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    Shiv Sena Row: शरद पवार ने शिवसेना विवाद से बनाई दूरियां, बोले- मैं इन सब में नहीं पड़ना चाहता

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 19 Feb 2023 04:32 PM (IST)

    शिवसेना विवाद को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने दूरियां बनाई हैं। उन्होंने कहा कि रविवार को पुणे के बारामती शहर में संवाददाता के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं प्रतीक चिह्न के विवाद में नहीं पड़ना चाहता। (फोटो PawarSpeaks)

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    शरद पवार ने शिवसेना विवाद से बनाई दूरियां (फोटो: @PawarSpeaks)

    पुणे, पीटीआई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना विवाद से दूरियां बनाते हुए रविवार को साफ कर दिया कि वो इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। शरद पवार ने पुणे के बारामती शहर में एक संवाददाता के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं एकनाथ शिंदे को दिए गए नाम और प्रतीक चिह्न के विवाद में नहीं पड़ना चाहता हूं।

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    शिंदे गुट को मिला शिवसेना का नाम

    चुनाव आयोग ने शुक्रवार को शिवसेना विवाद को लेकर अपना फैसला सुनाया था। इस दौरान चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम 'शिवसेना' और चुनाव चिह्न 'धनुष-तीर' रखने की अनुमति दी। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद एक बार फिर से एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट आमने-सामने नजर आया।

    पवार ने शिवसेना विवाद से बनाई दूरी

    शरद पवार ने रविवार को कहा कि मैं एकनाथ शिंदे को दिए गए नाम और प्रतीक चिह्न के विवाद में नहीं पड़ना चाहता। मैं पहले ही अपना स्पष्टीकरण दे चुका हूं। इसी बीच अमित शाह की पुणे यात्रा से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा नेता यहां पर सहकार महा कॉन्क्लेव के लिए आए थे।

    पवार ने ठाकरे को दी थी नसीहत

    शरद पवार ने शनिवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे को नसीहत देते हुए कहा था कि इससे कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। लोग नए प्रतीक को स्वीकार कर लेंगे। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार करें और नया चिह्न लें।

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    बता दें कि चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे को राज्य विधानसभा उपचुनाव के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और चुनाव चिह्न 'मशाल' को बरकरार रखने की अनुमति दी है। जिसके बाद उद्धव ठाकरे का बयान सामने आया था। जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया था।

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