Bihar Politics: 'क्या राहुल गांधी भूल गए हैं': बिहार मतदाता सूची संशोधन पर प्रह्लाद जोशी का तंज
Bihar Politics केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर कांग्रेस को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के कहने पर ही मतदाता सूची की कमियों को दूर करने के लिए एसआईआर प्रक्रिया शुरू हुई थी। जोशी ने कहा कि चुनाव आयोग मतदाता सूची ठीक कर रहा है लेकिन विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि उनके समर्थकों को बाहर किया जा रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर कांग्रेस पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) की प्रक्रिया राहुल गांधी के कहने पर शुरू की गई थी, जिन्होंने मतदाता सूची में विसंगतियों के बारे में एक पत्र लिखा था।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रह्लाद जोशी ने कहा कि एसआईआर इससे पहले भी कई बार हो चुका है और इसकी प्रक्रिया पहले जैसी ही है। अगर प्रक्रिया में कोई अंतर है, तो वह तकनीक का है।
मतदाता सूची में गलतियां
प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'चुनाव आयोग यह कर रहा है और जो लोग पूछ रहे हैं कि चुनाव आयोग ऐसा क्यों कर रहा है - क्या राहुल गांधी भूल गए हैं कि उन्होंने खुद एक पत्र लिखकर कहा था कि मतदाता सूची में गलतियां हैं और उन्हें ठीक किया जाना चाहिए? और अब, जब चुनाव आयोग इसे ठीक कर रहा है, तो वह कह रहे हैं कि हमारे मतदाता चुरा लिए जाएंगे।'
उन्होंने आगे कहा कि अगर उनके पत्र पर काम हुआ तो समस्या है। अगर नहीं हुआ तो समस्या है... यही लोग हैं जो आप जो भी करेंगे उसका विरोध करेंगे।
मतदाता सूची को लेकर विपक्षी दल आमने-सामने
अंतिम सूची जारी होने में छह दिन बाकी हैं और 41 लाख से ज़्यादा मतदाताओं के बाहर होने का खतरा है। बिहार में विपक्षी दल इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं और उनका कहना है कि उनके समर्थकों को चुन-चुनकर बाहर किया जा रहा है।
तेजस्वी यादव का 35 प्रमुख दलों को पत्र
शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने देश भर के 35 प्रमुख दलों के नेताओं को पत्र लिखकर उनका समर्थन मांगा था। उन्होंने लिखा कि बिहार में चल रहा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एक तमाशा और त्रासदी है, जो बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर रहा है और लोकतंत्र की नींव हिला रहा है।
मानसून सत्र में चर्चा की उम्मीद
उन्होंने कहा कि यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कैसे चुनाव आयोग जैसी 'स्वतंत्र संस्था' हमारी चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी में जनता के विश्वास को खत्म करने पर तुली हुई है। इस मामले के कल से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में चर्चा में रहने की उम्मीद है।
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