करतारपुर कॉरिडोर पर फिर कलह, जानें क्यों खड़े हुए पाकिस्तान की मंशा पर सवाल
करतारपुर काॅरिडोर को लेकर पंजाब के डीजीपी के कथित बयान के बाद फिर विवाद छिड़ गया है। कॉरिडाेर को लेकर पाकिस्तान की नापाक मंशा को लेकर फिर बड़े सवाल पैदा हो गए हैं।
चंडीगढ़/जालंधर, जेएनएन। करतारपुर कॉरिडोर पर पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता के कथित बयान के बाद एक बार फिर पाकिस्तान की नापाक मंशा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। इससे करतारपुर कॉरिडोर को लेकर एक बार फिर कलह के हालात पैदा हो गए हैं। पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लिए बनाया गया कॉरिडोर पर निर्माण के पहले से ही विवादों में रहा है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इसकी घोषणा के वक्त पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को जफ्फी डालकर विवादों में घिर गए थे। इसके बाद निर्माण, उद्घाटन, अलग-अलग सियासी मंच व खालिस्तानी नेताओं की शिरकत के कारण भी यह विवादों में रहा। सबसे बड़ा विवाद पाकिस्तान की मंशा के मुद्दे पर ही रहा।
करतारपुर साहिब में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और पाक आर्मी चीफ बाजवा के साथ नवजोत सिंह सिद्धू।
ताजा विवाद पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता के बयान के बाद शुरू हुआ है। एक अंग्रेजी अखबार में छपे उनके कथित बयान में कहा गया, 'पाकिस्तान में करतारपुर गए श्रद्धालु वहां छह घंटे रहते हैं। इतनी देर में उन्हें बम बनाने की ट्रेनिंग दी जा सकती है। सुबह गया व्यक्ति शाम तक आतंकवादी बनाया जा सकता है।'
कॉरिडोर की सुरक्षा व पाकिस्तान की मंशा पर बार-बार सवाल उठ रहे हैं। इसके कई उदाहरण और कुछ वाजिब कारण भी सामने आते रहे हैं। आइये इन पर एक नजर डालते हैं-
पाक वीडियो में खालिस्तानी समर्थन
- 7 नवंबर, 2019 को कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो में खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले व कई अन्य खालिस्तान समर्थकों की फोटो का इस्तेमाल किया गया था। इससे इन बातों को और बल मिला कि पाकिस्तान की मंशा कॉरिडोर के जरिए आतंक फैलाने की है।
कमेटी में गोपाल चावला
- 18 जुलाई 2019 को भारत के विरोध के बाद खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला को कॉरिडोर की एक कमेटी से हटाया गया। भारत को खुलेआम धमकियां देने वाले गोपाल सिंह चावला को कमेटी का सदस्य बनाने से पाक की कड़ी आलोचना हुई थी। इस पर भारत ने सख्त नाराजगी जताई थी। भारत ने एक बैठक भी रद कर दी थी।
सिख फॉर जस्टिस की धमकी
- 14 दिसंबर, 2019 को प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने करतारपुर कॉरिडोर को खालिस्तान बनाने के लिए पुल बताया था। उसने धमकी भरे लहजे में कहा कि भारत रेफरेंडम-2020 में बाधा न बने। भारत ने इस धमकी की जानकारी पाकिस्तान को दी थी। पाक ने आश्वस्त किया था कि कॉरिडोर को किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।
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कैप्टन ने बताया था- आइएसआइ का एजेंडा
- 1 दिसंबर 2019 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आशंका जताई थी कि करतारपुर कॉरिडोर खोलना पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का छिपा एजेंडा हो सकता है। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें पाकिस्तान की मंशा पर अब भी शक है। इसका उद्देश्य रेफरेंडम-2020 को सफल बनाना भी हो सकता है। गुरु नानक के नाम पर यूनिवर्सिटी शुरू करने जैसे फैसलों के पीछे छिपे एजेंडे को परखने की जरूरत है।
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पाक मंत्री ने कहा- जनरल बाजवा के दिमाग की उपज
- 30 नवंबर, 2019 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट के रेल मंत्री शेख राशिद ने कहा कि करतारपुर गलियारा जनरल बाजवा और आइएसआइ के दिमाग की उपज है। करतारपुर बॉर्डर को खोल कर जनरल बाजवा ने भारत को जो घाव दिया है, वह उसे लंबे समय तक याद रखेगा। जनरल बाजवा ने भारत को बड़ा धक्का दिया है। पाकिस्तान ने शांति के लिए नया माहौल बनाया है और सिख समुदाय का भरोसा जीता है।
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सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा था- रोक दो कॉरिडोर का काम
- 24 अगस्त, 2019 को भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा था कि देश के हित में करतारपुर कॉरिडोर का काम रोक देना चाहिए। मैं सिख समुदाय की भावनाओं को अच्छी तरह समझता हूं और मैंने हमेशा सिखों का समर्थन किया है। सिखों को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान के इरादे नेक नहीं हैं।
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क्या हो सकते हैं संभावित खतरे
-खालिस्तानी समर्थक संगठन रेफरेंडम-2020 को मजबूत कर सकते हैं।
-आइएसआइ करतारपुर कॉरिडोर के जरिए पंजाब में आतंकी भेज सकती है।
-घुसपैठ, ड्रग सप्लाई और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो सकता है।
-आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल को श्रद्धालु बनाकर भारत भेजा जा सकता है।
-पंजाब में खालिस्तान समर्थित आंदोलन को फिर से जिंदा किया जा सकता है।
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'' आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता। भारत को सावधान रहना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही सिख समुदाय की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। पाकिस्तान जरूर चाहेगा की दुनिया भर में मौजूद सिख समुदाय के लोगों को वो भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सके।
- शशांक, पूर्व विदेश सचिव।
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'' इस परियोजना पर शक का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसकी घोषणा अचानक कर दी गई थी। खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का बयान आया था कि करतारपुर गलियारे के रूप में पाकिस्तान ने एक गुगली फेंकी थी व भारत सरकार उसे खेल कर खुली आंखों से पाकिस्तान के जाल में गिर गई।
- सुशांत सरीन, भारत-पाकिस्तान मामलों के जानकार।
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