हमारी गवर्नमेंट बदली, बाद में बदलते ही इन्होंने वो काम बंद कर दिया। बैड हमने सेन्शन किए थे 60, वो बेड पता नहीं कहां गायब हो गए। अगर उनको जांच करनी है तो अपनी गवर्नमेंट के कारनामों की जांच करे। हम तो खुद प्रायोरिटी रखकर के चाहते हैं कि किस प्रकार से एक भी बच्चे की मृत्युदर कम होनी चाहिए किस प्रकार से, ये मेरा मानना है।
जिस आईसीयू की बात हो रही है, जिसमें 100 डेथ हुई हैं उसके अंदर बेसिक हाईजीन अवेलेबल नहीं था, सीवर का पानी गिर रहा था आईसीयू के अंदर ?
ये तो आप पूरे देश के अंदर, पूरे प्रदेश के अंदर, कहीं जाएंगे आप अस्पताल के अंदर, कुछ कमियां मिलेंगी। उसकी आलोचना करना हक रखता है, मीडिया भी रखता है और लोग रखते हैं। उससे सरकार की आंखें खुलती हैं और सरकार उसको इम्प्रूव करती है, मैं तो इस पर विश्वास रखता हूं। विपक्ष की पार्टियों के लोग जाएं अस्पतालों में, मीडिया वाले जाएं, कमियां बताएं, हम दूर करेंगे। मैं ओपन माइंड से चलता हूं, मेरा मानना है।
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