Bihar Chunav: ये है तेजस्वी यादव का प्लान B, जीत के लिए अपना रहे ये फार्मुला; नीतीश की बढ़ सकती है मुश्किलें
बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले रणनीति बदली है। वे लालू प्रसाद के पुराने तौर-तरीकों पर लौट आए हैं अगड़ा-पिछड़ा जैसे नारों को नए रूप में पेश कर रहे हैं। राजद कार्यकर्ताओं में उत्साह है और जातिगत बातें फिर से सामने आ रही हैं। तेजस्वी की पार्टी राजद उसी पुराने ढांचे में लौट रही है जिसके सहारे लालू ने पहचान बनाई थी।

अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। बिहार में महागठबंधन के कप्तान तेजस्वी यादव ने इस बार विधानसभा चुनाव से पहले पैतरा बदल लिया है। पांच वर्ष बाद लालू प्रसाद के ट्रैक पर फिर लौट आए हैं।
अगड़ा-पिछड़ा और समाजवादी नारों को नए शब्दों में फिर से उछालने लगे हैं। कमांडर की कार्यशैली से कार्यकर्ताओं को भी ऊर्जा मिलने लगी है। दूसरी-तीसरी पंक्ति के नेता आक्रामक हो गए हैं। बयानों और सभाओं में जातिगत संदर्भ खुलकर आने लगे हैं।
पुराने फ्रेम में ढलने लगी RJD
संकेत साफ है कि तेजस्वी की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दोबारा उसी फ्रेम में ढलने लगी है, जिसके सहारे लालू को लगभग तीन दशकों से राजनीति में पहचाना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद को नई पीढ़ी का प्रतीक एवं प्रगतिशील सोच वाला युवा के रूप में प्रस्तुत किया था। पूरे चुनाव तेजस्वी की छवि बदले हुए नेता की थी।
पिछले चुनाव में पोस्टरों में नहीं दिखी थी लालू-राबड़ी की तस्वीर
ऐसे युवा चेहरा जो जाति-पाति से ऊपर विकास एवं रोजगार की राजनीति करना चाहता है। तेजस्वी ने नई उम्र के वोटरों को ध्यान में रखते हुए राजद के पोस्टरों से लालू यादव और राबड़ी देवी की तस्वीरें हटा दी थीं। भाषणों में लालू-राबड़ी का नाम नहीं लेते थे। यहां तक कि सार्वजनिक मंचों से भी उन्होंने राजद की पूर्ववर्ती सरकार की गलतियों के लिए कई बार माफी मांगी थी।
इस बार अलग अंदाज में नजर आ रहे तेजस्वी
पिछली बार लालू-राबड़ी ने राजनीतिक कार्यक्रमों और सभाओं में जाने से परहेज कर रखा था। सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी। पूरे चुनाव में एक भी बयान नहीं दिया था, लेकिन इस बार उनका बोलना-लिखना सब चल रहा है। बैनर-पोस्टर में तेजस्वी के साथ-साथ लालू-राबड़ी फिर से दिखने लगे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पोस्टरों में परिवार के अन्य सदस्य नहीं होते हैं।
बहुजन के ट्रेक पर लौट रहे RJD के नेता
तेजस्वी की देखादेखी राजद का कोई भी नेता इस बार एटूजेड की बात करता नहीं दिखता है। सबके सब सर्वजन के ट्रैक से बहुजन के ट्रैक पर लौट रहे हैं। गयाजी की एक सभा के दौरान राजद विधायक विनय यादव की उपस्थिति में सवर्णों के विरुद्ध हिंसक नारे लगाए गए। अभी एक दिन पहले मीनापुर के राजद विधायक मुन्ना यादव ने भी उसी तर्ज पर सवर्ण विरोधी बातें कहीं, लेकिन राजद नेतृत्व ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
तेजस्वी के नए फार्मुले का क्या होगा असर?
राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार का मानना है कि पिछली बार तेजस्वी यादव की बदली छवि से राजद का वोट बढ़ा था या नहीं, यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि उनकी सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ी थी। जाहिर है, इस बार की लड़ाई सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच ही नहीं होनी है, बल्कि तेजस्वी की नई एवं पुरानी छवि भी तराजू पर होगी।
मतदाता तय करेंगे कि तेजस्वी के लिए कौन सी लीक सही है। इसी से आगे का रास्ता भी निकलेगा कि बिहार में भविष्य की राजनीति किस करवट लेगी। उसी पुराने जातीय गणित में उलझी रहेगी या विकास का नया फार्मूला निकलेगा।
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